मोदी सरकार के फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में बदलाव से क्या अब हर घर Made in China वाला तिंरगा लगाएगा? जानें विपक्ष के दावे की हकीकत
सरकार ने फ्लैग कोड ऑफ इंडिया (भारतीय ध्वज संहिता),2002 में बदलाव किया और मशीन से बने पॉलिस्टर के तिरंगे के इस्तेमाल को मंजूरी दी। संशोधित ध्वज संहिता इतने बड़े पैमाने पर झंडों की उपलब्धता को सुगम बनाएगी और उन्हें आम जनता के लिए किफायती भी बनाएगी।
भारत का राष्ट्रीय झंडा देश के हर नागरिक के गौरव और सम्मान का प्रतीक है। जब भी कोई तिरंगे को फहराता है तो उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक होती है। भारत इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी का 75वां साल है तो जश्न भी उसी सरीखा होना चाहिए, तैयारियां भी कुछ ऐसी ही है। गली मोहल्ले, स्कूल-कॉलेज और इसी तरह के दूसरे दिले के करीब तीन लाख स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाएगा। यह सब आजादी के अमृत महोत्सव के तहत होगा। इसका मकसद लोगों में देशभक्ति की भावना व राष्ट्रीय ध्वज के बारे में उन्हें जागृत करना रहेगा। इसके लिए 11 से 17 अगस्त के बीच अभियान चलेगा। तिरंगा फहराने से पहले शहर के लोगों को ध्वज संहिता के मुख्य अंश भी बताए जाएंगे ताकि तिरंगे का सम्मान सभी आदर के साथ करें। इसी दौरान तिरंगा कब और कैसे फहराना है ? अब झंडा फहराने है तो उसके प्रयोग, रख रखाव से लेकर फहराने तक के नियम तय हैं। देश में राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग और फहराना निर्देशों के एक व्यापक सेट द्वारा निर्देशित होता है जिसे 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002' कहा जाता है। यह राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के लिए सभी कानूनों, परंपराओं, प्रथाओं और निर्देशों को एक साथ लाता है। लेकिन इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं और जिसको लेकर विपक्षी दलों की तरफ से सरकार पर आरोप भी लगाए जा रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि फ्लैग कोड ऑफ इंडिया क्या है और इसमें हाल ही में क्या बदलाव किए गए हैं।
फ्लैग कोर्ड ऑफ इंडिया क्या है?
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में सभी नियमों और औपचारिकताओं व निर्देशों को एक साथ लाने के प्रयास किया गया है। झंडा संहिता भारत के स्थान पर भारतीय झंडा संहिता 2002 को 26 जनवरी 2002 से लगू किया गया। सुविधा के लिए भारतीय झंडा संहिता को तीन भागों में बांटा है। संहिता के भाग 1 में राष्ट्रीय ध्वज के सामान्य विवरण शामिल हैं। भाग-2 में आम लोगों, शैक्षिक संस्थाओं और निजी संगठनों के लिए झंडा फहराए जाने से संबंधित दिशा-निर्देश दिए गए हैं। संहिता के भाग-3 में राज्य और केंद्र सरकार तथा उनके संगठनों के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं।
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हाल के संशोधन के कारण क्या हुआ?
भारत के ध्वज संहिता 2002 को 30 दिसंबर, 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया और पॉलिएस्टर या मशीन से बने ध्वज को भी अनुमति दी गई है। अब संशोधित ध्वज संहिता के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते, हाथ से बुने हुए या मशीन से बने कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/रेशम/खादी बन्टिंग से बनाया जाएगा। 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार जल्द ही 'हर घर तिरंगा'- एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी। संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार 15 अगस्त, 75वें स्वतंत्रता दिवस तक देश भर में 20 करोड़ से अधिक घरों तक पहुंचने की योजना है।
तिरंगा झंडा की संहिता में बदलाव
सरकार ने फ्लैग कोड ऑफ इंडिया (भारतीय ध्वज संहिता),2002 में बदलाव किया और मशीन से बने पॉलिस्टर के तिरंगे के इस्तेमाल को मंजूरी दी। संशोधित ध्वज संहिता इतने बड़े पैमाने पर झंडों की उपलब्धता को सुगम बनाएगी और उन्हें आम जनता के लिए किफायती भी बनाएगी। संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि झंडे अब ऑनलाइन पोर्टल्स पर कम से कम 30 रुपये में उपलब्ध हैं। फ्लैग कोड में संशोधन के बाद, सरकार इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए निर्माताओं और ई-कॉमर्स साइटों तक पहुंच गई। मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ बैठकें की हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये साइट झंडे खरीदने के लिए एक मंच होगी।
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क्यों की जा रही इसकी आलोचना?
उद्योगपति और कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल सहित कई लोगों ने संशोधन का स्वागत किया है, जिनकी 1995 में याचिका के कारण दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने निजी परिसर में व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति दी थी। हालाँकि, ध्वज संहिता में संशोधन पर उन लोगों ने सवाल उठाया है, जिन्हें लगता है कि इस कदम से तिरंगे स्वतंत्रता आंदोलन और खादी के बीच संबंध टूट जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा: "पॉलिएस्टर से बने तिरंगे के आयात की अनुमति देकर, 'हर घर में चीन निर्मित तिरंगा' की व्यवस्था की गई है - वही चीन जो हमारी जमीन पर अतिक्रमण कर रहा है।" पार्टी प्रवक्ता अजय कुमार ने कहा, "वे (भाजपा सरकार) सरकारी संपत्तियों को बेच रहे हैं और अब वे राष्ट्रीय ध्वज को बेचने का लक्ष्य बना रहे हैं क्योंकि देश का खजाना कम हो रहा है।"
खादी बुनकरों का क्या कहना है?
खादी बुनकरों और कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने संशोधन के विरोध में आंदोलन शुरू किया है। कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएस) द्वारा एक राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया गया है। केकेजीएसएस तिरंगे को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के लिए बीआईएस द्वारा अनुमोदित एकमात्र खादी इकाई होने का दावा करती है। कर्नाटक खादी ग्राम उद्योग संमुक्त संघ की शुरुआत 1 नवंबर 1957 को खादी के कपड़ों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। पिछले पंद्रह वर्षों में केकेजीएसएस ने 5 करोड़ से भी ज्यादा भारत के तिरंगे मैन्युफैक्चर किए हैं। उनका कहना है कि उन्हें स्वतंत्रता दिवस तक हर साल 3-4 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलते थे, लेकिन इस साल संशोधन के मद्देनजर मांग लाजवाब है। 2006 में राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण केंद्र के रूप में यह इकाई अद्वितीय बन गई, जब इसे आईएसआई प्रमाणन और पूरे देश में राष्ट्रीय ध्वज को बेचने के लिए अधिकृत किया गया।
-अभिनय आकाश
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