ऐप स्टोर में गूगल की दादागिरी के खिलाफ अमेरिका के 36 राज्यों में मुकदमा, कभी माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ भी हुआ था एक्शन
अमेरिका के 36 राज्यों और वाशिंगटन डीसी ने गूगल के खिलाफ मुकदमा कर आरोप लगाया है कि सर्च इंजन कंपनी द्वारा अपने एंड्रॉइड ऐप स्टोर पर नियंत्रण एकाधिकार विरोधी कानूनों का उल्लंघन है। मोबाइल एप डेवलपर्स का कहना है कि गूगल अपनी ही प्रणाली के तहत उनके उत्पादों को लेकर कुछ रकम वसूलती है।
आज गूगल के नाम का मतलब तो बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन वर्तमान समय में इंटरनेट का मतलब गूगल जरूर हो गया है। भले ही दुनिया के किसी हिस्से में भी कोई घटना घटी हो उसकी जानकारी भी हमें यह दे देता है असल में देखा जाये तो गूगल एक मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी पब्लिक कंपनी है, जो इंटरनेट से जुडी कई प्रकार की सेवाएं और उत्पाद लोगों को सेवा के रूप में उपलब्ध करती है। आजकल हमलोग हर वक़्त गूगल से जुड़े हुए रहते हैं। आप अगर एंड्राइड का स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं तो जो की गूगल के द्वारा दी जाने वाली सेवा है। लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन कंपनी गूगल अपने ही देश में मुश्किलों में घिर गई है। अमेरिका के 36 राज्यों और वाशिंगटन डीसी ने गूगल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमे में आरोप है कि दिग्गज सर्च इंजन अपने एंड्रॉइड एप स्टोर पर नियंत्रण एकाधिकार विरोधी कानूनों का उल्लंघन करता है।
क्या है मामला
अमेरिका के 36 राज्यों और वाशिंगटन डीसी ने गूगल के खिलाफ मुकदमा कर आरोप लगाया है कि सर्च इंजन कंपनी द्वारा अपने एंड्रॉइड ऐप स्टोर पर नियंत्रण एकाधिकार विरोधी कानूनों का उल्लंघन है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि गूगल प्ले स्टोर में कुछ खास अनुबंधों और अन्य प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण के जरिए गूगल ने एंड्रॉइड उपकरण उपयोगकर्ताओं को मजबूत प्रतिस्पर्धा से वंचित कर दिया है। इसमें आगे कहा गया कि प्रतिस्पर्धा बढ़ने से उपयोगकर्ताओं अधिक विकल्प मिल सकते हैं और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जबकि मोबाइल ऐप की कीमतों में भी कमी आ सकती है।
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डिजिटल उपकरणों का गेटकीपर भी बन गया गूगल
न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल जेम्स और उनके साथियों ने गूगल पर यह आरोप भी लगाया कि ऐप डेवलपर को अपनी डिजिटल सामग्री को गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से बेचने के लिए मजबूर किया जाता है और इसके लिए गूगल को अनिश्चित काल के लिए 30 प्रतिशत तक कमीशन देना पड़ता है। जेम्स ने आरोप लगाया, ‘‘गूगल ने कई वर्षों तक इंटरनेट के गेटकीपर के रूप में काम किया है, लेकिन हाल ही में, यह हमारे डिजिटल उपकरणों का गेटकीपर भी बन गया है, जिसके चलते हम उन सभी उस सॉफ्टवेयर के लिए अधिक भुगतान कर रहे हैं, जिसका हम हर दिन उपयोग करते हैं।
मोबाइल एप डेवलपर्स का क्या है कहना
गूगल के खिलाफ पूरे मामले को सामने लाने वाले मोबाइल एप डेवलपर्स का कहना है कि गूगल अपनी ही प्रणाली के तहत उनके उत्पादों को लेकर कुछ रकम वसूलती है। गूगल की यह प्रणाली कई ट्रांजक्शन होने पर उसका तीस फीसदी के करीब शुल्क वसूलती है। जिसका नतीजा ये होता है कि डेवलपर्स को भी अपनी सेवाएं ऊंचे दामों पर देनी पड़ती है। बता दें कि इसी प्रतिस्पर्धा रोधी बर्ताव की वजह से गूगल प्ले स्टोर मार्केट शेयर 90 फीसदी से अधिक हो गया और उसे किसी से कोई खतरा भी नहीं है।
माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ भी हुआ था
आज से ठीक 22 साल पहले 1998 में माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ भी कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला था। जब माइक्रोसॉफ्ट के आसपास सभी प्रोडक्ट्स की बंडलिंग करने का आरोप लगाया गया था। जिस वक्त माइक्रोसॉफ्ट पर मुकदमा किया गया था उस दौर में गूगल केवल एक स्टार्टअप था और उसने उस समय दावा किया था कि माइक्रोसॉफ्ट की कार्यप्रणाली या व्यवहार प्रतिस्पर्धा विरोधी है।
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भारत पर क्या असर पड़ेगा?
साल 2020 में गूगल बनाम पेटीएम की जंग तो आपको याद ही होगी। जब गूगल ने अपनी पोजिशन का फायदा उठाते हुए पेटीएम के ऐप को प्ले स्टोर से हटा दिया था। तब पेटीएम ने आरोप लगाए थे कि गूगल अपने और दूसरे ऐप्स के बीच भेदभाव करता है। मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र मिलता है कि कॉम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया द्वारा स्मार्ट टीवी मार्केट में गूगल की दादागिरी की जांच की जा रही है। मामला स्मार्ट टीवी में इंस्टॉल होने वाले एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के सप्लाई से जुड़ा है, जो भारत में बिक रहे ज्यादातर स्मार्ट टीवी में पहले से इंस्टॉल मिलता है। वहीं टेक विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका में गूगल के कॉर्पोरेट वर्चस्व को खत्म करने की कार्रवाई हुई तो इसका असर भारत में भी पड़ेगा।
किसने बनाया गूगल
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग का नाम तो आपने कई बार सुना होगा। लेकिन क्या आपको गूगल के संस्थापक का नाम पता है? गूगल को 2 लड़को ने मिलकर बनाया है जिनके नाम लेरी पेज और सर्गेई बिन ने मिलकर बनाया। रिस्ट्रक्चरिंग के तहत 2015 में गूगल ने पैरेंट कंपनी अल्फाबेट बनाई थी और भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को गूगल का सीईओ बना दिया। गूगल के फाउंडर्स ने पहले इसका नाम बैकरब रखा था, जिसे बाद में गूगल किया गया। बता दें 1 के पीछे सौ 0 लगाने पर जो संख्या बनती है उसे googol कहा जाता है और इसी शब्द से बना है गूगल।
कैसे करता है कमाई
गूगल के चालीस देशों में सत्तर से भी ज्यादा ऑफिस हैं। गूगल ने पिछले 12 सालों में 127 कंपनियों को खरीदा है। गूगल की 95 प्रतिशत से भी ज्यादा की कमाई उसके प्रकाशित विज्ञापन से आती है। आपको तो ये पता ही होगा कि एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल की ही देन है। पर क्या आप ये जानते हैं कि हर पांच में से चार फोन एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही चलते हैं। गूगल ने अपने हेट ऑफिस में 200 बकरियों को घास खाने के लिए रखा हुआ है। दरअसल, गूगल अपने दफ्तर के लॉन में घास काटने वाली मशीन का उपयोग नहीं करता। क्योंकि इससे निकलने वाले धुंए और आवाज से वहां काम कर रहे कर्मचारियों को परेशानी होती है। हर हफ्ते 20 हजार से भी ज्यादा लोग गूगल में जॉब के लिए अप्लाई करते हैं।
गूगल से जुड़े विवाद
- 2018 में यूरोपियन यूनियन ने गूगल पर सबसे बड़ा 34000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। गूगल पर आरोप थे कि उसने कम्पटीशन के नियम तोड़े और अपने फायदे के लिए मोबाइल कंपनियों को पैसे दिए।
- 2019 में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन और न्यूयार्क के अर्टार्नी जनरल ने गूगल पर 1224 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। पेनल्टी लगाए जाने के पीछे की वजह गूगल के यूट्यूब पर बच्चों की प्राइवेसी का उल्लंघन करना था।
- गूगल ने फ्रांस में टैक्स से जुड़े एक विवाद को खत्म करने के लिए 7600 करोड़ रुपये में सेटलमेंट किया था। गूगल पर आरोप लगे थे कि उसने फ्रांस में बिजनेस से जुड़ी जानकारी छिपाई और पूरा टैक्स नहीं भरा। -अभिनय आकाश
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