असली कुत्ता कौन (व्यंग्य)
भौ-भौ पार्टी के नेता भौभौराज ने लंबी सी जबान बाहर निकालते हुए भाषण देना आरंभ किया – ‘ये इंसान भी बड़े गजब के प्राणी हैं। सिर का जंजाल बनकर बैठ गए हैं। खुद को खूब भौंकते हैं और हमें भौंकने से मना कर देते हैं।
भौ-भौ पार्टी के आलाकमान का माथा ठनका हुआ था। उन्होंने नोटिस जारी कर सभी कुत्तों को आपातकालीन बैठक में भाग लेने के लिए कहा। सड़कों, नालों, घरों, और खंभों के ईर्द-गिर्द रहने वाले सारे डॉगी दौड़े-दौड़े बैठक में आ धमके। आलाकमान के मुखिया भौभौराज का चेहरा तमतमा रहा था। तमतमाते चेहरे बहुत लंबी बैठक के आदी होते हैं। सो, भौ-भौ पार्टी के सभी सदस्य ऐसे लेट गए जैसे बहुमत की सरकार कुर्सी से चिपक जाती है। दुनिया भर को डराने वाले डॉगी आज खुद डर के मारे थरथरा रहे थे। आशंका जताई जा रही थी इस डर के पीछे लश्कर-ए-इंसान आतंकवादी संगठन का हाथ है।
भौ-भौ पार्टी के नेता भौभौराज ने लंबी सी जबान बाहर निकालते हुए भाषण देना आरंभ किया – ‘ये इंसान भी बड़े गजब के प्राणी हैं। सिर का जंजाल बनकर बैठ गए हैं। खुद को खूब भौंकते हैं और हमें भौंकने से मना कर देते हैं। इन्हें भौंकना, चाटना, सहलाना, जी हुजूरी करना, रंग बदलना सब आता है और हमें भौंकने के सिवाय कुछ नहीं आता है। कम से कम हमारा भौंकना तो हमारे लिए छोड़ सकते हैं। नहीं वे ऐसा नहीं करेंगे। ऐसा करने से उनकी शान में बट्टा लग जाएगा। हमने इनका क्या बिगाड़ा है जो हमारे जानीदुश्मन बन गए हैं। सभी जीवों यहाँ तक कि जड़ वस्तुओं की पूजा करने वाले न जाने क्यों हमारे पीछे पड़े रहते हैं, जैसे हमने इनका हक़ मार लिया हो। बार-बार हमारे नाम पर गाली-गलौज करते हैं। कमीने के लिए कुत्ता शब्द, दुश्मन के लिए कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊँगा और न जाने क्या-क्या अनाप-शनाप बकते रहते हैं। उन्हें कौन समझाए कि लश्कर-ए-इंसान से भला कोई हक़ मार पाया है, जो हम मार पायेंगे! हक़ मारने की कला तो उनके खून में बसती है। वैसे हम एक-दो छोटे-मोटे चूहे बिल्ली खाकर ही बड़े खुश हैं।‘ इतना बोलते-बोलते भौभौराज साहब अचानक से रुक गए। देखते ही देखते आँखों से आँसुओं की लड़ी झरने लगी। फफक-फफकर रोने लगे। फिर खुद को संभाला और कहा – 'कोई हम से हमारा निवाला छीन ले तो हम उसे माफ कर सकते हैं। कोई हमारे रहने का ठिकाना बर्बाद कर दें तब भी हम चुप रह सकते हैं। लेकिन कोई हमारी पहचान छीन ले, यह हम हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकते।'
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अपने आलाकमान के भावुक शब्दों से बाकी के कुत्ते विचलित हो उठे। उन्हें पूरा माजरा समझ में आ गया। पिछले दिनों उन्होंने ‘कुत्ती दुनिया’ समाचार पत्र में पढ़ा था कि किसी इंसान ने खुद को सबसे बड़ा कुत्ता बताया था। इतना ही नहीं उसने यहाँ तक कह दिया कि कुत्ते का भौंका एक बार के लिए डरे बिना रह सकता है, लेकिन मेरा भौंका हुआ मरे बिना नहीं रह सकता। तभी से कुत्तों को अपने अस्तित्व के प्रति संदेह होने लगा। वे कुछ करते इससे पहले अपने आलाकमान के निर्देश की प्रतीक्षा करने लगे। क्रोध की ज्वाला में हाँफने वाले अपने कुत्ता सदस्यों को देख भौभौराज का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उसने कहा – ‘अब हमें अपने डीएनए की जाँच करवाने का समय आ गया है। अब इस बात का फैसला हो जाना चाहिए कि असली कुत्ता कौन है। यदि हम नहीं हैं तो हमें कुत्ता कहलाने का कोई हक़ नहीं है। अब लड़ाई आर-पार की होगी। हम बेहयाओं की जिंदगी नहीं जी सकते। हममें अब भी थोड़ी-बहुत शर्म बाकी है।’
अपने नेता भौभौराज के ओजस्वी भाषण से उत्तेजित होकर भौभौ पार्टी डीएनए परीक्षण केंद्र पहुँची। वहाँ न जाने उन्होंने ऐसा क्या देख लिया कि सबकी आँखें फटी की फटी रह गयी। उन्होंने देखा कि उनसे पहले वहाँ गधे, घोड़े, बैल, हाथी, शेर, मगरमच्छ, चील, साँप आदि के झुंड अपने डीएनए की जाँच करवाने के लिए मारा-मारी कर रहे थे। यह देख कोबरा एंड पार्टी दुखी मन मुँह लटकाए अपने-अपने ठिकानों की ओर लौटने लगे। उन्हें आज जाकर पता चला कि लश्कर-ए-इंसान से खतरनाक बहरूपिया जानवर कोई हो ही नहीं सकता। ये अपने मतलब के लिए किसी भी जानवर का रूप धारण कर लेते हैं। इनका अपना कोई डीएनए नहीं होता, क्योंकि इनके डीएनए का मतलब ही है – ‘दोगले नखरेवाला आदमी।’
- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा उरतृप्त
प्रसिद्ध नवयुवा व्यंग्यकार
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