राजनीति बड़े काम की चीज़ है (व्यंग्य)

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Prabhasakshi
संतोष उत्सुक । Mar 31 2025 7:15PM

राजनीति की नीति गज़ब है। मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर फूलों का गुलदस्ता भेंट करते हैं। केक और स्नैक्स खाते हैं। पता नहीं चलता कि मित्र हैं या दुश्मन, विपक्षी नेता या अभिनेता। एक दूसरे की बातें, योजनाएं पसंद नहीं हैं।

राजनेता ग़ज़ब प्राणी होते हैं। अखबारों और असामाजिक चैनल्स पर कुश्ती करते रहते हैं, एक दूसरे को लंगड़ी मारते रहते हैं। पांच साल चलने वाली सरकार को चुटकी में गिराने की बातें करते हैं लेकिन जब सरकारी चाय पार्टी या शादी में मिलते जुलते हैं तो लगता है जन्मों का प्यार है। कितने ही मामलों में  घटिया, खराब, निम्नस्तरीय, उदंड आचरण वाली राजनीति करते हैं लेकिन कहते रहते हैं राजनीति नहीं करनी चाहिए।

राजनीति की नीति गज़ब है। मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर फूलों का गुलदस्ता भेंट करते हैं। केक और स्नैक्स खाते हैं। पता नहीं चलता कि मित्र हैं या दुश्मन, विपक्षी नेता या अभिनेता। एक दूसरे की बातें, योजनाएं पसंद नहीं हैं। यही विपक्षी नेता अगली सुबह सरकार को माफिया राज बताकर धरना प्रदर्शन करते हैं। नारे लगाते हैं। आम जनता के काम न होने के आरोप लगाते हैं लेकिन सांसारिक समन्वय बना रहे इसलिए रात को शादी में नकली मुस्कुराहटों के साथ मिलते हैं। हालांकि चाहते हैं कि इनकी आर्थिक स्थिति लड़खड़ा जाए और सरकार गिर जाए। लेकिन जब कोई काम होगा तो कहां जाएंगे इसलिए राजनीतिक नौटंकी करती रहनी पड़ती है। मन ही मन गाते रहते हैं, तुम्हारी भी जय हो, हमारी भी जय हो न तुम हारो न हम हारें।

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जन्म दिन पर बधाई प्राप्त करने वाला जानता है कि यह राजनीतिक विरोधियों का मानवीय दिखावा है। यही लोग कल सुबह उनके खिलाफ राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंप सकते हैं। आम लोग कभी ऐसा नहीं करते। वे अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों से न बनने की स्थिति में बधाई तो क्या शक्ल देखना कबूल नहीं करते। उनमें राजनीतिज्ञों की तरह अभिनय करने का ज़ज्बा नहीं होता। ख़ास लोगों की अदाएं भी ख़ास होती हैं। उन्हें पता है दोनों ने हुकूमत की है, करनी है, कभी राजनीतिक ताक़त उसके हाथ में होगी तो कभी उनके। इसलिए कभी भी एक दूसरे से पूरी नहीं बिगाड़ी जाती। जब शुभ अवसर हो तो गले मिलते रहना चाहिए। कहा भी गया है, दिल मिलें न मिलें हाथ मिलाते रहिए।  

जन्मदिन से अगले दिन तथाकथित माफिया राज के खिलाफ विशाल प्रदर्शन किया गया। उसमें महंगाई के खिलाफ, खनन माफिया के खिलाफ, तालाबंदी के खिलाफ, जंगल्रराज के खिलाफ, भ्रष्टाचार के खिलाफ झूठी गारंटियों के खिलाफ, चिट्टा माफिया के खिलाफ, कहने का मतलब जन्मदिन वालों के शासन के पूरी तरह शुद्ध खिलाफ झंडे उठाए और नारे लगाए। फिर भी जन्मदिन पर होटों से बधाई और बुके के रूप में ढेर सारी शुभ कामनाएं पकड़ाने की लोकतान्त्रिक रस्म निभाई। यह एक तरह का स्वादिष्ट राजनीतिक भाई चारा है।  

आम लोगों को राजनेताओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। अपने विरोधियों से इतनी तो बनाकर रखनी चाहिए कि परेशानी में मदद मिल सके और मदद की जा सके। इस बहाने कहा भी जा सकेगा राजनीति बड़े काम की चीज़ है।

- संतोष उत्सुक

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