हारे हुए विपक्षी नेता ने कहा (व्यंग्य)

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Prabhasakshi
संतोष उत्सुक । Mar 29 2025 3:34PM

हम सरकार बनाते ही इस अनुभवहीन सरकार के कामकाज को रिव्यू करेंगे। जब चुनी हुई सरकार के किसी नुमायंदे ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया तो हारे हुए नेता ने ज्यादा सख्त बयान दिया। उन्होंने कह डाला, शासक पार्टी के बंदों का, कुछ दिनों बाद, सड़क पर चलना मुश्किल हो जाएगा।

बहुत समझदार जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से सरकार चुनी। घोड़ों का व्यापार बंद रहा। सरकारें अगर स्पष्ट बहुमत से चुनी जाती रही तो सचमुच पैसा उगाऊ व्यापार का क्या होगा। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी बनाए गए ताकि सरकार की सफलता के लिए पारम्परिक क्षेत्रीय, जातीय, सभी पक्षीय संतुलन बना रहे। 

हारे हुए, सुविधाहीन नेता ने पहला बयान दिया, यह सरकार अपना ही बोझ नहीं सह पाएगी। कुछ दिन तो ऐसे लगा बहुत भारी बयान दिया है। अगला बयान आया, इस सरकार ने लालच देकर चुनाव जीता। रविवार को शांत रहकर सोमवार को दावा किया कि पांच वर्ष से पहले ही हमारी पार्टी सत्ता पर काबिज़ होगी। इस खतरनाक कथन से लगा, किसी से उनकी संजीदा बातचीत चल रही है। फिर एक दिन बाज़ार में मिले कुछ लोगों से कहा, इन्हें सरकार चलानी नहीं आती। सरकार बदले की भावना से कार्य कर रही है। हमारी पार्टी की सरकार ने आज तक, बदले की भावना से कार्य नहीं किया। भोली भाली जनता ठगा ठगा महसूस कर रही है। बिना चुनाव लडे ख़ास लोगों को केबिनेट स्तर का रुतबा दिया है।

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हम सरकार बनाते ही इस अनुभवहीन सरकार के कामकाज को रिव्यू करेंगे। जब चुनी हुई सरकार के किसी नुमायंदे ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया तो हारे हुए नेता ने ज्यादा सख्त बयान दिया। उन्होंने कह डाला, शासक पार्टी के बंदों का, कुछ दिनों बाद, सड़क पर चलना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने यह नहीं बताया कि अंदाज़न कितने दिनों बाद ऐसा होने वाला है। उनसे रहा नहीं गया, कुछ दिन बाद बोले हमारी विचारधारा नहीं हारी है, सरकार की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। नेताजी ने हार का ठीकरा चुनाव आयोग, ईवीएम, दुर्भाग्य और ठण्ड वगैरा पर फोड़ते हुए कहा कि इनकी पार्टी ने धन, बल और शराब के माध्यम से चुनाव प्रभावित किया। नैतिकता की ह्त्या कर दी है।

उन्होंने चुनाव हारकर भी, सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद किया। कहा, अब हम विपक्ष की रचनात्मक भूमिका निभाएंगे। उन्होंने वोट न देने वालों को रोजाना मनपसंद गालियां देते हुए, भगवान से अनुरोध किया कि एक बार उनकी, एक बार हमारी सरकार बनने का आशीर्वाद दें। जनता ने विकास को अनदेखा कर, हमें धोखा देकर इस सरकार को बनाया है। भगवान कुछ ऐसी विकट परिस्थितियां पैदा करें कि सरकार ठीक से काम न कर सके, इनकी पार्टी में गतिरोध पैदा हो जाए, बीमारी फैल जाए और जनता दुखी हो जाए। जल्दी नहीं तो पांच साल बाद तो चुनाव हार ही जाएं और हमारी सरकार आ जाए।

जब सरकार नौ महीने तक सुचारू चलती रही तो उन्हें एहसास हुआ कि यह सरकार तो पांच साल निकाल ही लेगी और वे सचमुच चुनाव हार गए हैं। अब नेताजी ने महात्मा बुद्ध के बताए मार्ग पर नंगे पांव चलना शुरू कर दिया है।

- संतोष उत्सुक

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