पुराने कपड़े नए शरीर (व्यंग्य)
वैसे इतना महंगा लहंगा और कपडे सिर्फ एक बार पहन कर कितने ही लोग, कुछ दिनों बाद लुटा हुआ सा महसूस करते हैं। क्यूंकि एक बार पहनी महंगी ड्रेस, अलमारी के पता नहीं किस कोने में तुड़ी मुड़ी परेशान पड़ी होती है। वह सोच रही होती है कि दो चार बार पहन ली जाती तो ज़्यादा अच्छा लगता।
विदेशी पुरानी चीज़ों से बहुत प्यार करते हैं और जो हमारे यहां बरसों से होता रहा है उसे करके नया बताते हैं। जींस को फाड़, काट, धागे लटका कर फैशन का पैशन बना दिया है। हमारे यहां जब गरीबी थी तो ऐसे ही कपड़े पहनते थे। अब यह ट्रेंड विदेश जाकर स्वदेश लौट आया और नया फैशन बन गया है। प्राचीन काल की पेंटिंग्स या तस्वीरें देखी जाएं तो औरतें नाभि से ऊपर छोटा वस्त्र पहनती थी और उस पर अंग वस्त्र जैसा ओढ़े रखती थी। मर्द लोग भी कमर से ऊपर कुछ नहीं पहनते थे। फिर भारतीय संस्कृति में शर्म प्रवेश कर गई, शायद फिल्मों ने भी प्रेरित किया और शरीर ढकना शुरू हो गया। पिछले कुछ वर्षों में, विकासजी पौराणिक युग के वस्त्र, वाया विदेश हमारी सांस्कृतिक धरती पर पुन ले आए। अब महिलाएं उसी तरह के छोटे वस्त्र धारण करती हैं उस पर साड़ी का कम चौड़ा, पल्लु नुमा वस्त्र ओढती हैं।
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अब फैशन है तभी तो कम कपड़ों का फैशन है। संभवत ग्लोबल वार्मिंग का असर शरीर पर भी पड़ रहा है। बहुत से शरीर अब ज्यादा बड़ी या फ़ैली हुई पोशाकें कबूल नहीं करते। उधर महंगाई बढ़ रही है और सब लोग तो महंगे डिज़ाइनर वस्त्र खरीद नहीं सकते तभी यह उचित बदलाव लाया जा रहा है कि पहले से पहने गए कपड़े फिर बिका करेंगे। उन्हें पहनेंगे तो उनका फैशन आएगा ही। लंदन फैशन वीक में फैशन रिटेलर समूह ने एलान कर दिया है कि प्री वोर्न यानी पहने जा चुके कपड़े बेचने के लिए विश्व मंच बनाएंगे। उन्हें पता नहीं यह तो हमारे यहां कब से हो रहा है। शादी में पहने जाने वाला लहंगा एक बार नहीं बार बार पहना जाता है क्यूंकि बार बार बिकता है। इसके साथ पहने जाने वाले जेवर भी दर्जनों बार पहने जा रहे हैं। दूसरे देशों से पुराने कपडे खरीदकर या दान में पाकर यहां कब से बेचे और पहने जा रहे हैं।
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वैसे इतना महंगा लहंगा और कपडे सिर्फ एक बार पहन कर कितने ही लोग, कुछ दिनों बाद लुटा हुआ सा महसूस करते हैं। क्यूंकि एक बार पहनी महंगी ड्रेस, अलमारी के पता नहीं किस कोने में तुड़ी मुड़ी परेशान पड़ी होती है। वह सोच रही होती है कि दो चार बार पहन ली जाती तो ज़्यादा अच्छा लगता। अब तो बंदों से भी जी भरने लग गया है, कपड़े तो कपड़े हैं। महिलाएं महंगे और पसंदीदा कपड़ों से भी बहुत जल्दी उब जाती हैं तो उन्हें बेच देने से पुरानों से निजात मिलेगी और नए खरीदने के लिए अवसर उगेंगे। कोई पोशाक अगर खरीद नहीं पाए कोई और खरीद ले गया फिर ऑनलाइन बिक रही होगी तो उसे खरीदकर तन और मन खुश कर सकेंगे। किसी को बताना थोड़ा ही है कि पुराना खरीदा है। नए ट्रेंड में शर्म भी तो छिप जाएगी।
वैसे भी अब मार्लिन मुनरो जैसी अपने आप उड़ते रहने वाली पोशाकें पसंद की जा रही हैं। इस तरह की ड्रेस बार बार बिकेगी तो ऐसी दूसरी पोशाकें पहनने की प्रवृति के लिए संतुष्टि के द्वार खुलेंगे। फलां ड्रेस पहले फलां ने पहनी है, जानकर तो खरीदने वालों की लाइन लग जाएगी। मनपसंद डिज़ाइनर वस्त्र पहनने का वक़्त आ गया है।
- संतोष उत्सुक
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