फाइवजी से सिक्सजी तक (व्यंग्य)

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संतोष उत्सुक । Dec 14 2022 12:00PM

एक दिन हमने विश्व की पहली अर्थव्यवस्था बनना है। इस संदर्भ में उन्होंने समझाया, जब किसी सभ्य समाज के दस प्रतिशत लोग इंटरनेट प्रयोग करते हैं तो जीडीपी एक फीसदी बढ़ती है। इंटरनेट प्रयोग करने का सबसे सुविधाजनक पहलू है कि इसमें दिमाग नहीं लगता, इसके लिए दिल बड़ा चाहिए, वो हमारे पास है।

उन्होंने कब से कह रखा है कि फाइवजी को देश के चप्पे चप्पे में जल्द से जल्द पहुंचाया जाए। सही बात है, फाइवजी बहुत स्वादिष्ट है इसका कद लंबा और रंग बढ़िया है। उन्होंने और बताया कि देश की अर्थ व्यवस्था भी फाइवजी है इसलिए हाई स्पीड इंटरनेट की रफ़्तार उससे मैच करेगी। फाइवजी, फाइव स्टार से मिलता जुलता शब्द संयोजन है। ‘फाइवजी’ बोल रहे हों तो ‘फाइव स्टार’ जैसी फीलिंग आती है। यह बहुत खुशी की बात है कि फाइवजी आए हैं और वापिस नहीं जाएंगे। वह बात दूसरी है कि गरीबी कब से आई है, वापिस नहीं जाती। सरकारजी, इंसानियत के वश करोड़ों को खाना खिला रही है। गलत बंदे हैं जो कहते, वोटों के बदले खिला रही है।

एक दिन हमने विश्व की पहली अर्थव्यवस्था बनना है। इस संदर्भ में उन्होंने समझाया, जब किसी सभ्य समाज के दस प्रतिशत लोग इंटरनेट प्रयोग करते हैं तो जीडीपी एक फीसदी बढ़ती है। इंटरनेट प्रयोग करने का सबसे सुविधाजनक पहलू है कि इसमें दिमाग नहीं लगता, इसके लिए दिल बड़ा चाहिए, वो हमारे पास है। अगर जीडीपी सौ प्रतिशत हो जाए तो शुक्र ग्रह को छू लेगी। इसकी फाइवजीनुमा रफ़्तार से जीवन के फाइव तत्व ‘धरती, आसमान, हवा, पानी और अग्नि’ को नवजीवन मिल पाएगा।

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अभी मोबाइल पकड़ कर वाहन हांकते हैं, पैदल चलते थकते नहीं, मोबाइल चाटते हुए पार्क में सैर कर स्वास्थ्य उगाते हैं। दिमाग समृद्ध हो रहा है। एक में एक भी जमा करना हो तो मोबाइलजी करते हैं। मुंह ज़बानी तो दो दूनी पांच करने में भी सक्षम हो गए हैं। ऐसे में फाइवजी बहुत ज़रूरी है ताकि विकासजी का शासन और समृद्ध हो। वह बात बिलकुल अलग थलग है कि बस्तियों, मोहल्लों में सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं।  महिलाओं के लिए शौचालयों का ख़्वाब लेना मना है लेकिन इसका फाइवजी से क्या रिश्ता। दोनों चीज़ें अलग अलग हैं। सड़क, गली में चलना आफत, ट्रैफिक है, पैदल चलना मरना है लेकिन उसका फाइवजी से कोई लिंक नहीं। यह बारिश की गलती है कि इस साल ज़्यादा हुई लेकिन इसे फाइवजी से जोड़ना गलत है। इलेक्ट्रोनिक प्रगति और पानी की हानि दो बिलकुल अलग विषय हैं। 

‘प्रति व्यक्ति आय’ बढ़ेगी आमजन का जीवन स्तर सुधरेगा या महिला सुरक्षा में गड्ढे हैं इसका फाइवजी से कोई लेना देना नहीं। करोड़ों का क़र्ज़ लेकर विकास जैसा नेक काम हो रहा, ऐसे में रखरखाव तो छूट ही जाता है। समाज में दिखावा, अविश्वास, अंध विशवास, नफरत बढ़ रही है तो बढ़ने का मतलब तो आगे बढ़ना यानी विकास ही हुआ।  इनका भी फाइवजी से संबंध बिलकुल नहीं दिखता। महिलाएं फाइवजी प्रयोग करेंगी तो महिला सशक्तिकरण के साथ शस्त्रीकरण भी होगा। फाइवजी भी तो सम्पूर्ण शस्त्र है। डाटा सस्ता हो या महंगा, इससे पेट भरे या न भरे, तन और मन तो भर सकता है।

पेट की भूख और बेरोजगारी के साथ इसे न जोड़ें। दोनों अलग अलग चीज़ें हैं। मानसिक शान्ति ग्रहण करने का व्यवसाय अलग से बढेगा ही। फाइवजी का सिर्फ जीडीपीजी से निजी नाता है जिससे हमारा जीवन स्तर अंतर्राष्ट्रीय उंचाई पर पहुंच जाता है। अंतर्राष्ट्रीय ऊंचाई के सामने स्थानीय स्तर की कोई औकात नहीं होती। फाइवजी की पहुंच, यहां, वहां न जाने कहां कहां तक है जी। जब सिक्सजी आएंगे तो ज़्यादा वारे न्यारे हो जाएंगे।

- संतोष उत्सुक

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