Devil Worship Tantra | भगवान से पहले लोगों की सुनता है शैतान, चुटकियों में कर देता है मनोकामना पूरी, तंत्र में शैतानी पूजा की कहानी

Devil Worship Tantra
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रेनू तिवारी । Apr 8 2024 3:53PM

प्रभासाक्षी न्यूज के एस्ट्रो एस्पर्ट आशीष तिवारी कहते है कि शैतानी शक्तियों को जागृत करने के लिए शैतान की पूजा की जाती है। पश्चिमी देशों में मान्यताएं हैं जब गॉड नहीं सुनता है तो शैतान सुनता है। शैतान को याद करते ही शैतान तुरंत हाज़िर हो जाता है।

एक कहावत कहावत है, भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, मगर शैतान के घर देर नहीं है,लेकिन अंधेर ही अंधेर है। यहीं चीज इस कहावत को भी सही करती है कि Think of the Devil and Devil is here (शैतान का नाम लो शैतान जाहिर)। प्रभासाक्षी न्यूज के एस्ट्रो एस्पर्ट आशीष तिवारी कहते है कि शैतानी शक्तियों को जागृत करने के लिए शैतान की पूजा की जाती है। पश्चिमी देशों में मान्यताएं हैं जब गॉड नहीं सुनता है तो शैतान सुनता है। शैतान को याद करते ही शैतान तुरंत हाज़िर हो जाता है। ईश्वर को आने में देर हो सकती है लेकिन शैतान देर नहीं करता है तुरंत आ जाता है।

 

तंत्र में  शैतानी  पूजा की कहानी

ये किसी ईश्वरीय शक्ति पर यकीन करने के बजाय अपने नियम खुद बनाते हैं और खुद की जिंदगी अपनी शर्तों के मुताबिक जीते हैं। ईश्वर की सर्वसत्ता है, यहाँ पर सब कुछ संतुलित है, शैतान इस संतुलन को बिगाड़ना चाहता है, उदाहरण है 

प्रकृति का जल निकासी व्यवस्था, पानी की एक निश्चित मात्रा, सागर से बादल वाला कोण।

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ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म में शैतान को ईश्वर का विरोधी माना गया है। शैतान को भी ईश्वर ने ही बनाया था लेकिन ईश्वर की अवज्ञा करने के कारण उसे नर्क भेज दिया गया जहां वह नर्क का राजा बन गया। शैतान लोगों से सौदा करके उनकी आत्मा को खरीद लेता है और बदले में उन्हें बेशुमार दौलत और शोहरत देता है। ईसाई धर्म में लूसिफर को पतित देवदूत, नर्क का राजा या शैतान कहा जाता है जो नर्क का शासक है। यह लोगों की सही ग़लत इच्छाऐं पूरी करता है और मरने के बाद उनकी आत्मा को अपने साथ नर्क में ले जाता है। शैतान के उपासक ईश्वरीय विधान को ना मानकर मनमाना आचरण करते हैं और जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीते हैं। पश्चिम के देशों में शैतान की उपासना करने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में शैतानी धर्म को मानने वाले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते हैं कि इनके अंदर काफी बुरी आत्माएं रहती है। जिन आत्माओं का ढंग से दाह संस्कार नहीं होता। श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि नहीं होती। वो आत्मयाए या तो भटकती रहती है। या फिर किसी तांत्रिक के चंगुल में रहती हैं या फिर किसी शैतान के अंदर में आ जाती है। हालाकि शैतान भी मनोकामना पूरी करते है पर वो इसके बदले कोई जान या बली लेते है। ये भी अपना अलग स्वर्ग और नरक बनाया हुआ होता है। अगर आप इसके पूजा पद्धियों को अपना कर बाद मे शैतान के अनुसार अपने जीवन का पालन नहीं किया, तो आपको उसका बनाया हुआ नरक में जाना होगा। और शैतान के अलावा तो किसी दूसरे को मानना नहीं है। इनका पूरा समानांतर दुनिया होती है भगवान के तरह। ये पूजा और बली के दम पर इतनी मजबूत हो जाती हैं कि कभी कभी भगवान की सत्ता को भी चुनौती दी देती हैं।

इंडियन पद्धति में माना जाता है की शैतान के उपासक को जीवन में सफलता तो मिल जाती है मगर एक कल्प तक उसे सूक्ष्म शरीर या कल्प योनि में रहना पड़ता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने बोला है कि उन्होंने इन्सान को पूरी तरह का छूट दिया है कर्म करने के लिए। यहां तक कि उन्होंने हर मनुष्य को ये छूट दे रखी है कि वो अपने देवता या भगवान को खुद चुन सकता है। वो चाहे तो शैतान को भी चुन सकता है। पर मरने के बाद वह उसी के पास जाएगा। जिसकी वो पूजा करता है। वो आदमी मरने के बाद उसी लोक में जाएगा जिसकी वो पूजा करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि जो व्यक्ति शैतान उस को कल्प तक सूक्ष्म शरीर में रहना पड़ता है यानी कि प्रेत योनि में रहना पड़ता है। और वो आत्माएं कल्प के अंत तक प्रेत योनी में रह कर पृथ्वी पर विचरण और उस शैतान के लोक में इधर उधर तरप्ती रहती है । वो तरप तरप कर भगवान का इंतजार करती है। जब कल्प के अंत में भगवान का अवतार होगा ।तो उनके हाथों मारे जाने पर उन बुरी आत्माओं और शैतान का उद्धार होगा जैसे कल्कि भगवान का अवतार होगा। क्युकी शैतान भी भगवान की रचना है । चुकी वो भगवान की सत्ता को चुनौती देते हैं इसलिए उनकी ये गत होती है।

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते हैं  जिसको आप नॉर्मली आत्मा कहते हो वो आत्मा नहीं होती वो सूक्ष्म शरीर होती है। क्युकी सूक्ष्म शरीर को भूख प्यास लगती है । गीता में भगवान श्री कृष्ण ने इंसान के तीन शरीर बताए हैं । स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, और कारण शरीर । आत्मा तो सबकी एक है। जो जैसा कर्म करता है वो उसी के अनुरूप फल की प्राप्ति करता है । तभी तो आप देखते हैं की कोई ज्यादा सुख पाता है तो कोई ज्यादा दुख पाता है ।ऐसा थोड़े ही है कि भगवान ने सीधे आदमी को टपका कर किसी के गर्भ में उस आदमी सीधे धरती पर भेज दिया । उस को पूरा 84 लाख योनियों से गुजर कर मनुष्य की योनि में जन्म लेता है।फिर अगर खराब कर्म किया । अगले जन्म कोई जानवर या कोई मुर्गा मान लो बन गया फिर वो कतलखाने में जाएगा फिर उसका कतल होगा । फिर दुबारा से वो मानव जीवन जीने के लिए लंबे फेस में जाएगा।

भगवान या किसी देवता को आप फूल, भांग, धतुर , मिठाई , कुछ भी चढ़ा सकते है । अगर आप चाहे अगर आप की इच्छा है तो आप बली भी दे सकते है । कुछ भगवान है कि वो आपकी श्रद्धा देखते हैं । आप उन्हें मांस मदिरा भी चढ़ा सकते है अगर आपकी इच्छा है तो पर सारे भगवान नहीं । भगवान की शक्तियां तीनों गुणों में होती हैं ।सतो गुण,रजो गुण, तमो गुण। पर शैतान जो है वो केवल तमों गुण वाला होता है । अर्थात शैतान को खून चाहिए होता है । यानी शैतान को हमेशा बली चाहिए होती है। चाहे इंसान की या जानवर की। उसको खून से मतलब है सुनने में यह भी आता है कि जो लोग शैतान की पूजा करते है वो लोग अपना कोई अंग को काटकर थोड़ा सा खून बहा देते है । या फिर वो कोई बली देकर शैतान की पूजा करते हैं। बिना पहली बार खून या जान की बली दिए वो शैतान के नुमाइंदे या उसका पुजारी नहीं बन सकते।

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते है कि भगवान की अगर आप पूजा कर रहे है तो आप एक भगवान का कीजिए दूसरे भगवान का पूजा कीजिए,या नहीं पूजा कीजिए या भगवान का पूजा करने के बाद छोड़ भी दीजिए अगर आपका मतलब निकल गया हो तो या फिर जब मर्जी उनकी पूजा कीजिए भगवान को फर्क नहीं पड़ता भगवान की पूजा करके आप आपने ही पापो को दुखों को दूर कर सकते है। अगर आप शैतान की एक बार अगर आपने पूजा शुरू कर दी तो आप भगवान की पूजा नहीं कर सकते। शैतान के अलावा आपको किसी पूजा नहीं करनी है।इस से शैतान नाराज़ हो जाएगा। आप किसी भी भगवान के आगे आपको नतमस्तक नहीं होना है । यहां तक कि आपको किसी भगवान का प्रसाद नहीं खाना है। मुझे याद है कि जब मै छोटा था तो मेरे एक नौकर का पिता था जो कुछ खराब चीज़ों की पूजा करता था, वो अपने बच्चे से मिलने मेरे ननिहाल में आया था । जब मैंने उसे प्रसाद दिया तो उस ने प्रसाद ले तो लिया पर फेंक दिया उस प्रसाद को चुपके से।

भगवान के पूजा आप नियम में रह कर या बिना किसी नियम के अनुसार कर सकते है। आप वक्त के पाबंद है तो ठिक है नहीं है तो भी ठीक है। पर शैतान की पूजा एक बार आपने कर ली तो बड़ा ही नियम कानून से उस की पूजा करनी होती है। क्युकी शैतान को बहुत कम समय भगवान ने दिया है। भगवान तो दयालु हैं। उन्होंने कुछ समय दिया है उसी समय या उसी मुहूर्त में शैतान की पूजा की जाती है, उस मुहूर्त के पहले या बाद की पूजा उस शैतान को नहीं लगती हैं। उनको बहुत सख्त नियम का पालन करना होता है । जब कोई शैतान की पूजा करता है। तो उसे ज्यादा पूजा करनी होती हैं भगवान कि पूजा करने वालो के मुकाबले। और वो भी वक्त का पाबंद होकर। और इस तरह की पूजा में आप नए लोगो को जोड़ेंगे तो शैतान खुश होगा । शैतान के पुजारी लोग की संख्या बढ़ने से उसकी ताकत बढ़ती है।

अगर आप किसी की भी पूजा करेंगे तो उस की शक्तियां बढ़ती है । इसलिए भगवान के अलावा किसी की पूजा नहीं करनी चाहिए। जो हमारे धर्म ग्रंथों में उल्लेखित है उस की ही पूजा कीजिए। इल्युमिनाटी ग्रुप 18वीं सदी में शुरू हुआ ऐसे लोगों का समूह है जो भगवान को नहीं बल्कि शैतान को मानते हैं। ये लोग अलग सोच के हैं जो अपनी सीक्रेट गतिविधियों से नई दुनिया बसा रहे हैं और दुनिया के बड़े फैसलों पर प्रभाव डालने की कोशिश करते हैं। दुनियाभर की कई मशहूर हस्तियां illuminati को मानती है।

एक्सपर्ट आशीष तिवारी कहते है कि माना जाता है कि इस संगठन की शुरुआत जर्मनी के बेवेरिया शहर से हुई थी। वहां के एक जाने-माने प्रोफेसर और दार्शनिक एडम वीशॉप्ट (Adam Weishaupt) ने इसकी नींव रखी। जर्मनी में ही जन्मे और पले-बढ़े एडम बचपन में ही अनाथ हो गए। रिश्ते के एक चाचा की देखरेख में पलते हुए उन्होंने काफी सारी मुश्किलें देखीं। भेदभावों के बीच बढ़ते हुए एडम के मन में आ चुका था कि आगे चलकर वो एक समान समाज की शुरुआत करेंगे। पढ़ाई के बाद एडम प्रोफेसर बन गए और University of Ingolstadt में पढ़ाने लगे। सीधी-सादी जिंदगी बिताते शादीशुदा प्रोफेसर के बारे में किसी को शक नहीं था कि वे भीतर-भीतर क्या कर रहे हैं।

एडम को यकीन था कि चर्च और कैथोलिक विचारों के कारण सोसाइटी खुलकर नहीं जी पा रही है। यही देखते हुए उन्होंने एक ऐसी सोसाइटी तैयार करने की सोची, जो हर तरह की धार्मिक बंदिशों से मुक्त हो। इसी के साथ इलुमिनाती सीक्रेट एजेंसी की नींव रखी गई। माना जाता है कि मई 1776 में इसके सदस्यों की पहली मीटिंग हुई, जिसमें प्रोफेसर के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी के 5 लोग थे। जल्द ही सदस्य बढ़ते चले गए और साल 1784 में ग्रुप में लगभग 3000 सदस्य हो चुके थे। Adam Weishaupt ने ही इसे इल्युमिनाटी नाम दिया था। इल्युमिनाटी एक लेटिन शब्द है जिसका हिंदी अर्थ है ऐसे लोग जो दूसरों से ज़्यादा ज्ञानी होने का दावा करते हैं। एडम ने धार्मिक नियमों के बिना जीने वाले लोगों के लिए कुछ नियम भी बनाए थे। इनमें से एक नियम ग्रुप से जुड़े लोग भगवान के ख़िलाफ़ होकर शेतान लूसिफर को पूजा करेंगे। इस ग्रुप का कोई ऑफ़िशियल Logo तो नहीं है, लेकिन ग्रुप के लोग एक आंख को अपना चिन्ह मानते हैं। इस आंख को एक त्रिकोण में रखकर ग्रुप का Logo बनाया गया है। हालांकि, सीक्रेट सोसाइटी होने के कारण कभी इस पर आधिकारिक मुहर नहीं लग सकी।

इलुमिनाती को पहले बिना किसी नुकसान का संगठन माना गया लेकिन फिर इसकी अजीबोगरीब बातें निकलकर आने लगीं। इस संगठन का यकीन था कि तकलीफ में खुदकुशी सही चुनाव है। इलुमिनाती के सदस्य गलती करने वालों को मौत की सजा देने पर यकीन रखते थे। साथ ही ये कि धर्म पर यकीन करने वाले मूर्ख हैं और उन्हें सजा मिलनी चाहिए। ऐसी बातें सामने आने के साथ ही इस संगठन पर लगाम कसी जाने लगी।

धरपकड़ में सदस्यों के घरों से न दिखाने देने वाली इंक जब्त हुई, जिससे आपत्तिजनक बातें फैलाई जाती थीं। खुदकुशी को प्रोत्साहन देने वाला साहित्य मिला। साथ ही कई अजीबोगरीब एजेंडा पर साहित्य का ढेर मिला। संगठन के फाउंडर प्रोफेसर एडम को यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया। वे लंबे समय बाद एक दूसरी जगह पढ़ाने लगे और अपेक्षाकृत शांत जीवन बिताने लगे। हालांकि उसके बाद भी दुनिया में जो भी हत्याएं या घटनाएं होती थीं, माना जाता था कि उसके पीछे इसी सीक्रेट ग्रुप का हाथ है।

यहां तक कि साल 1963 में अमेरिका के प्रेसिडेंट जॉन एफ कैनेडी की हत्या के पीछे भी इसी संगठन का हाथ कहा जाता है। 22 नवंबर 1963 को हुई ये हत्या अब भी अमेरिकी राजनीति के इतिहास का सबसे बड़ा रहस्य बनी हुई है। सालों से खुफिया एजेंसियां ये पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि हत्या में किसका हाथ था लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चल सका है। असल में कैनेडी की हत्या से ठीक पहले एक संदिग्ध महिला दिखी थी, जिसके हाथ में खुफिया कैमरानुमा पिस्टल था। हत्या के साथ ही वो औरत जैसे आई थी, वैसे ही गायब हो गई। आज तक ये पता नहीं लग सका कि वो महिला कौन थी और कहां से आई थी। कई संगठनों को यकीन है कि सीक्रेसी में जी रहा इलुमिनाती ग्रुप ही इसकी वजह है और वो रहस्यमयी महिला इसी से जुड़ी हुई थी।

दुनिया भर की मशहूर हस्तियां इस से जुड़ी हुई हैं । हमारे देश में भी कई लोग इल्युमिनाटी पर यकीन करते हैं। और उनका मानना है कि उनकी सफलता में इसी ताकत का हाथ है। आज भी ‘इलुमिनाती ग्रुप’ से जुड़े लोग रहस्यमयी ज़िंदगी जीते हैं। अमेरिकन सिंगर कैटी पैरी पर भी इस ग्रुप से जुड़े होने के आरोप लगे हैं। कैटी अपने कई म्जूकिल एलबम और अवॉर्ड नाइट परफॉर्मेंस में ‘इल्युमिनाटी’ से जुड़े चिन्ह को प्रदर्शित कर चुकी हैं। इसके अलावा जस्टिन बीबर, माइली सायरस, मडोना, ब्रिटनी स्पीयर्स, लेडी गागा, कान्ये वेस्ट, किम कार्दशियन, एमिनम और यो यो हनी सिंह जैसे सेलेब्स पर भी इस ग्रुप से जुड़े होने का शक है। अच्छा यहाँ पर एक Irony भी है, आप विज्ञापन  में देखिये, आपको मिलेगा की हमारे यहाँ शैतानी पूजा की काट की जाती है, मगर इनके यहाँ ज़्यादातर पहुँचते वो लोग हैं, जो ये कहते हैं की साहिब फलाने आदमी को नुकसान पहुंचाने के लिए शैतानी पूजा कर दीजिये।

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