आखिर कौन है ग्रेटा थनबर्ग, जिसका नाम पूरी दुनिया में गूंज उठा है?
स्टॉकहोम में 3 जनवरी 2003 को जन्मी ग्रेटा की मां एक अन्तरराष्ट्रीय ओपेरा सिंगर मालेना एमान हैं, जबकि पिता स्वांते थनबर्ग भी अभिनय की दुनिया में एक जाना माना नाम हैं। केवल आठ वर्ष की उम्र में ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना और उसे इस दिशा में बरती जा रही लापरवाही को लेकर चिंता होने लगी।
नयी दिल्ली। दुनिया के सातवें सबसे अमीर और संपन्न देश स्वीडन में रहने वाली ग्रेटा थनबर्ग पिछले एक वर्ष से ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ आक्रामक अभियान पर है और उसके प्रयासों का ही नतीजा है कि इस वर्ष उसके देश में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 8 प्रतिशत की कमी आई है। वह कहने को छोटी सी लड़की है पर दुनिया को पर्यावरण के खतरे से बचाने के लिए हर मंच पर दस्तक देती है। स्कूल से छुट्टी लेकर स्वीडन की संसद के सामने धरना प्रदर्शन करने से शुरूआत करने वाली ग्रेटा संयुक्त राष्ट्र के मंच से दुनियाभर के बड़े नेताओं को पर्यावरण को बर्बाद करने के लिए फटकार लगाती है और फिर अगले ही पल उन्हें आने वाले खतरे से आगाह करते हुए कुछ ठोस कदम उठाने की गुहार लगाती है।
“The people have spoken and we will continue to speak until our leaders listen. We are the change and change is coming.”
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) September 28, 2019
My full speech in print from yesterday’s march in Montreal, Canada. #ClimateStrike #FridaysForFuture https://t.co/sGfVLJFDIf pic.twitter.com/ThQ51Wpw06
स्टॉकहोम में 3 जनवरी 2003 को जन्मी ग्रेटा की मां एक अन्तरराष्ट्रीय ओपेरा सिंगर मालेना एमान हैं, जबकि पिता स्वांते थनबर्ग भी अभिनय की दुनिया में एक जाना माना नाम हैं। केवल आठ वर्ष की उम्र में ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना और उसे इस दिशा में बरती जा रही लापरवाही को लेकर चिंता होने लगी। 11 वर्ष की उम्र तक आते आते ग्रेटा को अवसाद और मनोरोग ने घेर लिया, लेकिन नन्ही बच्ची ने बड़ी हिम्मत के साथ एस्परजर सिंड्रोम का मुकाबला किया और इसकी वजह से आने वाली दिक्कतों के सामने घुटने टेकने की बजाय इसे अपनी हिम्मत बनाकर नये हौंसले के साथ पर्यावरण संरक्षण की अपनी मुहिम में जुट गई।
Over 1 million people on #ClimateStrike in Italy! #FridaysForFuture https://t.co/kMPKWW3Re9
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) September 28, 2019
ग्रेटा ने शुरूआत अपने घर से ही की और अपने माता पिता को मांसाहार का त्याग करने और विमान से यात्रा न करने के लिए तैयार किया। मालेना को अपने संगीत कार्यक्रमों के लिए अकसर दूसरे देशों में जाना होता था और परिवहन के किसी अन्य साधन से पहुंचना संभव नहीं था, लिहाजा उन्होंने दुनिया को बचाने निकली अपनी बेटी के लिए ओपेरा सिंगर के अपने अन्तरराष्ट्रीय करियर का बलिदान कर दिया। पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में ग्रेटा की इस पहल से उसका यह विश्वास पक्का हो गया कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो बदलाव लाया जा सकता है। 2018 में 15 वर्ष की उम्र में ग्रेटा ने स्कूल से छुट्टी ली और स्वीडन की संसद के सामने प्रदर्शन किया। उसके हाथ में एक बड़ी सी तख्ती थी, जिसपर बड़े अक्षरों में ‘स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट’ लिखा था।
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देखते ही देखते उसका अभियान रफ्तार पकड़ गया और बहुत से स्कूलों के बच्चे पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में ग्रेटा के हमकदम बन गए। उसके बोलने का लहजा और शब्दों के चयन ने उसे देखते ही देखते एक अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता बना दिया। इस काम में सोशल मीडिया ने उसकी खासी मदद की। अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर उसे तकरीर के लिए बुलाया जाने लगा। मई 2019 में उसके भाषणों का संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसे हाथोंहाथ लिया गया। इन दिनों वह स्कूल से एक साल की छुट्टी पर है। पिता को बेटी की पढ़ाई का हर्जा होने का दुख तो है, लेकिन इस बात की उम्मीद है कि उनकी पीढ़ी ने पर्यावरण को बर्बाद करने की जो गलती है, उनकी बेटी की रहनुमाई में आने वाली पीढ़ी उसे सुधारने की कोशिश कर सकती है।
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