पाकिस्तान हो या ईरान कोई भी घुस आता है...अब भारत से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदेगा तालिबान?

तालिबान के मंत्री मुत्ताकी हाल के दिनों में जब विदेश सचिव विक्रम मिसरी से मिला तो उनसे चाबहार पोर्ट से व्यापार करने को लेकर बात हुई है। तालिबान ने इसमें दिलचस्पी दिखाई कि इसके जरिए वो सेंट्रल एशिया में आगे बढ़ना चाहता है। कराची पोर्ट से पाकिस्तान पर वो अपनी निर्भरता कम कर सके उस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
तालिबान और पाकिस्तान के बीच का विवाद बढ़ता चला जा रहा है। दोनों देश एक दूसरे से आए दिन उलझते रहते हैं। बॉर्डर पर झड़पें होती रहती हैं। कभी तुर्खम बॉर्डर पाकिस्तान बंद कर देता है। कभी तालिबान के बना रहे पोस्ट का विरोध कर देता है। कभी हवाई अटैक कर देता है। कभी आतंकी हमलों के लिए उस पर दोष मढ़ देता है। कभी तालिबान की अंतरिम सरकार वो कहती है कि अफगानियों को पाकिस्तान जानबूझकर अपने मुल्क में पाकिस्तान परेशान करता है। अपने देश के अंदरुनी हालात की नाकामयाबी के लिए अफगानिस्तान पर आरोप पाकिस्तान की तरफ से लगाए जाते हैं। कुल मिलाकर कहे तो पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तालिबान के बीच के रिश्तें बेहद ही तल्खी भरे हैं। ऐसे में अफगानिस्तान नए रास्ते तलाश रहा है। इन नए रास्तों में उसके साथ भारत खड़ा दिख रहा है।
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कराची पोर्ट पर भी अफगानिस्तान की बहुत निर्भरता है। दूसरी तरफ भारत और ईरान का चाबहार पोर्ट है। तालिबान के मंत्री मुत्ताकी हाल के दिनों में जब विदेश सचिव विक्रम मिसरी से मिला तो उनसे चाबहार पोर्ट से व्यापार करने को लेकर बात हुई है। तालिबान ने इसमें दिलचस्पी दिखाई कि इसके जरिए वो सेंट्रल एशिया में आगे बढ़ना चाहता है। कराची पोर्ट से पाकिस्तान पर वो अपनी निर्भरता कम कर सके उस दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन अफगानिस्तान की सुरक्षा एक बड़ा मसला है। तालिबान अक्सर इस बात को अहसास करता है कि उनके देश में कोई भी घुसकर बम गिराकर चला जाता है। कभी ईरान से तनाव हुआ तो उसकी तरफ से एयरस्ट्राइक कर दी जाती है। पाकिस्तान की तरफ से भी कभी ड्रोन भेज दिया जाता है। इसकी चिताएं जताई जा रही हैं।
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हवाई सीमा यानी एयर डिफेंस मजबूत करने की दिशा में तालिबान सोचने लगा है। अफ़गानिस्तान में बेहतर हवाई सुरक्षा ऐसे ड्रोन ऑपरेशन को जटिल बना सकती है। मार्च में तालिबान ने कहा कि अमेरिकी ड्रोन देश के हवाई क्षेत्र में गश्त कर रहे थे और उल्लंघन कर रहे थे। सॉल्टमन इंस्टिट्यूट ऑफ वॉर एंड पीस में एसोसिएट रिसर्चर स्कॉलर सिबग्हतुल्लाह गजनवी लिखते हैं कि तालिबान के रक्षा मंत्रालय के रसद विभाग के प्रमुख ने रूस से वायु रक्षा प्रणाली खरीदने में रुचि व्यक्त की है। यह भी एक गंभीर खतरा है कि रूस द्वारा समूह को दी जाने वाली कोई भी हवाई रक्षा नागरिक उड्डयन को खतरे में डाल सकती है। अफ़गान हवाई क्षेत्र यूरोप और एशिया के बीच एक प्रमुख मार्ग बन गया है, कई एयरलाइनर जो वर्षों से इसे टाल रहे थे, उन्होंने मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच देश के ऊपर से अपनी उड़ानों की संख्या बढ़ा दी है। वहीं भारत द्वारा हाल ही में विकसित बहुत कम दूरी की रक्षा प्रणाली तालिबान के सामने आने वाले ड्रोन अटैक के खिलाफ अलग विकल्प हो सकता है।
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