अफगानिस्तान में भुखमरी का भीषण संकट, श्रम के बदले गेहूं देने का किया ऐलान
तालिबान ने देश के लोगों को काम के बदले गेंहू देने का ऑफर दिया है। तालिबान ने भले ही लोगों को राहत देने के लिए ये स्कीम शुरू की है। लेकिन देश इतने बुरे हालातों में फंसा हुआ है कि इस प्रयास को बेहद कम माना जा रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश में भुखमरी और बेरोजगारी की समस्या एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। दिन पर दिन आर्थिक और मानवीय त्रासदी गहराती जा रही है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने संकेत दिए हैं कि देश में नवंबर महीने में खाद्य संकंट और ज्यादा विकट हो सकता है। हालांकि बढ़ती बेरोजगारी के बीच तालिबान ने देश के लोगों को काम के बदले गेंहू देने का ऑफर दिया है। तालिबान ने भले ही लोगों को राहत देने के लिए ये स्कीम शुरू की है। लेकिन देश इतने बुरे हालातों में फंसा हुआ है कि इस प्रयास को बेहद कम माना जा रहा है।
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तालिबानी हुकूमत की इस योजना के तहत काबुल में दो महीने में करीब 11,600 टन गेहूं का वितरण किया जाएगा। इसके अलावा हेरात, जलालाबाद, कंधार, मजार-ए-शरीफ और पोल-ए-खोमरी सहित देश के बाकी शहरों में 55,000 टन गेहूं वितरित किए जाने की योजना है। इस योजना के तहत सूखे से निपटने के इंतजाम किए जाएंगे। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान की अंतरिम सरकार ने लोगों को श्रम के बदले गेहूं देने की घोषणा की है।
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तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक प्रेस कॉनफ्रेंस में कहा कि सरकार ने एक कार्यक्रम लॉन्च किया है। जिसके तहत लोगों को काम के बदले अनाज दिया जाएगा। मुजाहिद के मुताबिक ये कार्यक्रम देश के तकरीबन सभी बड़े शहरों में चलाया जाएगा। अकेले काबुल शहर में इसके तहत चालीस हजार लोगों को रोजगार मुहैया कराने की तैयारी है।
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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि अबतक करीब 1.9 करोड़ अफगान लोगों को विकट खाद्य संकट से जूझना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर महीने में देश की आधी से ज्यादा आबादी के सामने विकट खाद्य संकट मौजूद होगा। वहीं कई रिपोर्ट्स अफगानिस्तान में भुखमरी के भयावह हालातों को बयां कर रहे हैं। कुछ समय पहले तो ये भी खबर आई थी कि कर्ज चुकाने के लिए लोग अपने बच्चों को बेच रहे हैं।
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