Russia: प्रिगोझिन की सैन्य बगावत रूस की कानून प्रणाली कमजोर होने का संकेत
इसके विपरीत देश में निजी सेना कंपनी ‘वैग्नर ग्रुप’ के संस्थापक प्रिगोझिन को एक लालची व्यक्ति के तौर पर पेश करने की कोशिश की जा रही है और इस बात के केवल संकेत दिए गए हैं कि उनके खिलाफ राजकोष में अरबों डॉलर की राशि के हेर-फेर के आरोपों की जांच की जाएगी।
ताल्लिन। रूस में बगावत का झंडा बुलंद करने वाली निजी सेना के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन को 24 जून के सशस्त्र विद्रोह के लिए अभियोजन से मुक्त कर दिया गया है लेकिन यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि सैन्य नेताओं के खिलाफ विद्रोह एवं उसके कारण हुई जवानों की मौत को लेकर किसी पर कोई आरोप लगाए जाएंगे या नहीं। इसके विपरीत देश में निजी सेना कंपनी ‘वैग्नर ग्रुप’ के संस्थापक प्रिगोझिन को एक लालची व्यक्ति के तौर पर पेश करने की कोशिश की जा रही है और इस बात के केवल संकेत दिए गए हैं कि उनके खिलाफ राजकोष में अरबों डॉलर की राशि के हेर-फेर के आरोपों की जांच की जाएगी।
रूस में निजी सैन्य कंपनियों के तकनीकी रूप से अवैध होने के मद्देनजर सरकार पिछले सप्ताह तक प्रिगोझिन के वित्तपोषण से इनकार करती रही थी, लेकिन देश के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब खुलासा किया कि वैग्नर को मात्र एक साल में राजकोष से एक अरब डॉलर का भुगतान किया गया और प्रिगोझिन की एक अन्य कंपनी ने सरकारी ठेकों से इतनी ही राशि कमाई। प्रिगोझिन के विद्रोह को पुतिन ने राजद्रोह करार दिया था। इसके बावजूद उन्हें सजा नहीं दी गई है। सेंट पीटर्सबर्ग नगरपालिका परिषद सदस्य निकिता युफेरेव ने इसे रूस में ‘‘कानूनी प्रणाली का धीरे-धीरे’’ कमजोर होना बताया।
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कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर के वरिष्ठ फेलो आंद्रेई कोलेनिकोव ने प्रिगोझिन के विद्रोह को लेकर लिखा, ‘‘ सरकार का ताना-बाना बिखर रहा है।’’ अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या प्रिगोझिन बेलारूस जाएंगे या नहीं। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जैंडर लुकाशेंको ने बृहस्पतिवार को कहा था कि प्रिगोझिन सेंट पीटर्सबर्ग में हैं और उनके सैनिक शिविरों में हैं। प्रिगोझिन की बगावत के बाद बेलारूस के राष्ट्रपति ने एक समझौता कराने में मदद की थी जिसमें प्रिगोझिन और उनके सैनिकों के लिए सुरक्षा का वादा तथा उनके बेलारूस जाने की बातें शामिल थीं। वैग्नर समूह ने बगावत करते हुए रोसतोव-ऑन-दोन शहर तथा वहां के सेना मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था। प्रिगोझिन ने इसे रूस के रक्षा मंत्री तथा जनरल स्टॉफ चीफ को पद से हटाने के लिए ‘‘न्याय मार्च’’ करार दिया था।
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