Prabhasakshi NewsRoom: Afghan Taliban ने Pakistan को कराया आतंकवाद के दर्द का अहसास, तो शांति की अपील करने लगा इस्लामाबाद

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हम आपको बता दें कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर ‘अकारण और अंधाधुंध’ गोलीबारी करने का आरोप लगाया है क्योंकि इस वजह से एक अहम सीमा क्रॉसिंग को बंद करना पड़ा है। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि ऐसे हमले आतंकवादियों को प्रोत्साहन देते हैं।

आतंकवाद किसी का सगा नहीं होता और आतंकवाद एक दिन भस्मासुर साबित होता है यह बात शायद अब पाकिस्तान को समझ आने लगी है। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अफगानिस्तान से पाकिस्तान पर जो हमले हो रहे हैं उससे पाकिस्तान को अब आतंकवाद के उस दर्द का अहसास हो रहा है जो उसने दशकों तक भारत को दिया। अफगानिस्तान की ओर से जो हमले किये जा रहे हैं उसने पाकिस्तान को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है जिससे अब वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगा रहा है। यही नहीं पाकिस्तान अब दुनिया को चेता रहा है कि यदि इन आतंकवादियों का हौसला बढ़ा तो यह दुनिया के लिए खतरनाक होगा।

हम आपको बता दें कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर ‘अकारण और अंधाधुंध’ गोलीबारी करने का आरोप लगाया है क्योंकि इस वजह से एक अहम सीमा क्रॉसिंग को बंद करना पड़ा है। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि ऐसे हमले आतंकवादियों को प्रोत्साहन देते हैं जिन्हें पहले से तालिबान शासित राष्ट्र में पनाह मिली हुई है। हम आपको याद दिला दें कि दोनों देशों के सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी के बाद तोरखम सीमा क्रॉसिंग को पिछले बुधवार को बंद कर दिया गया था। यह क्रॉसिंग पाकिस्तान और चारों ओर से भूमि से घिरे अफगानिस्तान के बीच लोगों और सामान के आवागमन का अहम केंद्र है। गोलीबारी की इस घटना की वजह से सामान से भरे सैंकड़ों ट्रकों की कतार लग गई और लोगों को सरहद पार करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। दोनों देश तालिबान की ओर से सरहद पर शुरू किए गए निर्माण को लेकर मतभेदों को हल करने में नाकाम रहे हैं।

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विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज़ ज़हरा बलोच ने कहा कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र के अंदर अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार द्वारा किसी भी ढांचे के निर्माण को स्वीकार नहीं कर सकता है, क्योंकि इससे उसकी संप्रभुता का उल्लंघन होता है। प्रवक्ता ने कहा कि जब अफगानिस्तान के कर्मियों को ऐसे अवैध ढांचों के निर्माण से रोका गया तो शांतिपूर्ण समाधान की बजाय छह सितंबर को अफगान सैनिकों ने पाकिस्तान की सैन्य चौकियों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलीबारी की जिससे तोरखम सीमा टर्मिनल पर अवसंरचना को नुकसान पहुंचा और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के नागरिकों की जिंदगियों को खतरे में डाला गया। मुमताज़ ज़हरा बलोच ने कहा, “पाकिस्तानी सरहद चौकियों पर ऐसी अकारण और अंधाधुंध गोलीबारी को किसी भी परिस्थितियों में जायज नहीं ठहराया जा सकता है। अफगान सुरक्षा बलों द्वारा अकारण गोलीबारी निरपवाद रूप से आतंकवादी तत्वों को प्रोत्साहित करती है। इन तत्वों को अफगानिस्तान के अंदर पनाह मिली हुई है और इसकी पुष्टि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘ऐनालिटिकल सपोर्ट एंड सेंक्शन मॉनिटरिंग टीम’ ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में की है।” बलोच ने कहा, ''पिछले कई दशकों से, पाकिस्तान ने अफगान पारगमन व्यापार को सुविधाजनक बनाया है और ऐसा आगे भी करता रहेगा। हालांकि, पाकिस्तान पारगमन व्यापार समझौते के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दे सकता है।” उन्होंने कहा, ''हम अपेक्षा करते हैं कि अफगानिस्तान का अंतरिम प्रशासन पाकिस्तान की चिंताओं को समझे और पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे तथा सुनिश्चित करे कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमले करने के लिए ‘लॉन्चिंग पैड’ के तौर पर नहीं हो।” हम आपको बता दें कि ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2,600 किलोमीटर की सीमा से जुड़े मसले दशकों से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवाद का कारण बने हुए हैं।

हम आपको यह भी बता दें कि पाकिस्तान ने पिछले सप्ताह कहा था कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से वापसी के दौरान अमेरिकी सैनिकों ने जिन हथियारों को वहीं छोड़ दिया था, वे अब आतंकियों के हाथों में चले गए हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान ने विश्व का ध्यान इस मुद्दे पर आकृष्ट करने का प्रयास किया। विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने साप्ताहिक ब्रीफिंग में यह बात कही थी। उनका यह बयान तब आया था जब अफगानिस्तान के विद्रोहियों ने एक सैन्य चौकी पर हमला किया था जिसमें चार पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा, 'हम किसी को दोष नहीं देते हैं लेकिन अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों पर विश्व को ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वे अब आतंकवादी संगठनों के हाथों में पड़ गए हैं।' उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से आतंकवादी हमलों का मुद्दा वहां की अंतरिम सरकार के साथ उठाया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान देश से आतंकवाद को खत्म करने के लिए कटिबद्ध है।

लेकिन यहां पाकिस्तान के दावे पर सवाल है क्योंकि व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी जॉन किर्बी ने इस बात से इंकार किया है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में करीब सात अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के हथियार और उपकरण छोड़े हैं, जिनका इस्तेमाल अब आतंकवादी समूह पाकिस्तान के खिलाफ कर रहे हैं। किर्बी ने कहा कि अमेरिकी बलों द्वारा वहां कोई उपकरण नहीं छोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि जब अमेरिकी सैनिकों का वापसी अभियान पूरा हुआ तो हवाई अड्डे पर कुछ उपकरण और कुछ विमान थे, लेकिन अमेरिकी सैनिकों के वहां से निकलते ही वे सभी बेकार हो गए। उन्होंने कहा कि लोग जिन उपकरणों को अमेरिकी बता रहे हैं, वे पहले ही अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों को सौंप दिए गए थे।

दूसरी ओर, अफगानिस्तान के हालात के बारे में वहां के एक पूर्व कमांडर ने कहा है कि अमेरिकी सेना के दो साल पहले अचानक काबुल छोड़ने के बाद देश में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो रही है। उनका कहना है कि तालिबान अब गुटबाजी से पीड़ित है और यह तेजी से विदेशी आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनता जा रहा है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर वर्ष 2021 में कब्जे के दौरान सेना के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हिबतुल्लाह अलीजई ने एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मेरा मानना है कि अफगानिस्तान में स्थिति बहुत गंभीर और खतरनाक है और यह एक खतरनाक दिशा की तरफ बढ़ रही है। इस स्थिति में अफगानिस्तान में गृह युद्ध या फिर देश विभाजित हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बीते दो वर्षों में इस पर आतंकवादियों का नियंत्रण रहा है और इसका शासन उन्हीं के हाथों में है।’’ हम आपको बता दें कि हबितुल्लाह अलीजई वर्तमान में अमेरिका में रह रहे हैं और उन्होंने हाल में देश के बाहर अफगानिस्तान के लोगों को एकजुट करने के लिए एक पहल शुरू की है।

अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए पूर्व कमांडर ने अफगानिस्तान और उसके लोगों को अचानक तालिबान के रहम पर छोड़ने के लिए जो बाइडन प्रशासन को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों की संख्या बढ़ी है। पूर्व कमांडर ने आरोप लगाया कि अल-शबाब जैसे अफ्रीकी आतंकवादी समूहों ने भी अफगानिस्तान में अपने पैर जमा लिए हैं और अपने आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना भी शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में ये सब कुछ तालिबान के शासन में हो रहा है।’’ अलीजई ने कहा, ‘‘यही स्थिति है। अल-कायदा सक्रिय है। दाएश अधिक से अधिक सक्रिय हो रहा है और विभिन्न हिस्सों में तालिबान शासन के खिलाफ कई विरोधी समूहों की घोषणा और स्थापना की जा रही है, जो निश्चित रूप से अफगानिस्तान को एक और गंभीर गृह युद्ध या संभावित विभाजन (अफगानिस्तान) की ओर ले जाएगा।’’ एक सवाल के जवाब में अलीजई ने कहा कि तालिबान के तहत अफगानिस्तान आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनता जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उस समय बाइडन प्रशासन ने या खासतौर पर स्वयं बाइडन ने बहुत बड़ी भूल की थी। उनके पास अफगानिस्तान के बारे में अधिक जानकारी जुटाने तथा देश की स्थिति के बारे में थोड़ा और गहराई से जानने का अवसर था। लेकिन यह निर्णय बहुत ही जल्दबाजी में लिया गया और यहां तक कि फैसले के वक्त अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के बारे में भी नहीं सोचा गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह इन सबके के बाद भी नहीं सुनते तो अफगानिस्तान वर्ष 2001 के पहले से भी बदत्तर स्थिति में हो जाएगा।'' अलीजई के अनुसार, तालिबान पूरे अफगानिस्तान को नियंत्रित नहीं कर रहा है। तालीबान बहुत बुरी स्थिति में है। उनके मुताबिक तालिबान में भी चार धड़े हैं - कंधारी तालिबान, हेलमंदी तालिबान, हक्कानी समूह और अमेरिका के साथ बातचीत के लिए दोहा गए तालिबानी प्रतिनिधियों का नेतृत्व करने वाला समूह।

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