‘होम टेस्ट’ से भी ‘ओमीक्रोन’ का पता लगाया जा सकता है, हालांकि सटीकता थोड़ी कम
कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ का क्या घर पर जांच (होम टेस्ट) करके पता लगाया जा सकता है...? इस सवाल का जवाब तो हां है, लेकिन अमेरिका के कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कई बार ‘वायरल लोड’ कम होने पर यह अक्सर संक्रमण का पता नहीं लगा पाता।
वाशिंगटन। कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ का क्या घर पर जांच (होम टेस्ट) करके पता लगाया जा सकता है...? इस सवाल का जवाब तो हां है, लेकिन अमेरिका के कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कई बार ‘वायरल लोड’ कम होने पर यह अक्सर संक्रमण का पता नहीं लगा पाता। ‘होम टेस्ट’ (घर पर किट से जांच) के उपयोग को लेकर सरकार की सिफारिशें बदली नहीं हैं। तुरंत संक्रमण का पता लगाने के लिए लोगों को उनका उपयोग करना जारी रखना चाहिए।
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‘कॉलेज ऑफ अमेरिकन पैथोलॉजिस्ट’ की अध्यक्ष डॉ. एमिली वोल्क ने कहा, ‘‘ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कोविड-19 का पता लगा लेते हैं, चाहे वह डेल्टा, अल्फा या ओमीक्रोन कोई भी स्वरूप हो।’’ सरकारी वैज्ञानिक यह सुनिश्चित करने के लिए जांच कर रहे हैं कि ‘रैपिड’ जांच अब भी कारगर है या नहीं। इस हफ्ते, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कहा था कि प्रारंभिक शोध से संकेत मिले हैं कि जांच में ‘ओमीक्रोन’ स्वरूप का पता चलता है, लेकिन ‘वायरल लोड’ कम होने पर यह अक्सर संक्रमण का पता नहीं लगा पाता। एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि वे अब भी इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि हर नए स्वरूप पर जांच कैसे काम करती है।
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अमेरिका में संक्रामक रोग के विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा कि एफडीए पूरी तरह ‘‘पारदर्शिता’’ रखना चाहता है, सटीकता थोड़ी कम हो सकती है लेकिन जांच अब भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। वोल्क ने कहा कि ‘होम टेस्ट’ के कई फायदे हैं। इसका इस्तेमाल कर आप परिवार और दोस्तों के साथ सुरक्षित माहौल में समय बिता सकते हैं।
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