निजी कारण से कभी किसी सेना प्रमुख से नहीं की मुलाकात, शहबाज शरीफ ने आर्मी संग करीबी को लेकर दी सफाई
प्रधानमंत्री शहबाज़ ने कहा कि राजनीति में अपने 38 वर्षों के दौरान उन्होंने कई सेना प्रमुखों से मुलाकात की है। मैं राजनीति में अपने समय के दौरान कई प्रमुख सेना प्रमुखों से मिल चुका हूं।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को खुद को प्रतिष्ठान का आदमी बताए जाने पर दुख जताते हुए कहा कि वह केवल देश की भलाई के लिए सेना के शीर्ष नेताओं से मिले, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं। मुझे सत्ता प्रतिष्ठान का आदमी कहा जाता है, लेकिन मुझे उन तानों की परवाह नहीं है। मैं निजी कारणों से कभी भी सेना प्रमुखों से नहीं मिला। उन मुलाकातों के पीछे एकमात्र मकसद यह सुनिश्चित करना था कि सत्ता प्रतिष्ठान और सरकारें मिलकर देश को आगे ले जाएं। प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद में नवनिर्मित भारा काहू बाईपास परियोजना का उद्घाटन करने के बाद यह टिप्पणी की है।
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प्रधानमंत्री शहबाज़ ने कहा कि राजनीति में अपने 38 वर्षों के दौरान उन्होंने कई सेना प्रमुखों से मुलाकात की है। मैं राजनीति में अपने समय के दौरान कई प्रमुख सेना प्रमुखों से मिल चुका हूं। लेकिन इसके पीछे एकमात्र विचार पाकिस्तान को ऐसे स्तर पर ले जाना है जिसके लिए सैकड़ों मुसलमानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। पीएम शहबाज ने उल्लेख किया कि ऐसी खबरें थीं कि वह पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ के बहुत करीबी थे। लेकिन मुझे क्या मिला? नवाज़ शरीफ़ को जेल में डाल दिया गया और मुझे भी।
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प्रधानमंत्री ने उस स्थिति पर अफसोस जताते हुए कहा कि मेरे मन में केवल एक ही विचार था कि वंचितों के लिए काम करना। उन्होंने भारा काहू बाईपास परियोजना के लिए समर्पित समर्थन के लिए सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल सैयद असीम मुनीर की भी सराहना की।
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