जलवायु परिवर्तन के चलते समुद्री बर्फ पिघलने से ‘पोलर बियर’ का जीवन हुआ मुश्किल
इस दौरान हमने पाया कि तट पर अधिक दिन बिताने के कारण उनके दूध की गुणवत्ता और मात्रा में गिरावट आई।कुछ मादा भालुओं ने दूध देना पूरी तरह बंद कर दिया था। जिन भालुओं ने कम स्तनपान कराया, उन्हें अपनी ऊर्जा कम खर्च करने का फायदा हुआ। हालांकि जिन बच्चों को कम ऊर्जा वाला दूध मिला, उनके विकास पर इसका असर पड़ा। दीर्घावधि में, इससे बच्चों का जीवन कम हो सकता है और अंततः आबादी की गतिशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
समुद्री बर्फ जब पिछलने लगती है, तो ‘पोलर बियर’ को कई महीनों तक बिना भोजन के भूमि पर रहना पड़ता है। भूखे रहने की यह अवधि सभी भालुओं के लिए चुनौतीपूर्ण होती है, खासकर उन मादा पोलर बियर के लिए, जो अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं। ‘मरीन इकोलॉजी प्रोग्रेस सीरीज’ में प्रकाशित हमारे शोध में पता चला है कि समुद्री बर्फ पिघलने पर भूमि पर बिताये जाने वाले समय बढ़ने से पोलर बियर के स्तनपान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खराब स्तनपान एक ऐसी वजह है, जिससे संभवतः हाल मेंपोलर बियर की आबादी में गिरावट हुई है। यह शोध बताता है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री बर्फ के पिघलने से पोल बियर भविष्य में कैसे प्रभावित हो सकते हैं।
समुद्री बर्फ आपको एक विशाल और अनुपयोगी चीज प्रतीत हो सकती है, लेकिन आर्कटिक की बर्फ में पोलर बियर को ऊर्जा से भरपूर सील मछली मिलती है, जिसका शिकार करके वे अपना पेट भरते हैं। कनाडा के पश्चिमी हडसन खाड़ी क्षेत्र में पोलर बियर मौसमी समुद्री बर्फ का अनुभव करते हैं, जो गर्मी के महीनों में पिघल जाती है। इसके चलते वे तब तक के लिए भूमि पर जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जब तक कि सर्दी के ठंडे तापमान में समुद्री बर्फ फिर से न जम जाए। भूमि पर रहते हुए, शिकार के अवसर बहुत कम होते हैं और पोलर बियर आमतौर पर अपना समय उपवास की स्थिति में बिताते हैं। इन मुश्किल महीनों के दौरान पोलर बियर जीवित रहने के लिए अपने शरीर में मौजूद विशाल वसा भंडार पर निर्भर रहते हैं। जब ये भालू गर्मी की शुरुआत में तट पर आते हैं, तो इनमें से कुछ के शरीर में लगभग 50 प्रतिशत तक वसा कम हो जाती है।
जमीन पर रहते हुए, पोलर बियर का वजन प्रति दिन लगभग एक किलोग्राम कम हो सकता है, इसलिए उन्हें अपनी ऊर्जा का सावधानीपूर्वक खर्च करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए अधिकांश पोलर बियर गतिविधियां कम कर देते हैं और ऊर्जा बचाते हैं। मादाओं को बच्चों के स्तनपान के अतिरिक्त बोझ को भी ध्यान में रखना होता है। पोलर बियर के दूध में काफी ऊर्जा होती है। इसमें 35 प्रतिशत तक वसा होती है और यह क्रीम की तरह होता है। यह उच्च वसा वाला दूध बच्चों के तेज विकास में मदद करता है, जिनका वजन जन्म के समय केवल 600 ग्राम होता है, जो लगभग ढाई साल की उम्र तक पहुंचने पर 100 किलोग्राम से अधिक हो जाता है और वे अपनी माताओं को छोड़कर स्वतंत्र हो जाते हैं।
भूमि पर बिताए गए समय के दौरान मादा पोलर बियर को कठिन हालात का सामना करना पड़ता है। स्तनपान बंद करने पर उन्हें बढ़ते बच्चों के स्वास्थ्य के जोखिम में पड़ने का खतरा होता है जबकि स्तनपान जारी रखने पर उनकी खुद की जान खतरे में पड़ जाती है क्योंकि उनका ऊर्जा भंडार खत्म होने लगता है। मादाएं स्तनपान कैसे कराती हैं, यह बेहतर ढंग से समझने के लिए हमारी शोध टीम ने 1980 और 1990 के दशक में पोलर बियर के भूमि पर रहने के दौरान एकत्रित दूध के नमूनों से संबंधित डेटा पर गौर किया। हमने समुद्री बर्फ पिघलने की तारीखों के आधार पर अनुमान लगाया कि प्रत्येक मादा पोलर बियर कितने समय से उपवास कर रही थी।
इस दौरान हमने पाया कि तट पर अधिक दिन बिताने के कारण उनके दूध की गुणवत्ता और मात्रा में गिरावट आई।कुछ मादा भालुओं ने दूध देना पूरी तरह बंद कर दिया था। जिन भालुओं ने कम स्तनपान कराया, उन्हें अपनी ऊर्जा कम खर्च करने का फायदा हुआ। हालांकि जिन बच्चों को कम ऊर्जा वाला दूध मिला, उनके विकास पर इसका असर पड़ा। दीर्घावधि में, इससे बच्चों का जीवन कम हो सकता है और अंततः आबादी की गतिशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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