दुनिया को तालिबान का सच दिखा रहे पत्रकारों की बेरहमी से पिटाई, पढ़ें लड़ाकों के जुल्म की खौफनाक सच्चाई
काबुल की सड़कों पर मंगलवार को उस समय विरोध प्रदर्शन हुए जब महिलाओं के एक बड़े समूह ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए। तालिबान ने हवा में गोलियां चलाईं और विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे कई पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया।
काबुल की सड़कों पर मंगलवार को उस समय विरोध प्रदर्शन हुए जब महिलाओं के एक बड़े समूह ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए। तालिबान ने हवा में गोलियां चलाईं और विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे कई पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया। कुछ दिनों बाद, दो अफगान पत्रकारों की तस्वीरें सामने आईं, जो काबुल के विरोध प्रदर्शनों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे, तालिबान द्वारा पिटाई से वह पत्रकार बहुत बुरी तरह घायल हो गए। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि काबुल में महिलाओं के विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाले अफगानिस्तान के दो पत्रकारों को मंगलवार को तालिबान सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर हिरासत में लिया और बुरी तरह पीटा।
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काबुल स्थित मीडिया आउटलेट एतिलात-ए-रोज के तकी दरयाबी और नेमत नकदी को मंगलवार को कथित तौर पर हिरासत में लिया गया और उन पर हमला किया गया। पत्रकार तालिबान द्वारा महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के उल्लंघन को समाप्त करने की मांग को लेकर काबुल में महिलाओं के विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे थे। एतिलात-ए-रोज़ ने बताया कि तालिबान के अधिकारी कथित तौर पर दो लोगों को काबुल के एक पुलिस स्टेशन में ले गए, उन्हें अलग-अलग कक्षों में रखा और उन्हें केबल से बुरी तरह पीटा। दोनों पुरुषों को 8 सितंबर को रिहा कर दिया गया था और उनकी पीठ और चेहरे पर चोटों के लिए एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
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एतिलात-ए-रोज़ के प्रधान संपादक ज़की दरयाबी ने कहा "मेरे दो सहयोगियों को तालिबान ने हिरासत में लिया, चार घंटे तक पीटा। उन्होंने आगे कहा कि तालिबान की लगातार और क्रूर यातना के तहत, पत्रकार चार बार बेहोश हो गये। ह्यूमन राइट्स वॉच ने यह भी बताया कि तालिबान अधिकारियों ने 7 सितंबर को एक टोलन्यूज़ फोटो जर्नलिस्ट, वाहिद अहमदी को हिरासत में लिया और उसी दिन उन्हें रिहा कर दिया। उन्होंने उसका कैमरा जब्त कर लिया और अन्य पत्रकारों को विरोध को कवर करने से रोक दिया।
महिलाओं ने शनिवार को लगातार दूसरे दिन अफगानिस्तान की राजधानी में मार्च किया और अपनी स्वतंत्रता की मांग को नए इस्लामी शासन के तहत गारंटी दी गई। तालिबान ने इस्लामी कानून के अनुसार महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने का वचन दिया है, लेकिन अधिवक्ताओं को दो दशकों के बाद पीछे हटने का डर है जिसमें महिला कार्यकर्ता मीडिया, न्यायपालिका और राजनीति सहित पहले के सभी पुरुष गढ़ों में शामिल हो गई हैं।
इसके अलावा भी महिलाओ के प्रति तालिबान के रवैये से दुनिया वाकिफ है। प्रदर्शन कर रही महिलाओ की मांग को कवर कर रहे पत्रकारों की पिटाई की है। एक ट्वीट में, अमेरिकी पत्रकार मार्कस याम ने दो पत्रकारों की एक तस्वीर साझा की, जिसमें उनके शरीर पर खून के थक्के दिखाई दे रहे हैं। यम ने लिखा, "दर्दनाक। नेमत नकदी और तकी दरियाबी के अफगान पत्रकार काबुल में एक महिला रैली पर रिपोर्टिंग के लिए हिरासत में लिए जाने के बाद तालिबान की यातना और पिटाई से लगे घावों को प्रदर्शित करते हैं।
Painful. Afghan journalists from @Etilaatroz, Nemat Naqdi & Taqi Daryabi, display wounds sustained from Taliban torture & beating while in custody after they were arrested for reporting on a women’s rally in #Kabul, #Afghanistan.#JournalismIsNotACrime https://t.co/jt631nRB69 pic.twitter.com/CcIuCy6GVw
— Marcus Yam 文火 (@yamphoto) September 8, 2021
आस्ट्रेलिया के एसबीएस टीवी ने तालिबान के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा है कि उन्होंने महिला खेलों खासकर महिला क्रिकेट पर रोक लगा दी है। तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्लाह वासिक के हवाले से नेटवर्क ने कहा ,‘‘ क्रिकेट में ऐसे हालात होते हैं कि मुंह और शरीर ढका नहीं जा सकता। इस्लाम महिलाओं को ऐसे दिखने की इजाजत नहीं देता।’’ उसने कहा ,‘‘ यह मीडिया का युग है जिसमें फोटो और वीडियो देखे जायेंगे। इस्लाम और इस्लामी अमीरात महिलाओं को क्रिकेट या ऐसे खेल खेलने की अनुमति नहीं देता जिसमें शरीर दिखता हो।’’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि वो अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवादी खतरे से निपटने के लिये अपने पास मौजूद सभी संसाधनों का इस्तेमाल करें और युद्ध प्रभावित देश में एक “समावेशी” सरकार की स्थापना का समर्थन करें। तालिबान ने एक दिन पहले ही अंतरिम सरकार की घोषणा की है जिसमें विद्रोही समूह के शीर्ष नेताओं का वर्चस्व है। गुतारेस नेअफगानिस्तान की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थ पर यहां जारी एक रिपोर्ट में कहा, “अफगानिस्तान को फिर कभी किसी देश को धमकी देने या उसपर हमला करने के लिए आतंकवादी संगठनों के एक मंच या सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। मैं सुरक्षा परिषद और समग्र रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करता हूं कि वे एक स्वर में बोलें, एक साथ कार्य करें और अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवादी खतरे का मुकाबला करने के लिए अपने पास उपलब्ध सभी साधनों का उपयोग करें, यह सुनिश्चित करें कि मौलिक मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए और एक समावेशी सरकार की स्थापना का समर्थन किया जाए।” उन्होंने कहा कि दुनिया अफगानिस्तान में स्थिति को बहुत भारी मन और गहरी बेचैनी के साथ देख रही है कि आगे क्या होगा। गुतारेस ने कहा, “दुनिया अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं को भारी मन और गहरी बेचैनी के साथ देख रही है कि आगे क्या होगा।
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