Prabhasakshi Exclusive: Israel-Hamas war में आया नया मोड़, Rafah में IDF का पहुँचना आखिर कैसे Pressure Cooker के समान होगा?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा कई राजनयिक प्रस्तावित अस्थायी संघर्ष विराम और बंधक रिहाई समझौते की रूपरेखा पर हमास के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में कतरी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उग्रवादी समूह हमास ने ''प्रारंभिक सकारात्मक पुष्टि'' की है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि इजराइल-हमास संघर्ष अब किस मोड़ पर है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह संघर्ष खिंचता नजर आ रहा है क्योंकि दोनों ही पक्ष झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ताजा खबर यह है कि हफ्तों की बमबारी और गहन जमीनी अभियानों के बाद खान यूनिस में हमास को ''विघटित'' करने के बाद, इजरायल की सेना गाजा के सबसे दक्षिणी शहर राफा तक अपने आक्रामक रुख को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी एन्क्लेव की आधी से अधिक आबादी ने इजराइली हमले के बाद से राफ़ा में शरण ले रही है लेकिन अब उसके सामने संकट है कि वह जाए तो जाए कहां? उन्होंने कहा कि एक तरह से राफ़ा में इजराइली सेना का पहुँचना प्रेशर कुकर की भांति होगा क्योंकि यदि यहां आम लोग निशाने पर आये तो हमास के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जायेगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा कई राजनयिक प्रस्तावित अस्थायी संघर्ष विराम और बंधक रिहाई समझौते की रूपरेखा पर हमास के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में कतरी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उग्रवादी समूह हमास ने ''प्रारंभिक सकारात्मक पुष्टि'' की है। उन्होंने कहा कि साथ्ज्ञ ही इज़राइल का युद्ध मंत्रिमंडल भी आगे की बातचीत शुरू करने से पहले हमास की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि देखा जाये तो हमास-इजराइल युद्ध को चार महीने पूरे होने वाले हैं, ऐसे में कुछ इजराइली गाजा पट्टी से शेष 136 बंधकों को छुड़ाने में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू और उनकी सरकार की विफलता को लेकर लगातार आक्रोश भी प्रकट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इजराइली प्रदर्शनकारियों ने नेतान्याहू के इस्तीफे की मांग की है जबकि बंधक बनाए गए लोगों के परिवारों के दर्जनों सदस्यों ने 22 जनवरी 2024 को इजराइली संसद पर धावा बोल दिया और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता करने की मांग की। उन्होंने कहा कि देखने में आ रहा है कि युद्ध को लेकर इजराइली जनता की राय बदल रही है। उन्होंने कहा कि युद्ध के पहले तीन महीनों में, इजराइलियों, विशेष रूप से यहूदी इजराइलियों ने, युद्ध और हमास को हराने व नष्ट करने के सरकार के घोषित लक्ष्य का पुरजोर समर्थन किया था। लेकिन अब वह सर्वसम्मति और एकता तेजी से कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा कि नेतान्याहू का कहना है कि युद्ध जारी रखना बंधकों को रिहा कराने का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन बंधकों के परिवारों समेत अनेक इजराइली यह तर्क दे रहे हैं कि युद्ध जारी रहने से हर गुजरते दिन के साथ बंधकों का जीवन अधिक खतरे में पड़ रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा इस बारे में भी संदेह बढ़ रहा है कि क्या इजराइल वास्तव में हमास को निर्णायक रूप से पराजित और खत्म कर सकता है। उन्होंने कहा कि युद्ध के तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी हमास खत्म नहीं हुआ है और इजराइल पर रॉकेट हमले कर रहा है। इजराइल हमास के मध्य स्तर के कमांडरों को मार चुका है, लेकिन हमास के नेता अभी भी जीवित हैं और लड़ने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश इजराइली यहूदियों का ध्यान बंधकों के भाग्य और इजराइली सैनिकों के हताहत होने पर है। उन्होंने कहा कि नवंबर में रिहा हुए कुछ बंधक कैद में अपने दुखद अनुभवों को भूल नहीं पा रहे हैं, इससे जनता का ध्यान अब भी गाजा में बंधकों पर केंद्रित है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि साथ ही गाजा में इजराइली सैनिकों की मौतों से भी लोगों का ध्यान नहीं हटा है। युद्ध शुरू होने के बाद से 23 जनवरी इजराइली सेना के लिए सबसे घातक दिन था जब 24 सैनिक मारे गए थे। अधिकांश इजराइली यहूदियों ने सेना में सेवा की है, और अधिकांश के परिवार के सदस्य या मित्र फिलहाल सेवाएं दे रहे हैं। इसलिए वे सेना से बहुत जुड़े हुए हैं, और सैनिकों की मौतें इजराइली समाज में बहुत शक्तिशाली भूकंप की तरह हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश इजराइली जिस चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं वह गाजा में फलस्तीनी नागरिकों की पीड़ा है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर नेतान्याहू फिलहाल असमंजस की स्थिति का सामना कर रहे हैं। एक ओर जहां उन पर बंधकों को छुड़ाने का दबाव है तो दूसरी ओर युद्ध खत्म करने की चुनौती है। ऐसे में आने वाला समय नेतान्याहू के लिए और भी चुनौती भरा हो सकता है, जिनसे पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
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