Prabhasakshi Exclusive: Iran-Pakistan War शुरू होने ही वाली थी मगर Xi Jinping ने कुछ ऐसा किया कि Tehran ने कदम पीछे खींच लिये
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन ने पिछले साल ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध बहाल करने में सफलता हासिल की थी और अब उसने ईरान पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उसे मनाया और दोनों देशों को यह संदेश दिया कि वे अपनी संवेदनशील सीमाओं पर किसी और संघर्ष से बचें।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि आखिर चीन ने कैसे पाकिस्तान और ईरान के बीच सुलह करा दी? हमने जानना चाहा कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि एक दूसरे पर मिसाइल हमले करने के बाद ईरान और पाकिस्तान चुप हो गये। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यदि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहल नहीं करते तो मुद्दा बढ़ सकता था। उन्होंने कहा कि ईरान के साथ चीन के रिश्ते काफी सहज हैं और पाकिस्तान का तो वह पुराना मददगार है ही। उन्होंने कहा कि जब चीन ने देखा कि पहले ही आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान फंस गया है तो वह मदद के लिए आगे आया और दोनों देशों के बीच सुलह कराई।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन ने पिछले साल ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध बहाल करने में सफलता हासिल की थी और अब उसने ईरान पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उसे मनाया और दोनों देशों को यह संदेश दिया कि वे अपनी संवेदनशील सीमाओं पर किसी और संघर्ष से बचें। उन्होंने कहा कि यह सब देख कर अमेरिका चिंतित हो रहा है कि चीन ना सिर्फ खाड़ी क्षेत्र में बल्कि दक्षिण एशिया में भी शांति का नया मसीहा बनकर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीति के क्षेत्र में अहम भूमिका में चीन का आना अमेरिका के लिए बहुत बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि चीन ने ईरान और पाकिस्तान के बीच टकराव को इसलिए भी टलवाया है ताकि वह अमेरिका को यह दिखा सके कि बीजिंग का कितना प्रभाव है।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन के हस्तक्षेप के बाद जिस तरह ईरान के सुर बदले हैं वह हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा कि पहले तेहरान सारा दोष पाकिस्तान पर मढ़ रहा था लेकिन अब ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियान ने तालिबान की अगुवाई वाले अफगानिस्तान की ओर परोक्ष रूप से इशारा करते हुए कहा है कि इसमें कोई ‘शक नहीं’ कि पाकिस्तान और ईरान के सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूद आतंकवादियों को तीसरे देशों का ‘समर्थन’ प्राप्त है। उन्होंने कहा कि जिस तरह ईरानी विदेश मंत्री इस तनावपूर्ण माहौल में भागे भागे पाकिस्तान पहुँचे और वहां के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया उससे कूटनीति के बड़े-बड़े जानकारों को भी हैरानी हुई है। उन्होंने कहा कि संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दोनों मंत्रियों ने कहा कि ‘‘हमारे ऐतिहासिक संबंध इस बात के गवाह हैं कि हम दो भिन्न भौगोलिक स्थितियों में स्थित एकल राष्ट्र हैं। ईरान एवं पाकिस्तान एक दूसरे की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं। हम यहां हैं, इसलिए मुखर रूप से हम सभी आतंकवादियों को बतायेंगे कि ईरान एवं पाकिस्तान उन्हें अपनी साझा सुरक्षा को खतरे में नहीं डालने का मौका देंगे।’’ उन्होंने कहा कि ईरान और पाकिस्तान का विदेश मंत्रियों के स्तर पर ‘‘उच्च स्तरीय सकारात्मक प्रणाली की स्थापना’ करना चीनी प्रयासों की बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि जो देश एक सप्ताह पहले तक एक दूसरे पर मिसाइल हमला कर रहे थे वह अब इस कदर दोस्त नजर आ रहे हैं कि पाकिस्तान ने ईरानी राष्ट्रपति को देश आने का न्यौता तक दे दिया है।
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