Prabhasakshi Exclusive: Jaishankar की Blinken से बातचीत के बाद Houthis पर हमले हो गये, जयशंकर Iran होकर आये तो Pakistan पर हमला हो गया, क्या यह सिर्फ संयोग है?

S Jaishankar Ebrahim Raisi
ANI

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा भारत और ईरान अपने ऐतिहासिक संबंधों को हमेशा मजबूत बनाये रखने के लिए कदम उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयशंकर ने ईरान के समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि विदेश मंत्री जयशंकर की ईरान यात्रा का उद्देश्य क्या था? हमने यह भी जानना चाहा कि क्या भारत और ईरान संबंधों के चलते काला सागर और पश्चिम एशिया में शांति आ सकेगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पहले हमें यह देखना होगा कि यह यात्रा किस पृष्ठभूमि में हुई। उन्होंने कहा कि ईरान पहुँचने से पहले जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की। इस बातचीत के एक दिन बाद ही खबर आई कि अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हूतियों के खिलाफ हमले कर दिये हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद जयशंकर तेहरान पहुँचे और वहां उनकी मुलाकात ईरानी नेताओं के साथ होने के तुरंत बाद खबर आई कि ईरान ने सीरिया, इराक और पाकिस्तान में हमला कर दिया है। उन्होंने कहा कि इन मुलाकातों और हमलों की घटनाओं के बीच कोई संयोग है या संबंध है या नहीं यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता लेकिन इससे यह जरूर प्रदर्शित होता है कि भारत वैश्विक मामलों में एक अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह भी देखना होगा कि पश्चिम एशिया में इजराइल-हमास और ईरान आपस में उलझे हुए हैं लेकिन भारत के संबंध इजराइल, फिलस्तीन और ईरान के साथ अच्छे हैं इसलिए संभव है कि इस बात के प्रयास किये जा रहे हों कि भारत अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पश्चिम एशिया के संघर्ष को खत्म करवाये।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा भारत और ईरान अपने ऐतिहासिक संबंधों को हमेशा मजबूत बनाये रखने के लिए कदम उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयशंकर ने ईरान के समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की और उनकी चर्चा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह और उत्तर-दक्षिण कनेक्टिविटी परियोजना में भारत की भागीदारी के लिए दीर्घकालिक रूपरेखा पर केंद्रित थी। जयशंकर ने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. इब्राहिम रईसी से भी मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। उन्होंने कहा कि इस बातचीत के बारे में बताया गया है कि द्विपक्षीय चर्चा चाबहार बंदरगाह और आईएनएसटीसी कनेक्टिविटी परियोजना के साथ भारत की भागीदारी के लिए दीर्घकालिक ढांचे पर केंद्रित थी। जयशंकर ने क्षेत्र में समुद्री नौवहन के खतरों के बारे में भी बात की और जोर देकर कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इस मुद्दे को “तेजी से समाधान किया जाए”। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से इजरायल-हमास टकराव के बीच ईरान समर्थित यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाने का संदर्भ था।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत लाल सागर में उभरती स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि जयशंकर ने ईरानी विदेश मंत्री के साथ बैठक के बाद कहा था कि एजेंडे में अन्य मुद्दे गाजा स्थिति, अफगानिस्तान, यूक्रेन और ब्रिक्स सहयोग थे। बाद में, उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति रईसी से मुलाकात की और उन्हें ईरानी मंत्रियों के साथ अपनी “सार्थक चर्चा” से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जयशंकर ने ईरान में सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बज्रपाश से मुलाकात करके अपने कार्यक्रम की शुरुआत की थी। मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर दीर्घकालिक सहयोग ढांचा स्थापित करने पर विस्तृत और “सार्थक” चर्चा की। जयशंकर ने बज्रपाश के साथ अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित, चाबहार बंदरगाह संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ईरान द्वारा विकसित किया जा रहा है। भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है, खासकर अफगानिस्तान से इसके संपर्क के लिए। उन्होंने कहा कि ताशकंद में 2021 में एक संपर्क (कनेक्टिविटी) सम्मेलन में जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश किया था। उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह को आईएनएसटीसी परियोजना के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में भी देखा जाता है।

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