इमरान मीडिया में उन पर लगे ‘वास्तविक’ प्रतिबंध के खिलाफ प्रसारण नियामक के पास जाएं : अदालत
खोसा ने कहा कि यह स्पष्ट है कि खान के संबंध में किसी भी सामग्री के प्रसारण पर गलत तरीके से प्रतिबंध लगाया गया है, उन्हें मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से इस प्रतिबंध के बारे में जानकारी मिली है।
पाकिस्तान की एक अदालत ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को निर्देश दिया कि उनके भाषणों और तस्वीरों को मीडिया में प्रसारित करने पर लगी ‘वास्तविक’रोक के खिलाफ वह अपनी याचिका प्रसारण नियामक के सामने दाखिल करें। खान की गिरफ्तारी के बाद नौ मई को देशभर में सैन्य प्रतिष्ठानों पर उनके समर्थकों द्वारा किए गए हमलों के बाद सेना द्वारा कथित तौर पर पाकिस्तानी मीडिया को खान के भाषण, बयान, तस्वरी/वीडियो प्रसारित नहीं करने का निर्देश दिया गया है। यह प्रतिबंध इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया दोनों पर लागू है। यहां तक कि परिचर्चा कार्यक्रमों में खान का नाम लेने तक पर भी रोक है।
पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में से आधे समय तक सैन्य शासन रहा और माना जाता है कि सेना सुरक्षा मामलों व विदेश नीति को प्रत्यक्ष तौर पर नियंत्रित करती है।इमरान खान की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’को बताया, ‘‘पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख की उनसे जुड़ी सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित करने पर लगी वास्तविक रोक के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के न्यायमूर्ति रसाल हसन ने उनके (खान के) वकील समीर खोसा से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल ने इसमामले को लेकर पाकिस्तान मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) से संपर्क किया है।’’
उन्होंने बताया कि जब अधिवक्ता ने न में जवाब देते हुए कहा कि उनके मुवक्किल का मानना है कि एलएचसी उनकी शिकायत के समाधान के लिए उचित मंच है तब जज ने खोसा से पूछा कि क्या पेमरा ने खान के बयानों, भाषणों और तस्वीरों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित करने से रोकने के लिए कोई आदेश जारी किया है। खोसा ने कहा कि यह स्पष्ट है कि खान के संबंध में किसी भी सामग्री के प्रसारण पर गलत तरीके से प्रतिबंध लगाया गया है, उन्हें मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से इस प्रतिबंध के बारे में जानकारी मिली है।अधिकारी ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता इस मामले में पेमरा द्वारा विशेष तौर पर जारी अधिसूचना अदालत में पेश करने में असफल रहे जिसके बाद न्यायाधीश ने उन्हें अपनी अर्जी पेमरा की शिकायत परिषद के सामने जमा करने का निर्देश दिया।
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