ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका के साथ बातचीत से इनकार किया
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को कहा कि जब तक अमेरिका आर्थिक दबाव बरकरार रखता है, वह बातचीत नहीं करेंगे। रूहानी ने कहा कि मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि प्रतिबंधों के बीच किसी भी प्रकार की वार्ता पर हमारा जवाब नकारात्मक होगा।
संयुक्त राष्ट्र। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव कम करने के यूरोपीय प्रयासों के बावजूद ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बैठक के दरवाजे बंद कर दिए। ईरान ने अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बीच यह बात कही है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों संयुक्त राष्ट्र में पिछले दो दिन से अमेरिका और ईरान के राष्ट्रपतियों के बीच ऐतिहासिक बैठक संभव बनाने की इस उम्मीद के साथ कोशिश कर रहे थे कि इससे पश्चिम एशिया में युद्ध का खतरा कम होगा।
The security of the region needs the withdrawal of US forces who failed in 18 years where Iran, with the aid of neighboring nations and governments, succeeded to end ISIS's dominance. The route to peace and security in the ME is "democracy at home; diplomacy abroad."
— Hassan Rouhani (@HassanRouhani) September 25, 2019
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ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को कहा कि जब तक अमेरिका आर्थिक दबाव बरकरार रखता है, वह बातचीत नहीं करेंगे। रूहानी ने कहा कि मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि प्रतिबंधों के बीच किसी भी प्रकार की वार्ता पर हमारा जवाब नकारात्मक होगा। उन्होंने ट्रम्प के साथ फोटो खिंचवाने के विचार को खारिज करते हुए कहा कि फोटो वार्ता का पहला चरण नहीं, अंतिम चरण है।
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रूहानी ने अमेरिका द्वारा ईरान पर ‘‘लगाए गए इतिहास के सबसे कड़े प्रतिबंधों’’ का जिक्र करते हुए वार्ता करने की ट्रम्प प्रशासन की इच्छा पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जब एक महान देश को चुपचाप खत्म किए जाने एवं आठ करोड़ 30 लाख ईरानियों पर दबाव बनाने का अमेरिकी सरकार के अधिकारी स्वागत कर रहे हैं, तो कोई उन पर कैसे भरोसा कर सकता है? रूहानी ने कहा कि ईरानी देश इन अपराधों और इन अपराधियों को कभी भूलेगा नहीं और उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।
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ट्रम्प ने आर्थिक दबाव में ढील देने से पहले ही इनकार कर दिया है और रूहानी के भाषण से कुछ घंटे पहले ही उनके प्रशासन ने प्रतिबंध कड़े करने की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि 2015 में पश्चिमी देशों और ईरान के बीच एक परमाणु समझौता हुआ था, लेकिन पिछले साल अमेरिका एकपक्षीय तरीके से इससे अलग हो गया और ईरान की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले प्रतिबंध फिर से लगा दिये थे।
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