ISIS-K में शामिल हो रहे पूर्व अफगान जासूस और सैनिक, जानें क्या है वजह?
रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस-के में शामिल होने वाले ज्यादातर अमेरिका से प्रशिक्षित अफगान जासूस या पूर्व सुरक्षाकर्मी हैं। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कैसे पूर्व अफगान जासूस आय के एक स्थिर स्रोत के लिए ISIS-K में शामिल हो रहे हैं।
अफगानिस्तान के ऊपर तालिबान राज की स्थापना हो चुकी है, लेकिन अफगानिस्तान से एक और बेहद खतरनाक खबर निकलकर सामने आ रही है। एक हालिया रिपोर्ट के जरिये खुलासा हुआ है कि पिछली अफगान सरकार के सदस्य तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया-खुरासान (ISIS-K) में शामिल हो गए हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछली सरकार के खुफिया निकाय के सदस्य अब तालिबान से बचने के लिए ISIS-K के साथ काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस-के में शामिल होने वाले ज्यादातर अमेरिका से प्रशिक्षित अफगान जासूस या पूर्व सुरक्षाकर्मी हैं। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कैसे पूर्व अफगान जासूस आय के एक स्थिर स्रोत के लिए ISIS-K में शामिल हो रहे हैं।
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रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के द्वारा ट्रेनिंग दिए हुए जासूस हैं, जो उत्तरी अफगानिस्तान में एक्टिव है। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान को सिर्फ अभी तक पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह द्वारा समर्थित पंजशीर घाटी से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था, जिसपर आखिरकार तालिबान कब्जा नहीं कर पाया है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अफगानिस्तान में पहले से ही हत्याओं और बम विस्फोटों में तेजी देखी जा रही है। साथ ही, इस्लामिक स्टेट (IS) से जुड़े 65 आतंकवादियों ने तालिबान के नेतृत्व वाले अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
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अक्टूबर में अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने खुलासा किया था कि ISIS-K छह महीने में अमेरिकी ठिकानों पर हमला कर सकता है, जबकि अल कायदा अपनी क्षमताओं में सुधार कर सकता है। नीति के लिए रक्षा के अवर सचिव कॉलिन काहल ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष कहा कि न तो आतंकवादी संगठन तत्काल खतरा पैदा करते हैं, बल्कि यह कि उनके साथ गंभीरता से व्यवहार किया जाना चाहिए क्योंकि यह थोड़े समय में बदल सकता है।
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— Prabhasakshi (@prabhasakshi) November 1, 2021
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