Tokyo के एडोगावा में विदेश मंत्री S Jaishankar ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का किया अनावरण
जयशंकर ने कार्यक्रम के दौरान कहा, 'जब हम दुनिया में इतना संघर्ष, इतना तनाव, इतना ध्रुवीकरण, इतना खून-खराबा देख रहे हैं, तो गांधी जी का यह संदेश बहुत महत्वपूर्ण है कि समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकलते और कोई भी युग, युद्ध का युग नहीं होना चाहिए। यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना 80 साल पहले था।'
टोक्यो। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि महात्मा गांधी का यह शाश्वत संदेश संघर्ष, धुव्रीकरण और रक्तपात देख रही दुनिया पर आज भी लागू होता है कि समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकलते और कोई भी युग युद्ध का युग नहीं होना चाहिए। जयशंकर ने यह टिप्पणी टोक्यो के एडोगावा स्थित फ्रीडम प्लाजा में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करते समय की। जयशंकर ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए लाओस से दो दिवसीय यात्रा पर रविवार को जापान पहुंचे। जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज ने उनका स्वागत किया। जयशंकर ने कार्यक्रम के दौरान गांधी के शाश्वत संदेशों पर बात की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज यह कहना चाहता हूं कि जब हम दुनिया में इतना संघर्ष, इतना तनाव, इतना ध्रुवीकरण, इतना खून-खराबा देख रहे हैं, तो गांधी जी का यह संदेश बहुत महत्वपूर्ण है कि समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकलते और कोई भी युग, युद्ध का युग नहीं होना चाहिए। यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना 80 साल पहले था।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘उनका (गांधी का) दूसरा संदेश स्थिरता, जलवायु अनुकूलन, हरित विकास, हरित नीतियों के संदर्भ में है। गांधी जी सतत विकास के मूल पैगंबर थे।’’ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीने के सबसे बड़े समर्थक थे। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए गांधी जी का संदेश केवल सरकारों के लिए नहीं है, बल्कि इसे हर किसी को अपने निजी जीवन में अपनाना चाहिए। यह एक ऐसी चीज है, जिसे हम (अगली पीढ़ियों को) आगे पहुंचाते हैं। गांधी जी निश्चित रूप से समावेशिता के समर्थक थे और इसी चीज को हम आज भारत और दुनिया भर में देख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि एडोगावा वार्ड ने भारत के साथ संबंध मजबूत करने के लिए ‘‘हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी’’ की इस अद्भुत प्रतिमा को स्थापित करने का फैसला किया।
जयशंकर ने कहा कि भारत में लोग गांधी जी को राष्ट्रपिता मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दुनिया के लिए वह वास्तव में एक वैश्विक प्रतीक हैं और हमें आज खुद से पूछना होगा कि इस प्रतिमा का यहां होना क्यों महत्वपूर्ण है? मैं इसके तीन कारण सोच सकता हूं। पहला यह कि महात्मा गांधी की उपलब्धियां उनके समय से भी परे प्रासंगिक बनी हुई हैं, समय बीतने के साथ-साथ उनका महत्व और भी बढ़ता जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि इसका दूसरा कारण यह है कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन और अपने कार्यों के माध्यम से जो संदेश दिया, वह कालातीत है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘उन्होंने हमें जो सिखाया, वह तब भी महत्वपूर्ण था और आज भी महत्वपूर्ण है। और तीसरी बात यह है कि मुझे बताया गया है कि इस जगह को ‘लिटिल इंडिया’ कहा जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसी जगह है, जहां बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है। मैं भारत और जापान के बीच संबंधों को मजबूत करने के इससे बेहतर तरीके और इससे अधिक उपयुक्त अवसर के बारे में नहीं सोच सकता।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि गांधी के बिना भारत को स्वतंत्रता के लिए शायद और लंबा संघर्ष करना पड़ता या वह किसी अलग दिशा में चला जाता। जयशंकर ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता ने वास्तव में पूरी दुनिया को उपनिवेश मुक्त कर दिया, यह एक ‘‘बहुत महत्वपूर्ण घटना’’ का प्रारंभिक बिंदु था। उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत आजाद हुआ, एशिया के अन्य हिस्से आजाद हुए, अफ्रीका आजाद हुआ, लातिन अमेरिका आजाद हुआ...आज जब हम कहते हैं कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, दुनिया बदल रही है, यह बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है, जी-7 जी-20 बन गया है, तो एक तरह से यह सब गांधी जी द्वारा अतीत में किए गए कार्यों का परिणाम है।’’
Started my visit to Tokyo in Edogawa, unveiling bust of Gandhiji.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 28, 2024
Bapu’s achievements continue to inspire us to this day and his message of peace and non-violence is timeless. His principles are even more relevant today when the world sees so much conflict, tension and… pic.twitter.com/VI3g6C29po
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