यूरोपीय देशों ने ऊर्जा के दामों को नियंत्रण में रखने के लिए कोशिशें तेज की
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध से वैश्विक ऊर्जा दामों में वृद्धि के बीच यूरोपीय संघ ने लोगों को तेजी से बढ़ रहे इस ऊर्जा दामों से बचाने का अपना अभियान तेज कर दिया है। दरसअल बढ़ते दामों के कारण यूरोप में सर्दियों में लोगों के गरीबी और ठंड से बुरी तरह परेशान होने की आशंका उत्पन्न हो गयी है।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध से वैश्विक ऊर्जा दामों में वृद्धि के बीच यूरोपीय संघ ने लोगों को तेजी से बढ़ रहे इस ऊर्जा दामों से बचाने का अपना अभियान तेज कर दिया है। दरसअल बढ़ते दामों के कारण यूरोप में सर्दियों में लोगों के गरीबी और ठंड से बुरी तरह परेशान होने की आशंका उत्पन्न हो गयी है। संघ के 27 सदस्य देशों के ऊर्जा मंत्रियों ने आपात बैठक की है और उन्हें गैस एवं बिजली के मूल्यों को नियंत्रण में रखने के विभिन्न प्रस्तावों पर भिन्न-भिन्न विचारों के बीच सहमति बन जाने की उम्मीद है।
इन प्रस्तावों में तेल एवं गैस कंपनियों के अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाने से लेकर रूसी गैसों की मूल्य सीमा तय करने जैसे उपाय शामिल हैं। दरअसल तेल एवं गैस के दाम तेजी से बढ़ने से कंपनियों को अप्रत्याशित लाभ हो रहा है। कई मंत्रियों ने कहा कि हर देश की विभिन्न ऊर्जा जरुरतों, आपूर्ति आदि को देखते हुए सहमति पर पहुंच पाना आसान नहीं होगा लेकिन यदि पूरे यूरोप में संकटों से घिरे लोगों को समय से सहायता पहुंचानी है तो यह समय बड़ा महत्वपूर्ण है। रूस ने प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में कटौती कर दी है।
इस गैस का उपयोग कारखानों, विद्युत उत्पादन और सर्दियों में घर को गर्म रखने में किया जाता है। रूस के इस कदम के चलते ऊर्जा के दाम और मुद्रास्फीति बढ़ गयी है जिससे यूरोप को इस साल के उत्तरार्ध में मंदी आने की आशंका है। आयरिश परिवहन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री इयामोन रयान ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यहां सबसे बड़ा हस्तक्षेप रूस सरकार की तरफ से है।
उसने अपने कदमों से गैस को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है। हमें हस्तक्षेप करना होगा क्योंकि पूरे बाजार के साथ खिलवाड़ किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि ‘महीनों नहीं, बल्कि सप्ताहों के अंदर’ कदम उठाया जाना चाहिए। चेक गणराज्य के उद्योग मंत्री ने कहा, ‘‘ अब प्रतीक्षा करने का वक्त नहीं है, हमें शीघ्रता एवं एकजुटता दिखानी होगी।
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