भविष्य के आहार में ‘आयरन’ जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होगी, यह लोगों के पोषण पर विचार करने का समय है

IRON in Food
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फू स्टैंडर्ड्स ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड (एफएसएएनजेड) (दोनों देशों के लिए खाद्य नियम विकसित करने के लिए जिम्मेदार एक सरकारी संस्था) ने पाया कि कई उपभोक्ताओं के फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के बारे में अलग विचार हैं और वे इन्हें अप्राकृतिक, प्रसंस्कृत और कम स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं। यह झिझक विशेष रूप से तब स्पष्ट हुई जब गैर-अनिवार्य फोर्टिफिकेशन की बात सामने आई। उपभोक्ता अक्सर इसे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कदम के बजाय बाजार बनाने के हथकंडे के रूप में देखते हैं।

‘आयरन’ यानी लौह तत्व की कमी दुनियाभर में पोषक तत्वों की कमी के सबसे आम रूपों में से एक है। आयरन की गंभीर कमी को रक्ताल्पता के रूप में जाना जाता है। दक्षिण एशिया, मध्य अफ्रीका और पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रों में प्रजनन योग्य उम्र की करीब 50 फीसदी महिलाएं रक्ताल्पता से प्रभावित हैं, जबकि उच्च आय वाले देशों में महिलाओं के इससे प्रभावित होने का आंकड़ा केवल 16 फीसदी है। न्यूजीलैंड में 15 से 18 वर्ष की 10.6 फीसदी महिलाएं और 31 से 50 साल की 12.1 फीसदी महिलाएं आयरन की कमी से जूझ रही हैं। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान जोखिम बढ़ जाता है और जच्चा-बच्चा, दोनों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए आयरन की स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए। जैसे-जैसे अधिक लोग पौधे पर आधारित भोजन यानी शाक-सब्जी का सेवन करेंगे, आयरन की कमी का खतरा बढ़ने की आशंका रहेगी।

मौजूदा और भविष्य की खाद्य प्रणाली में पोषक तत्वों की उपलब्धता को लेकर हमारी ‘मॉडलिंग’ सुझाती है कि यदि वैश्विक उत्पाद और आपूर्ति अपरिवर्तित रहती है तो वर्ष 2040 तक हम आहार में आयरन की कमी का अनुमान लगा सकते हैं। इसका मतलब है कि हमें अपने आहार में आयरन की कमी को दूर करना होगा खासकर महिलाओं और किशोरों में। हमारा कहना है कि आयरन युक्त फोर्टीफाइड (पोष्टिकता युक्त) खाद्य पदार्थ पोषण की कमी को दूर करने का एकमुश्त समाधान प्रदान कर सकता है। खाद्य पदार्थ को पौष्टिक बनाना (फूड फोर्टिफिकेशन) सुपरमार्केट की आलमारियों में कई खाद्य पदार्थ होते हैं जिनमें ब्रेड से लेकर अनाज तक शामिल हैं, लेकिन इन्हें पहले से ही पोषक तत्व मिला दिये गये होते हैं। पावरोटी (ब्रेड) में आयोडीन और फोलिक अम्ल अनिवार्य तौर पर मिलाने की बाध्यता के विपरीत, न्यूजीलैंड में खाद्य पदार्थों को आयरन युक्त बनाने (फोर्टिफिकेशन ऑफ आयरन) को प्रोत्साहित करने या इसे अनिवार्य करने के लिए सरकार ने फिलहाल कोई पहल नहीं की है।

पौधा आधारित आहार अपनाना अधिक से अधिक उपभोक्ता ऐसे आहार को अपना रहे हैं जिसमें पशु स्रोत से प्राप्त खाद्य सामग्री कम होती है। वे ऐसा इस उम्मीद से कर रहे हैं कि पर्यावरणीय प्रभाव और उत्सर्जन में कमी आएगी। ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि न्यूजीलैंड में वर्ष 2018 से 19 के बीच शाकाहारी पोषण में 19 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। एक स्थायी खाद्य प्रणाली के लिए पौधों पर आधारित आहारों पर विचार करते समय पोषक तत्वों की उपलब्धता के बारे में बातचीत अवश्य शामिल होनी चाहिए। पौधों के खाद्य पदार्थों में अक्सर उच्च मात्रा में फाइबर और ‘फाइटेट्स’ होते हैं, जो शरीर की आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को कम कर देते हैं। साबुत अनाज, बीज, फलियां तथा पत्तेदार शाक जैसे पौधों के खाद्य पदार्थों में आयरन को ‘गैर-हेमे’ के रूप में जाना जाता है और पशु-स्रोत वाले खाद्य पदार्थों में उपलब्ध हेमे आयरन की तुलना में कम आसानी से अवशोषित होता है। मिश्रित आहार (जिसमें सब्जियां, अनाज और पशु-स्रोत वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि लाल मांस, मछली या मुर्गी) का सेवन गैर-हेमे आयरन को अवशोषित करने में शरीर की मदद करता है।

इन आहार का ‘फोर्टिफिकेशन’ लोगों को पौधों पर आधारित आहार की तरफ अग्रसर करने के लिहाज से एक सशक्त रणनीति हो सकती है, अन्यथा इनमें पोषक तत्वों की कमी रहेगी। क्या न्यूजीलैंड आयरन युक्त बनाए गए खाद्य पदार्थों के लिए तैयार है? ‘फोर्टिफाइड’ खाद्य पदार्थ आयरन की कमी से निपटने में लाभदायक हो सकते हैं, लेकिन कुछ उपभोक्ता इन खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करने से झिझकते हैं। फू स्टैंडर्ड्स ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड (एफएसएएनजेड) (दोनों देशों के लिए खाद्य नियम विकसित करने के लिए जिम्मेदार एक सरकारी संस्था) ने पाया कि कई उपभोक्ताओं के फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के बारे में अलग विचार हैं और वे इन्हें अप्राकृतिक, प्रसंस्कृत और कम स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं। यह झिझक विशेष रूप से तब स्पष्ट हुई जब गैर-अनिवार्य फोर्टिफिकेशन की बात सामने आई। उपभोक्ता अक्सर इसे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कदम के बजाय बाजार बनाने के हथकंडे के रूप में देखते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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