भारत के बाद रूस को भी आंखें दिखाने की कोशिश कर भी रहा था बांग्लादेश, मिल गई सख्त चेतावनी
प्रोजेक्ट में कुछ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट का नाम रूपपुर पावर न्यूक्लियर प्लांट है। रूस और भारत के साथ मिलकर ही शेख हसीना ने बांग्लादेश में शुरू करवाया था। रूपपुर प्रोजेक्ट पर जबरदस्त गति से काम चल रहा था मगर शेख हसीना के तख्तापलट के बाद प्रोजेक्ट लटकता दिख रहा है।
बांग्लादेश तेजी से अपनी कब्र खोद रहा है और हर दिन उसे गहरा भी करता जा रहा है। बांग्लादेश ने भारत को धमकी देने के बाद अब रूस को भी विवाद में घसीट लिया है। एमजीआर रूस और भारत ने मिलकर बांग्लादेश की धज्जियां उड़ा दी हैं। रूस ने दहाड़ते हुए बांग्लादेश को धोया है तो वहीं भारत ने कूटनीतिक खामोशी से बांग्लादेश को जबरदस्त झटकवड़िया है। दरअसल, रूस बांग्लादेश के पहला न्यूक्लियर पावर प्लांट बना रहा है। इस प्रोजेक्ट में कुछ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट का नाम रूपपुर पावर न्यूक्लियर प्लांट है। रूस और भारत के साथ मिलकर ही शेख हसीना ने बांग्लादेश में शुरू करवाया था। रूपपुर प्रोजेक्ट पर जबरदस्त गति से काम चल रहा था मगर शेख हसीना के तख्तापलट के बाद प्रोजेक्ट लटकता दिख रहा है।
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बांग्लादेश के एन्टी करप्शन कमीशन ने आरोप लगाया है कि शेख हसीना और उनके बेटे ने खूब रिश्वत खाई है और ये रिश्वत 5 अरब डॉलर की हो सकती है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं होना चाहिए व शेख हसीना और उनके बेटे पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस होना चाहिए। लेकिन आपको बता दें कि शेख हसीना और उनके बेटे को फंसाने के चक्कर में बांग्लादेश ने रूस पर भी करप्शन का आरोप लगा दिया है। ऐसे में रूपपुर पावर प्लांट बना रही रूस की सरकारी कंपनी रोसोटोममोहम्मद यूनुस सरकार पर भड़क गई है। रोसोटोम ने बयान जारी करते हुए बांग्लादेश के आरोपों का खंडन किया है। रोसाटॉम ने कहा कि बांग्लादेश भ्रष्टाचार निरोधक आयोग की टिप्पणियां रूपपुर पावर न्यूक्लियर प्रोजेक्ट को कलंकित करने का प्रयास है।
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एक बयान में रोसाटॉम ने दोहराया कि 2.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रूपपुर परियोजना पारदर्शी है और वह अदालत में मामले का बचाव करने के लिए तैयार है। रोसाटॉम अपनी सभी परियोजनाओं में खुलेपन की नीति और भ्रष्टाचार से निपटने, पारदर्शी खरीद प्रणाली बनाए रखने के सिद्धांत के लिए प्रतिबद्ध है। बाहरी ऑडिट नियमित रूप से परियोजना की व्यावसायिक प्रक्रियाओं के खुलेपन की पुष्टि करते हैं। रोसाटॉम स्टेट कॉरपोरेशन अदालत में अपने हितों और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए तैयार है।
जहां तक बात भारत की खामोशी की है तो आपको बता दें कि बीते दिन ही बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। लेकिन भारत ने इसका कोई जवाब नहीं दिया है। वैसे भी भारत जवाब क्यों दे? मोहम्मद यूनुस चुनी हुई सरकार के नेता नहीं हैं, उन्हें तो तब तक सत्ता में बिठाया गया है जब तक बांग्लादेश में चुनाव न हो जाये। ऐसे में भारत सरकार मोहम्मद यूनुस को जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है।
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