बच्चों में मधुमेह की कैसे होती है पहचान और क्या है इसके लक्षण, जानिए...
दुनियाभर में मधुमेह के मरीजों की गिनती कम होने की बजाए बढ़ती ही जा रही हैं, आलम तो ये है कि इस बीमारी को नवजात शिशु में भी देखा जा रहा है। जी हां, टाइप-1 मधुमेह या नवजात मधुमेह की समस्या कम उम्र में हो सकती है।
मधुमेह यानी डायबिटीज एक जानलेवा बीमारी है जो व्यक्ति के पूरे शरीर को खोखला कर देती है। आजकल बदलते खानपान और जीवनशैली के कारण ये बीमारी काफी तेजी से फैल रही है। जहां पहले के समय में ये बीमारी बड़े-बूढ़ों में नजर आती थी। वहीं, अब छोटी उम्र या बाल्यावस्था में इस बीमारी को देखा जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार मधुमेह की बीमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। मधुमेह के मरीज अगर अपने खानपान और दिनचर्या पर खास ध्यान रखें तो वो इस पर काबू करने के साथ-साथ लम्बी जिंदगी जी सकते हैं। हालांकि, इसे लेकर थोड़ी सी भी की गई लापरवाही उनकी जिंदगी को खतरा डाल सकती है।
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दुनियाभर में मधुमेह के मरीजों की गिनती कम होने की बजाए बढ़ती ही जा रही हैं, आलम तो ये है कि इस बीमारी को नवजात शिशु में भी देखा जा रहा है। जी हां, टाइप-1 मधुमेह या नवजात मधुमेह की समस्या कम उम्र में हो सकती है। यहां तक कि मुधमेह के कारण बच्चों के आंखों और किडनियों पर भी काफी बुरा असर पड़ता है। वहीं, आज हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताते हैं जिससे बच्चों में मधुमेह की पहचान की जा सकती है।
आपको बता दें कि बच्चों में होने वाले मधुमेह को किशोर मधुमेह कहा जाता है। आमतौर पर बच्चों में सिर्फ दो तरह के मधुमेह देखने को मिलते हैं और उनमें ज्यादातर टाइप-1 मधुमेह देखा गया है। जो बच्चे टाइप-1 मधुमेह से पीड़ित हैं उनके शरीर में इंसुलिन नहीं बनता है या फिर काफी कम हो जाता है। शरीर में इंसुलिन की कमी होने के चलते कई बार बच्चों को पूरी जिंदगी इंसुलिन के इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। इस तरह के मधुमेह को फिर भी काबू किया जा सकता है।
अगर बात करें टाइप-2 मधुमेह की तो ये एक तरह का एडवांस स्टेज होता है। इसमें रोगियों का वजन अत्यधिक और आक्रमक रूप में बढ़ जाता है। इस परिस्थिति में रक्त मधुमेह स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसे काबू करने के लिए अपने खानपान का खास ध्यान रखना पड़ता है। वहीं, टाइप 3 मधुमेह की बात की जाए तो ये अभी शोध का विषय है। बीमारी से जुड़ी रिसर्च में सामने आया है कि ये आमतौर पर तब होता है जब व्यक्ति का दिमाग इंसुलिन प्रतिरोध रसायन को उत्पन्न करने लगता है।
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बच्चों में मधुमेह के लक्षण
1. अधिक प्यास लगना- चिकित्सकों के अनुसार जब बच्चों में शुगर का स्तर बढ़ता है तो उन्हें ज्यादा प्यास लगती है. ऐसे में वो पानी के अलावा कोल्ड ड्रिंक को भी पीना ज्यादा पसंद करते हैं। इससे शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने का खतरा रहता है। अगर आपका भी बच्चा पानी का कुछ ज्यादा ही सेवन कर रहा है और मिनट-मिनट पर उसे प्यास लग रही है तो एक बार जरूर बाल चिकित्सक से सलाह लें।
2. बार-बार पेशाब लगना- ये आम बात है कि अगर बच्चा ज्यादा पानी का सेवन करेगा तो वो पेशाब भी ज्यादा ही करेगा। हालांकि, इस तरह की समस्या मधुमेह होने के लक्षणों में सबसे बड़ा लक्षण माना जाता है। बार-बार पेशाब आना मधुमेह का सामान्य लक्षण भी है क्योंकि ये वयस्कों में भी ये पाया जाता है। वहीं, अगर आपका बच्चा ज्यादा पेशाब करता है तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर करें। ऐसा इसलिए क्योंकि ये मधुमेह की शुरुआत भी हो सकती है।
3. भूख ज्यादा और वजन कम होना- अगर आपके बच्चे की भूख समान्य से ज्यादा बढ़ गई है, लेकिन वजन नहीं बढ़ रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें। ऐसा इसलिए क्योंकि ये मधुमेह होने का भी लक्षण हो सकता है। दरअसल, मधुमेह के रोगियों में ऊर्जा कम होने लगती है और फिर उन्हें भूख ज्यादा लगने लगती है। ऐसे में जो बच्चे मधुमेह के शिकार हो जाते हैं या उनमें इसकी शुरुआत होने लगती है तो इस तरह के लक्षण नजर आते हैं।
4. हमेशा थकान और कमज़ोरी- मधुमेह के दौरान शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है। इससे बच्चे कमजोर और थके हुए महसूस करने लगते हैं। वहीं, अगर आपका बच्चे में भी इस तरह के लक्षण नजर आते हैं तो इसे नजरअंदाज किए बिना डॉक्टर से जरुर संपर्क करें।
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5. यीस्ट संक्रमण- मधुमेह के कारण कम उम्र की लड़कियों में यीस्ट संक्रमण की समस्या होने की संभावना रहती है। इतना ही नहीं डायपर पहनने वाले बच्चों में भी यीस्ट संक्रमण के चलते घाव हो सकते है।
6. मूड परिवर्तन- मधुमेह के लक्षणों में मूड परिवर्तन होना भी शामिल है। जो बच्चा मधुमेह का शिकार हो जाता है उसका मूड बार-बार बदलता रहता है। कभी भी वो खुश, चिड़चिड़े या उदास होने लगते हैं।
- सिमरन सिंह
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