Health Tips: जानिए महिलाओं को क्यों होती है लिवर संबंधी समस्या, ऐसे लक्षण दिखने पर समझ लें डैमेज हो रहा लिवर
आजकल लिवर संबधी बीमारियां काफी बढ़ गई हैं। गलत खान-पान, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, अनुवांशिक कारण, अल्कोहल का सेवन करने से लिवर डिजीज की संभावना अधिक होती है।
आजकल लिवर संबधी बीमारियां काफी बढ़ गई हैं। गलत खान-पान, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, अनुवांशिक कारण, अल्कोहल का सेवन और तनाव आदि के कारण लिवर की बीमारियां होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में लिवर डिजीज का खतरा अधिक होता है। वहीं महिलाओं में ऑटो-इम्यून डिजीज लिवर इंफ्लेमेशन और हेपेटाइटिस होने की संभावना अधिक रहती है। वहीं इसके अलावा भी कई कारण हैं, जिसके चलते महिलाओं को लिवर से जुड़ी बीमारी का खतरा रहता है।
फैटी लिवर डिजीज
बता दें कि महिलाओं में नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का खतरा काफी हद तक हम होता है। लेकिन अगर महिलाएं इसकी शिकार हो जाती हैं, तो उसके गंभीर रुप या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा लिवर फ्राइब्रोसिस होने के चांसेज होते हैं। अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा और इस स्थिति को गंभीरता से न लेना महिलाओं की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। हालांकि पुरुषों में भी इसका खतरा कम नहीं होता है। वहीं अल्कोहॉलिक फैटी लिवर का खतरा पुरुषों में अधिक होता है। अल्कोहल मेटाबॉलिज्म और बॉडी कम्पोजिशन में अंतर होने के कारण महिलाएं इसका ज्यादा शिकार होती हैं।
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ऑटोइम्यून और वायरल हेपेटाइटिस
महिलाओं में वायरल हेपेटाइटिस और ऑटो इम्यून का खतरा अधिक रहता है। ऑटोइम्यून हेपिटाइटिस एक ऐसी क्रॉनिक कंडीशन है, जिसमें हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से लिवर सेल्स पर अटैक करता है। इसके कारण इंफ्लेमेशन और लिवर डैमेज का खतरा होता है। हेपेटाइटिस वायरस लिवर से जुड़ी बीमारियों और लिवर इंफ्लेमेशन की वजह बन सकता है। यह वायरस न सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन कुछ रिसर्च के मुताबिक महिलाओं में हेपेटाइटिस ई का खतरा अधिक रहता है।
दवाईयों का लिवर पर असर
लिवर डैमेज का अन्य कारण कई दवाईयां और टॉक्सिन्स भी बन सकते हैं। क्योंकि महिलाएं हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से इसका ज्यादा शिकार बनती हैं। वहीं लिवर फंक्शन पर गर्भ निरोधक गोलियां बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। अन्य दवाइयों के कारण भी लिवर संबंधी समस्या हो सकती है।
प्रेग्नेंसी से जुड़ी लिवर कंडीशन्स
महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान लिवर कंडीशन जैसे 'एचईएलपी सिंड्रोम' या 'इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस ऑफ प्रेग्नेंसी' परेशान कर सकती है। इस स्थिति में लिवर डैमेज हो जाता है और फौरन इलाज की जरूरत होता है। इसके साथ ही 'प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस' और 'विल्सन डिजीज' जैसी कई बीमारियों का खतरा महिलाओं को अधिक रहता है।
ऐसे करें बचाव
लिवर संबंधी बीमारियों से अपने बचाव के लिए महिलाओं को एक्सरसाइज, डाइट पर ध्यान और पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है। क्योंकि फैटी लिवर के लक्षणों को गंभीर रुप लेने में अधिक समय नहीं लगता है। इसलिए अपनी डाइट और लाइफस्टाइल का खास ध्यान रखना चाहिए। महिलाओं को अपनी डाइट में फाइबर और प्रोटीन आदि को शामिल करना चाहिए। हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करने से स्ट्रेस लेवल मैनेज होता है।
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