जानिए क्या है सिस्टिक फाइब्रोसिस और कैसे पाएं इससे छुटकारा

cystic fibrosis
मिताली जैन । Dec 19 2020 2:15PM

एक आनुवांशिक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है, लेकिन इसका परिणाम यकृत रोग और मधुमेह जैसी घातक जटिलताओं में हो सकता है। आमतौर पर इस स्वास्थ्य समस्या के लिए आपके जीन जिम्मेदार होते हैं।

सिस्टिक फाइब्रोसिस एक बेहद गंभीर आनुवंशिक विकार है, जो व्यक्ति के शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। यह खासतौर से उन कोशिकाओं पर असर डालता है, जो पाचन रस, पसीना और श्लेष्म उत्पन्न करते हैं। इसमें शरीर मोटा और चिपचिपा बलगम पैदा करता है जो फेफड़ों को रोक सकता है और अग्न्याशय को बाधित कर सकता है। कई बार यह आपकी जान के लिए भी खतरा बन सकता है। तो चलिए आज हम आपको सिस्टिक फाइब्रोसिस के बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं−

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क्या है सिस्टिक फाइब्रोसिस

हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि एक आनुवांशिक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है, लेकिन इसका परिणाम यकृत रोग और मधुमेह जैसी घातक जटिलताओं में हो सकता है। आमतौर पर इस स्वास्थ्य समस्या के लिए आपके जीन जिम्मेदार होते हैं। जिसके कारण आपको सामान्य से अधिक मोटा और चिपचिपा बलगम का निर्माण होता है। यह बलगम फेफड़ों से बाहर खांसी के रूप में नहीं निकल पाता। इससे साँस लेने में कठिनाई हो सकती है और फेफड़ों के गंभीर संक्रमण हो सकते हैं। कई बार इस स्वास्थ्य समस्या के कारण व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। सिस्टिक फाइब्रोसिस वाले लोगों में मृत्यु का सबसे आम कारण श्वसन विफलता है।

लक्षण

हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि सिस्टिक फाइब्रोसिस मुख्य रूप से आपके श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इसलिए आपको उन अंगों से जुड़ी कुछ समस्याएं हो सकती हैं। जैसे−

- लगातार खांसी होना

- सांस लेने में कठिनाई

- घरघराहट

- फेफड़ों में संक्रमण

- भरी हुई नाक

- नाक के पॉलीप्स

- चिकना, दुर्गंधयुक्त मल

- कब्ज़

- जी मिचलाना

- पेट में सूजन

- भूख में कमी

- बच्चों में खराब वजन

- बच्चों की वृद्धि में देरी

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ऐसे करें उपचार

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, फिलहाल सिस्टिक फाइब्रोसिस का पूर्ण इलाज संभव नहीं है। लेकिन फिर भी दवाइयों के सेवन व कुछ थेरेपी की मदद से इसके लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिससे आपको यकीनन काफी बेहतर महसूस होता है। इसके अलावा आप अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके भी काफी राहत पा सकते हैं। मसलन, तरल पदार्थों का खूब सेवन करें क्योंकि वे फेफड़ों में बलगम को पतला करने में मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, वायुमार्ग में ढीला बलगम की मदद करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें। वहीं, इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के टीके नियमित रूप से लगवाएं।

मिताली जैन

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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