थकान को दूर करके मन को शांत करने के लिए करें सुखासन
सुखासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप किसी शांत जगह पर योगा मैट या चादर बिछाएं। अब इस पर पैर फैलाकर बैठ जाएं। अब आप पैरों को क्रॉस करते हुए पालथी मारकर बैठ जाएं। इस दौरान पैरों को आराम से रखें और घुटनों को जमीन से छूते रहें।
योग के प्रति लोगों का झुकाव पिछले कुछ समय में काफी बढ़ा है। वर्तमान में, अधिकतर लोग अपनी शारीरिक व मानसिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न योगासनों का सहारा लेते हैं। योगशास्त्र में विभिन्न आसनों के बारे में बताया गया है। हर आसन के अपने अलग लाभ है। ऐसा ही लाभदायी आसन है सुखासन। सुखासन दो शब्दों सुख और आसन से मिलकर बना है। वैसे तो इस आसन के कई लाभ होते हैं। लेकिन अगर थकान, तनाव, टेंशन व एंग्जाइटी से परेशान हैं तो आपको सुखासन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इससे आपके मन−मस्तिष्क को शांति मिलती है। इतना ही नहीं, यह शरीर के संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करता है। तो चलिए आज हम आपको सुखासन करने की विधि के बारे में बता रहे हैं−
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ऐसे करें अभ्यास
सुखासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप किसी शांत जगह पर योगा मैट या चादर बिछाएं। अब इस पर पैर फैलाकर बैठ जाएं। अब आप पैरों को क्रॉस करते हुए पालथी मारकर बैठ जाएं। इस दौरान पैरों को आराम से रखें और घुटनों को जमीन से छूते रहें। अब अपने हाथों को घुटनों पर रखें और हथेलियों को नीचे की तरफ रखें। इस दौरान आपकी कमर, सिर व गर्दन बिल्कुल सीधी हो और नजर को बिल्कुल सामने रखें। अब कुछ क्षण इसी अवस्था में रूकें। इसके बाद पैर बदलकर दोबारा यही अभ्यास करें।
मिलते हैं यह लाभ
सुखासन का अभ्यास करने से आपको कई लाभ होते हैं। इनमें सबसे पहले तो सुखासन के अभ्यास से आपको शारीरिक व मानसिक शांति मिलती है।
वहीं अगर काम के बाद आपको थकान महसूस हो रही है तो सुखासन से आपको काफी आराम मिलता है।
सुखासन के नियमित अभ्यास से बॉडी पॉश्चर सुधरता है।
इससे आपकी कमर, गर्दन व रीढ़ को स्ट्रेच करने में मदद मिलती है।
सुखासन के अभ्यास से टखनों, कूल्हों और घुटने में लचीलापन बढ़ता है और उन्हें बेहतर खिंचवा मिलता है।
सुखासन के नियमित अभ्यास से चेस्ट और कॉलर बोन्स चौड़े हो जाते हैं।
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रखें इसका ध्यान
सुखासन का अभ्यास करते समय आपको कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। जैसे− भोजन के तुरंत बाद इसका अभ्यास ना करें। योगाभ्यास और आपके भोजन के बीच में कम से कम तीन−चार घंटे का गैप अवश्य होना चाहिए। वहीं अगर आपके घुटने में चोट लगी हो तो इस आसन का अभ्यास करने से परहेज करें।
मिताली जैन
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