कब है देवशयनी एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि

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आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत का महत्व सभी एकादशियों में सबसे अधिक होता है। इसे देवशयनी, हरिशयनी या सौभाग्यदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु पूरे चाह माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं।

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सर्वश्रेठ माना जाता है। एक महीने में दो एकादशी पड़ती हैं, इस तरह से एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत का महत्व सभी एकादशियों में सबसे अधिक होता है। इसे देवशयनी, हरिशयनी या सौभाग्यदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु पूरे चाह माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद से सभी शुभ और मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। इस चार महीने की अवधि को चातुर्मास कहते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु कार्तिक के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं। आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी व्रत का मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में -

देवशयनी एकादशी 2022 का शुभ मुहूर्त 

आषाढ़ शुक्ल पक्ष तिथि आरंभ- 9 जुलाई शाम 04 बजकर 39 मिनट से

आषाढ़ शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त- 10 जुलाई दोपहर 02 बजकर 13 मिनट तक

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देवशयनी एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पूरे चार माह के लिए सो जाते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान की गई पूजा का फल जल्दी प्राप्त होता है। इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। इस दौरान शादी-ब्याह, मुंडन, सगाई और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन व्रत रखने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन व्रत-पूजन करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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देवशयनी एकादशी पूजन विधि

देवशयनी एकादशी के दिन सुबह प्रात: जल्दी उठ कर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें।

इसके बाद मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करके उन्हें स्नान करवाएं और साफ धुले हुए वस्त्र पहनाएं।

भगवान विष्णु के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें और उनकी विधि- विधान से पूजा करें।

भगवान को फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करें और उनकी आरती करें।

देवशयनी एकादशी के दिन व्रत कथा अवश्य पढ़ें।

भगवान विष्णु को भोग लगाएं और प्रसाद घर में सभी को बांटे और खुद भी ग्रहण करें।

अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन पारण करें।

- प्रिया मिश्रा 

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