Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2024: विघ्नराज गणेश चतुर्थी व्रत से होता है सुख-समृद्धि का वास

Vighnaraj Ganesh Chaturthi
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सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ तिथि पर गणेश और विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन विघ्नराज गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा की जाती है।

21 सितम्बर को विघ्नराज गणेश चतुर्थी है, यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्ति भाव से देवों के देव महादेव एवं मां पार्तवी के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से आर्थिक तंगी समेत सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है, तो आइए हम आपको विघ्रराज गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

जानें विघ्नराज गणेश चतुर्थी के बारे में 

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ तिथि पर गणेश और विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन विघ्नराज गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-सेवा करते हैं। विघ्नराज गणेश चतुर्थी का व्रत हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इसे हम अश्विन गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। हर माह में चतुर्थी का व्रत दो बार आता है। पहला कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी होती है। गणेश चतुर्थी का व्रत रखने वाले सभी लोग दिन में गणेश जी की पूजा करते हैं और रात के समय चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं।

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विघ्नराज गणेश चतुर्थी 2024 चंद्रोदय समय 

21 सितंबर 2024 को विघ्नराज गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा रात 08.29 पर निकलेगा, गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा जरुरी मानी गई है, इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है। चतुर्थी तिथि पर गणपति जी की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 07 बजकर 40 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर है। वहीं शाम में 06 बजकर 19 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 47 मिनट तक भी पूजा का मुहूर्त है। हालांकि विघ्नराज गणेश चतुर्थी की पूजा कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। व्रत के साथ-साथ कथा सुनने व पढ़ने से ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है। 

विघ्रराज गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व

विघ्नराज गणेश चतुर्थी का व्रत करने से संपूर्ण विपत्तियों का नाश होता है। साथ ही जीवन में शांति और धन-धान्य का वास होता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए विघ्नराज गणेश चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है। जो आश्विन मास की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। ये दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। इससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही बप्पा के आशीर्वाद से सभी दुख-दर्द का अंत होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास की चतुर्थी तिथि यानी विघ्नराज गणेश चतुर्थी का व्रत 21 सितंबर को रखा जाएगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग में है विघ्नराज गणेश चतुर्थी

इस बार की अश्विन गणेश चतुर्थी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में है। व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 9 मिनट से बन रहा है, जो 21 सितंबर को तड़के 2 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, उसके सफल होने की उम्मीद अधिक रहती है। इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं।

विघ्नराज गणेश चतुर्थी व्रत की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, दानवीर दैत्यराज बलि के सौ प्रतापी पुत्र में से बाणासुर भी एक था, जिसने भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। बाणासुर की एक बेटी भी थी, जिसका नाम उषा था। एक दिन उषा को सपना आया कि वो अपने होने वाले पति अनिरुद्ध से दूर जा रही हैं। इस सपने के बाद से ही वो विचलित हो गई। उन्होंने अपनी सहेली चित्रलेखा से कहा कि, ‘त्रिभुवन में रहने वाले सभी लोगों के चित्र बनवाए, जिसमें से वो अनिरुद्ध को पहचान पाए।’ चित्रलेखा ने चित्र को बनवाकर उषा को दे दिया। उषा ने एक चित्र को देखते हुए कहा, ‘ये वो ही है, जिसके साथ सपने में मेरा पाणिग्रहण हुआ था।’ इसके बाद उषा ने अपनी सहेली को उसे ढूंढने का आदेश दिया। अपनी सखी के कहने पर चित्रलेखा ने कई स्थानों पर अनिरुद्ध को ढूंढा। कई दिनों बाद द्वारकापुरी में अनिरुद्ध मिला, जिसके बाद उसे बाणासुर नगरी लाया गया।

अनिरुद्ध के गुम होते ही राजा प्रद्युमन अपने पुत्र के शोक में चले गए। तब दुखी रुक्मिणी ने भगवान कृष्ण से कहा, ‘हमारे पौत्र का किसी ने हरण किया है या वो अपनी इच्छा से गया है? कृपया बताइए। नहीं तो, मैं अपने प्राण त्याग दूंगी।’ रुक्मिणी की बातें सुनकर श्रीकृष्ण जी ने यादवों की सभा बुलाई। जहां पर उन्होंने लोमश ऋषि के दर्शन करके उन्हें सारी घटना के बारे में बताया। तब लोमश मुनि ने कृष्ण जी को बताया कि, ‘बाणासुर नगरी की उषा नामक एक कन्या की सहेली चित्रलेखा ने आपके पौत्र का अपहरण किया है, जो बाणासुर के महल में ही है।

सर्वार्थ सिद्धि योग में विघ्नराज गणेश चतुर्थी

इस बार की अश्विन गणेश चतुर्थी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में है। व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 9 मिनट से बन रहा है, जो 21 सितंबर को तड़के 2 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, उसके सफल होने की उम्मीद अधिक रहती है. इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं।

विघ्नराज गणेश चतुर्थी 2024 चन्द्रोदय समय

गणेश चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय शाम को 7 बजकर 49 मिनट पर होगा. इसके बाद आप कभी भी चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण कर सकते हैं. चंद्रमा की पूजा किए बिना अश्विन गणेश चतुर्थी का व्रत पूर्ण नहीं होता है।

विघ्नराज गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा

पंडितों के अनुसार सुबह जल्दी स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें मोदक, लड्डू, फल और अन्य प्रिय भोग अर्पित करें। गणेश जी की आरती करें और व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

विघ्नराज गणेश चतुर्थी व्रत में करें इन नियमों का पालन

उपवास के दिन केवल फल और दूध का सेवन करना चाहिए। इस दिन रात्रि में चंद्रमा को देखकर व्रत का पारण करें।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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