PM Ji Van scheme क्या है? इसका उद्देश्य क्या है? इससे किसको लाभ मिलेगा?

PM Ji Van scheme
Prabhasakshi
कमलेश पांडे । Aug 5 2023 4:07PM

सेंट्रल गवर्नमेंट ने 2023 तक इथेनॉल के 10% सम्मिश्रण प्रतिशत को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। उच्च इथेनॉल की कीमतों, इथेनॉल खरीद प्रणाली के सरलीकरण जैसे विभिन्न प्रयास किए गए हैं। लेकिन अब भी 2017-18 के दौरान इथेनॉल की खरीद लगभग 150 करोड़ लीटर इथेनॉल की है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से आर्थिक मामलों का समर्थन करने वाली कैबिनेट समिति ने देश में जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए "प्रधानमंत्री जी-वन योजना 2023" की शुरुआत बीते दिनों की है। जिसका उद्देश्य कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है। बता दें कि वर्ष 2019 में शुरू हुई योजना के तहत सरकार का लक्ष्य 2023 के अंत तक देश में एथनॉल का उपयोग 10 प्रतिशत तक सुनिश्चित करना है। केंद्र सरकार द्वारा इस साल के अंत तक पेट्रोलियम ईंधनों में 10 प्रतिशत तक ऐथोनॉल का मिश्रण करने के साथ साथ वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल का उपयोग करने का लक्ष्य रखा है।

इसी के दृष्टिगत आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए/CCEA) ने प्रधानमंत्री जी-वन  (PM JI-VAN) (वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री जी-वन योजना लिग्नोसेलुलोसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक के उपयोग द्वारा एकीकृत जैव इथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। प्रधानमंत्री जी-वन योजना का वित्तीय निहितार्थ यह है कि केंद्रीय सरकार 2018 से 2023-24 की अवधि के लिए 1969.50 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ इस योजना का समर्थन करेगी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023 तक पेट्रोल में इथेनॉल का 10% सम्मिश्रण प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।

# पीएम जी-वन योजना का उद्देश्य क्या है?

सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य पेट्रोलियम प्रोडक्ट में एथनॉल की मात्रा को बढ़ाना है, क्योंकि दुनिया भर में बढ़ते कच्चे तेल के दामों के कारण सरकार एथनॉल के उपयोग के बढ़ा कर कच्चे तेल पर निर्भरता कम करना चाहती है।

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# प्रधानमंत्री जी-वन क्यों जरूरी है?

सेंट्रल गवर्नमेंट ने 2023 तक इथेनॉल के 10% सम्मिश्रण प्रतिशत को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। उच्च इथेनॉल की कीमतों, इथेनॉल खरीद प्रणाली के सरलीकरण जैसे विभिन्न प्रयास किए गए हैं। लेकिन अब भी 2017-18 के दौरान इथेनॉल की खरीद लगभग 150 करोड़ लीटर इथेनॉल की है। यह पैन इंडिया के आधार पर लगभग 4.22% सम्मिश्रण के लिए पर्याप्त है। वैकल्पिक रूप से, MoP, NG ने EBP प्रोग्राम के तहत आपूर्ति अंतर को घटाने के लिए बायोमास और अन्य कचरे से 2G इथेनॉल पीढ़ी की खोज शुरू कर दी है। इसलिए, भारत में 2G इथेनॉल क्षमता बनाने और इस नए क्षेत्र के लिए निवेश आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री जैव ईंधन योजना शुरू की गई है।

सेंटर फॉर हाई टेक्नोलॉजी जो पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoP & NG) के अंतर्गत एक तकनीकी संस्था है, प्रधानमंत्री जैव ईंधन योजना 2019 की प्राथमिक कार्यान्वयन एजेंसी होगी। सभी परियोजना डेवलपर जो योजना लाभ लेने के लिए इच्छुक हैं, उन्हें वैज्ञानिक सलाहकार समिति द्वारा समीक्षा के लिए अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा। एसएसी (SAC) द्वारा अनुशंसित सभी परियोजनाओं को संचालन समिति द्वारा अनुमोदित किया जाना है।

# प्रधानमंत्री जी-वन योजना के चरण 

चरण-1 (2018-19 से 2023-23)– यहां 6 वाणिज्यिक परियोजनाएं और 5 प्रदर्शन परियोजनाओं का समायोजन किया जाएगा।

चरण-2 (2020-21 से 2023-24)– यहां शेष 6 वाणिज्यिक परियोजनाएं और 5 प्रदर्शन परियोजनाओं का समायोजन किया जाएगा।

प्रधान मंत्री जी-वन योजना 2G इथेनॉल क्षेत्र को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी और वाणिज्यिक परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर इस क्षेत्र को बढ़ाने के लिए इस उद्योग का समर्थन करेगी।

# प्रधानमंत्री जी-वन योजना के सात लाभ को जानिए

प्रधानमंत्री जी-वन (JI-VAN) योजना के निम्नलिखित लाभ होंगे- 

पहला, केंद्रीय सरकार के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए जैव ईंधन के साथ जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित करके आयात निर्भरता को कम करने के लिए।

दूसरा, जीवाश्म ईंधन के प्रगतिशील सम्मिश्रण/प्रतिस्थापन द्वारा जीएचजी उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को प्राप्त करना।

तीसरा, पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए जो कि बायोमास के जलने, फसल के अवशेष और नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार के कारण होती हैं। 

चतुर्थ, अपने अपशिष्ट कृषि अवशेषों के लिए पर्याप्त आय सुनिश्चित करके किसान की आय बढ़ाने के लिए। 

पंचम, बायोमास आपूर्ति श्रृंखला के साथ टूजी (2G) इथेनॉल परियोजनाओं में ग्रामीण और शहरी रोजगार के अवसरों का निर्माण।

छठा, बायोमास और शहरी कचरे जैसे गैर-खाद्य जैव ईंधन फीडस्टॉक्स के एकत्रीकरण का समर्थन करके स्वच्छ भारत मिशन में योगदान दें। 

सप्तम, इथेनॉल प्रौद्योगिकियों के लिए दूसरी पीढ़ी के बायोमास का स्वदेशीकरण।

# प्रधानमंत्री जी-वन योजना 2023 के लिए रजिस्ट्रेशन ऐसे कीजिए 

सबसे पहले आप योजना से संबंधित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। इसके बाद Scheme सेक्शन पर क्लिक करें। अब आपके सामने बहुत सारी योजना आ जाएगी। यहाँ पर आपको PM JI-VAN पर क्लिक करना है। अब आपके सामने योजना की जानकारी आ जाएगी। इसके बाद आपको आवेदान करने के लिए योजना के फॉर्म को खोल लेना है और आवेदन में मांगी गई सभी डिटेल्स को भरना है। अंत में आपको भरे हुए आवेदन को एक बार फिर से चेक करना है और अंत में आप संबंधित विभाग को फॉर्म जमा कर सकते हैं।

# प्रधानमंत्री जी-वन योजना को किसने शुरू किया है और किस विभाग द्वारा इसे लागू किया जा रहा है? 

इस योजना के केंद्र सरकार के द्वारा शुरू किया गया है और पीएम मोदी के द्वारा इसे लॉन्च किया गया था। इस योजना को भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय विभाग के द्वारा लागू किया जा रहा है। 

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली के मुताबिक, मोदी सरकार ने मार्च, 2019 में “प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन-वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना” को अधिसूचित किया था। यह योजना देश में दूसरी पीढ़ी की एथेनॉल परियोजनाओं की स्थापना के लिए एकीकृत जैव-इथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए है। ये परियोजनाएं लिग्नोसेलूलोसिक बायोमास तथा अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग करने वाली हैं। योजना का कुल वित्तीय परिव्यय वर्ष 2018-19 से 2023-24 की अवधि के लिए 1969.50 करोड़ रुपये है।

पीएम जी-वन योजना के अंतर्गत वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए प्रति परियोजना 150 करोड़ रुपये और प्रदर्शन परियोजनाओं के लिए प्रति परियोजना 15 करोड़ रुपये की अधिकतम वित्तीय सहायता निर्धारित की गई है ताकि व्यावसायिक व्यवहार्यता बढ़ाने के साथ-साथ विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित किया जा सके और 2जी इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा सके।

इस योजना के अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, असम और कर्नाटक में छह वाणिज्यिक दूसरी पीढ़ी (2जी) की जैव-इथेनॉल परियोजनाओं तथा हरियाणा और आंध्र में एक-एक प्रदर्शन 2जी इथेनॉल परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को 880 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इनमें से पानीपत (हरियाणा) में वाणिज्यिक परियोजना राष्ट्र को समर्पित की गई है और बठिंडा (पंजाब), बरगढ़ (ओडिशा) और नुमालीगढ़ (असम) में वाणिज्यिक परियोजनाएं निर्माण के अग्रिम चरण में हैं।

पीएम जी-वन योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता के अतिरिक्त 2जी इथेनॉल संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए अन्य कदमों में गैर-मिश्रित ईंधन पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाना; इथेनॉल खरीद समझौते (ईपीए) पर हस्ताक्षर  करके निजी हितधारकों को तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा 15 वर्षों के लिए ऑफ टेक आश्वासन; 2जी इथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक का विविधीकरण; 2जी इथेनॉल के लिए अलग मूल्य, ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल पर जीएसटी दर घटाकर 5 प्रतिशत करना आदि शामिल हैं।

पीएम जी-वन योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता के अलावा, 2जी इथेनॉल संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए अन्य कदमों में गैर-मिश्रित ईंधन पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाना शामिल है। इसके साथ ही विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन को प्रोत्साहित करना; अधिशेष जैव ईंधन फीडस्टॉक की क्षमता वाले क्षेत्रों की पहचान करना; मुख्यधारा के जैव ईंधन के लिए नीतिगत हस्तक्षेप; 2जी इथेनॉल आदि के लिए अलग कीमत भी निर्धारित किया गया है।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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