साल 2020 में इन योजनाओं को लेकर आई मोदी सरकार, आमजन को हो रहा सीधा फायदा
कोरोना वायरस प्रकोप से निपटने के लिए अकस्मात घोषित राष्ट्रीय लॉकडाउन और उससे प्रभावित हुए गरीब लोगों की मदद हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत महज तीन महीने के लिए की, उसे बाद में पांच महीने के लिए बढ़ाया गया।
साल 2020 के खत्म होने में बस कुछ ही दिन बचे हैं। पूरे साल के लेखा-जोखा को देखें तो यह कहा जा सकता है कि 2020 21वीं सदी का अब तक का सबसे चुनौती वाला वर्ष रहा है। कोरोनावायरस की महामारी ने पूरी दुनिया में ब्रेक लगा दिया था। कोरोनावायरस महामारी अभी गया नहीं है परंतु अर्थव्यवस्था और जिंदगी चलाने के लिए कामकाज को फिर से शुरू किया जा रहा है। भारत में भी एक लंबे लॉकडाउन के बाद अब जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। सरकार की ओर से भी लगातार लोगों को किस तरीके से फायदे पहुंचाई जाए, इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही है। आज आपको हम यह बताएंगे कि आखिर भारत सरकार द्वारा ऐसी कौन-कौन सी योजनाएं इस साल लाई गई है जिसका सीधा लाभ देश की जनता को होने वाला है।
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गरीब कल्याण योजना
कोरोना वायरस प्रकोप से निपटने के लिए अकस्मात घोषित राष्ट्रीय लॉकडाउन और उससे प्रभावित हुए गरीब लोगों की मदद हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत महज तीन महीने के लिए की, उसे बाद में पांच महीने के लिए बढ़ाया गया। अप्रैल, मई और जून में जो राशन व नगद धनराशि गरीबों को दी गई, पर्व-त्यौहारों को देखते हुए नवम्बर माह तक बढ़ा दिया गया था। इसके तहत गरीबों को 5 किलो ग्राम अनाज और 1 किलोग्राम चना बिल्कुल मुफ्त प्रति माह मिलता रहा।
ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्य लौटे प्रवासी मजदूरों को सशक्त करने तथा उन्हें आजीविका मुहैया कराने के लिए जुन माह में गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरूआत की थी। यह अभियान 125 दिनों के मिशन मोड में चलाया गया, जिसके अंतर्गत प्रवासी श्रमिकों को रोज़गार देने के लिए 25 विभिन्न प्रकार के कार्यों को तेज़ गति से कराए गए। इसमें गरीबों के लिए ग्रामीण आवास, वृक्षारोपण, जल जीवन मिशन के माध्यम से पीने के पानी के प्रावधान और पंचायत भवन, सामुदायिक शौचालय, ग्रामीण मंडियों, ग्रामीण सड़कों, पशु शेड और आंगनवाड़ी भवन के निर्माण कार्य शामिल हैं।
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घर तक फाइबर योजना
घर तक फाइबर योजना भारत सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इस योजना की शुरुआत 21 सितंबर 2020 को हुई थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने यह कहा था कि बिहार के सभी 45945 गांव को उच्च गति वाले ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से जोड़ा जाएगा। यह योजना केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। इस योजना के तहत एक गांव या ग्राम पंचायत को भारत नेट से जोड़ा जाएगा।
ई-संजीवनी मेडिसिन प्लेटफार्म
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के टेलीमेडिसिन सेवा मंच ‘ई-संजीवनी’ दो प्रकार की टेलीमेडिसिन सेवाएं देता है। पहला है- ई-संजीवनी के जरिए डॉक्टर से डॉक्टर के बीच और दूसरा, ई-संजीवनी के माध्यम से रोगी और डॉक्टर के बीच। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस मंच ने संकट के ऐसे समय में आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई है जब कोविड-19 महामारी के चलते पारंपरिक दवा माध्यम को जोखिम भरा माना जा रहा है। इस सेवा का उद्देश्य दिसंबर 2022 तक सभी डेढ़ लाख स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों में टेली परामर्श क्रियान्वित करने का है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि ईसंजीवनी का इस्तेमाल देश के 550 जिलों के मरीज करते हैं। बयान के मुताबिक ईसंजीवनी के 10 प्रतिशत उपयोगकर्ता 60 साल या इससे अधिक उम्र के हैं जबकि एक चौथाई मरीजों ने एक बार से अधिक बार इस सुविधा का इस्तेमाल किया है।
नई शिक्षा नीति
नई शिक्षा नीति पर मुहर लगने के साथ ही करीब 34 साल बाद हिन्दुस्तान में बदल गया शिक्षा नीति का पैटर्न। नई शिक्षा नीति में स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा। इसके साथ ही शिक्षा नीति में किए गए बदलावों में मातृभाषा और स्थानीय भाषा को तव्वजो दी जाएगी। सरकार ने सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण, विकास और उन्हें मजबूत बनाने के लिए अब स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक भारतीय भाषाओं को शामिल करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही सभी भारतीय और प्राकृत भाषाओं के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई) की स्थापना करने की बात की है।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मसौदा तैयार किया गया है। इसमें रजिस्टर हर व्यक्ति को एक मुफ्त हेल्थ आईडी मिलेगा जिससे वह खुद अपनी गोपनीय जानकारी पर नियंत्रण कर सकता है। इस मसौदे में यह भी कहा गया है कि बिना व्यक्ति के इजाजत से उसकी कोई भी जानकारी हासिल नहीं की जा सकती। माना जा रहा है कि इस मिशन के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता और पारदर्शिता में वृद्धि होगी। इसके अलावा भारत संयुक्त राष्ट्र वैश्विक हेल्थ कवरेज के लक्ष्य को भी हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। साथ ही इसमें डॉक्टर और हेल्थ फैसिलिटी भी रजिस्टर की जाएगी। हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री के तहत सभी हॉस्पिटल, क्लीनिकल लैब आपस में जुड़ सकेंगे और यूनिक आईडी भी पा सकेंगे।
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पीएम स्वानिधि योजना
कोरोना के मार का बाद सरकार ने इस साल पीएम स्वानिधि योजना शुरू करने का एलान किया। इस योजना का लाभ रेहड़ी पटरी वालों और छोटी मोटी दुकान लगाकर आजीविका चलाने वालों को मिलेगा। इसका मकसद रेहड़ी-पटरी और छोटी दुकान चलाने वालों को सस्ता कर्ज देना है। सरकार ने इसे पीएम स्वनिधि या पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि का नाम दिया है। इस योडना के तहत 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स कर्ज ले सकते हैं। लिए गए कर्ज पर ब्याज की दर भी कम होगी। इस योजना के लिए सरकार ने 5000 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है।
एक देश, एक राशन कार्ड
एक देश, एक राशन कार्ड का मतलब एक ही राशन कार्ड का इस्तेमाल देश के किसी भी हिस्से में किया जा सकता है। इस योजना को लागू करने का मूल उद्देश्य यह है कि देश का कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी आधारित खाद्य पदार्थों से वंचित ना रहे। यह योजना देश के 77% राशन की दुकानों पर लागू की जा सकती हैं। योजना वहीं लागू होगी जहां पहले से PoS मशीन उपलब्ध है। इस योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत पीडीएस की 83 फीसदी आबादी वाले 23 राज्यों में 67 करोड़ लाभार्थियों को अगस्त 2020 तक राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी द्वारा कवर किया जाएगा। हालांकि मार्च 2021 तक शत-प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी प्राप्त की जाएगी।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का विस्तार
सरकार ने अपनी प्रमुख योजना प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत शिशु कर्ज श्रेणी के कर्जदाताओं को 2 प्रतिशत ब्याज सहायता देने को मंजूरी दी। शिशु श्रेणी के अंतर्गत लाभार्थियों को 50,000 रुपये तक कर्ज बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएमएमवाई के तहत शिशु कर्ज श्रेणी के कर्जदाताओं को 2 प्रतिशत ब्याज सहायता देने को मंजूरी दी है। पात्र कर्जदाताओं को 31 मार्च 2020 तक के बकाया ऋण पर ब्याज सहायता 12 महीने के लिये मिलेगी। देश में ऐसे लाभार्थियों की संख्या करीब 9.37 करोड़ है। इसके तहत 10 लाख रुपये तक का कर्ज लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को दिया जाता है। मुद्रा कर्ज के नाम से चर्चित यह ऋण वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, छोटी राशि के कर्ज कर्ज देने वाले संस्थान (एमएफआई) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां देती हैं।
मत्स्य संपदा योजना
10 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने ई-गोपाला एप भी लॉन्च किया, जो किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिये एक समग्र नस्ल सुधार, बाज़ार और सूचना पोर्टल है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बिहार में मछली पालन और पशुपालन क्षेत्रों में भी कई पहलों की शुरुआत की। मत्स्य संपदा योजना को देश भर में मत्स्य पालन को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। केंद्र सरकार अगले पांच वर्षों में वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक इस स्कीम में लगभग 20,050 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सरकार के मुताबिक इस स्कीम से देश के लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। PMMSY योजना के तहत देश में 2024-25 में मछली के उत्पादन को लगभग 70 लाख टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन को मंजूरी
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी यानी एनआरए एक बहु-निकाय एजेंसी होगी, जो रेलवे मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग, एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस में जॉब की योग्यता प्रदान करने का एक निष्पक्ष व सशक्त माध्यम बनेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने ही इसका गठन करने का निर्णय किया है, जो केंद्रीय सेवाओं में समूह ख और ग जैसे गैर-तकनीकी पदों के लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग करने के लिए सामान्य योग्यता परीक्षा यानी CET आयोजित करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार की नौकरियों के लिये भर्ती प्रक्रिया में परिवर्तनकारी सुधार लाने हेतु राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (National Recruitment Agency- NRA) के गठन को मंज़ूरी दे दी है। एक आधिकारिक घोषणा के मुताबिक, एनआरए के तहत वर्ष में दो बार परीक्षा आयोजित होगी, जिसका स्कोर तीन वर्ष तक मान्य रहेगा। इस कदम से न सिर्फ भर्ती, चयन और नौकरी में प्लेसमेंट आसान होगा, बल्कि समग्र रूप से सुगमता सुनिश्चित होगी। इसके तहत कुल 1,000 केन्द्र खोले जाएंगे। हर जिले में एक केन्द्र होगा, जहां पर अभ्यर्थी परीक्षा दे सकेंगे।
- अंकित सिंह
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