Satyapal Malik Interview: 'वो दिन भी आयेगा जब मोदी-शाह CBI और ED दफ्तर के चक्कर लगाएंगे'
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि सत्ता में सदैव ये लोग तो रहेंगे नहीं, जब सत्ता परिवर्तन होगा, तो इनकी भी फाइलें सीबीआई, ईडी के कार्यालयों में खुलेंगी। देश किस मोड़ पर पहुंच चुका है, इन्हें अंदाजा नहीं? मणिपुर सुलग रहा है और इन्हें विदेशों दौरों की सूझ रही है?
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमलावर हैं। पद छोड़ने के बाद से ही वह उनकी नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। पुलवामा जैसे हमले को केंद्र सरकार की नाकामी बताकर उन्होंने ऐसा हंगामा काटा हुआ है जिस पर केंद्र सरकार को जवाब देते भी नहीं बन रहा। उनके आरोपों पर भाजपा शांत है। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर के साथ बातचीत में सत्यपाल मलिक ने खुलकर कई मसलों पर बात की। उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा आएगा जब मोदी-शाह के मामले भी सीबीआई-ईडी कार्यालयों में खुलेंगे। सत्ता परिवर्तन के बाद दूसरे सरकारें भी चुन-चुन कर बदला लेंगी। पेश हैं साक्षात्कार के मुख्य अंश-
प्रश्नः लंबा वक्त बीत गया आपको केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला बोलते हुए। लगता है सरकार गंभीरता से नहीं ले रही आपको?
उत्तरः मुझे क्या, किसी को गंभीरता से नहीं लेती मौजूदा सरकार। देश में अब ना कोई अक्लदार है और न कोई समझदार? उनकी नजरों में सभी मूर्ख हैं। उनकी टोली में जितने भी लोग शामिल हैं, उनमें ज्यादातर सदस्यों की रीढ़ की हड्डी कमजोर हैं। सरकार के साथ वही रह सकता है जो उनके हां में हामी भरे और गलत नीतियां देखकर भी आंखों पर पट्टी बांधे रखे। ये मेरे जैसा इंसान शायद जीवन में कभी नहीं कर पाए, मैं इतना कहूंगा कि आने वाला समय न सिर्फ भाजपा के लिए बुरा होने वाला है, बल्कि मोदी-शाह को भी परेशान करेगा। फिलहाल अभी इनके डर-खौफ के चलते कोई बोलता नहीं, लेकिन विरोध का ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है।
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प्रश्नः कैसी ज्वालामुखी, जरा विस्तार से बताएं?
उत्तर- मोदी के खिलाफ विरोध के ज्वालामुखी अंदरखाने उठ चुका है। समय आने पर इनके ही लोग इनको किनारे लगा देंगे। आप बताइए, किसी भी मंत्रालय की चर्चा मीडिया में होती है अब? नहीं ना? पुलिया का उद्घाटन करना हो, नई रेल चलानी हो, नई बिल्डिंग का फीता काटना हो आदि जगहों पर आपको एक ही चेहरा दिखेगा। सारे के सारे मंत्रालय मंत्रीहीन हुए पड़े हैं। किसी की हिम्मत नहीं जो सेनापति के सामने बोल सके। सत्ता में सदैव ये लोग तो रहेंगे नहीं, जब सत्ता परिवर्तन होगा, तो इनकी भी फाइलें सीबीआई, ईडी के कार्यालयों में खुलेंगी। देश किस मोड़ पर पहुंच चुका है, इन्हें अंदाजा नहीं? मणिपुर सुलग रहा है और इन्हें विदेशों दौरों की सूझ रही है?
प्रश्नः अमेरिकी दौरे से मणिपुर घटना का क्या लेना-देना?
उत्तर- आपके घर में आग लगी हो और आप दौरा करेंगे? मणिपुर हिंसा भी भाजपा की गलत नीतियों का ही नतीजा है। मणिपुर में अगर कांग्रेस या किसी अन्य दल की सरकार होती तो अभी राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया होता। भाजपाई हंगामा काट रहे होते। लेकिन वहां भाजपा की सरकार है इसलिए सब शांत हैं, मीडिया भी चुप है। एक तरफ पूरा मणिपुर जल रहा है, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे हैं। यात्रा को सफल बनाने के लिए उनके भक्त अभी से रणनीतियां बनाने में लगे हैं।
प्रश्नः पुलवामा जैसे गंभीर आरोपों को भी सरकार ने नकार दिया?
उत्तर- सरकार ने नकारा है, जनता ने नहीं? पुलवामा का संदेश जहां तक जाना था, पहुंच चुका है। चुनाव में जनता सबक सिखाएगी, इनके भावनात्मक और धार्मिक मुद्दे अब नहीं चलने वाले। कर्नाटक में बजरंग बली वाला मुद्दा फुस्स हुआ, जनता ने खदेड़ दिया। वहां, हर प्रकार के हथकंड़े इन्होंने अपनाए, लेकिन कोई नहीं चला। यही हाल 2024 में और उससे पहले होने वाले विधानसभा चुनावों में भी होने वाला है।
प्रश्नः केंद्र सरकार अब आपको ही कटघरे में खड़ा करती है कि राज्यपाल रहते आपने विरोध क्यों नहीं किया?
उत्तर- मैंने तत्काल विरोध किया था। मुझे नींद तक नहीं आई थी उस दिन। पुलवामा हादसे के दिन मुझे चुप रहने को कहा गया, बात दिल्ली तक पहुंचाई तो मुझे कहा गया कि आप कुछ नहीं बोलेंगे। फिर मुझे पता चला कि ये उसी दिशा में ले जा रहे हैं। यानी पाकिस्तान की ओर? तब मुझे प्रतीत हुआ कि अब ये विरोध करना खतरनाक साबित हो सकता है। मुझे देशद्रोही क़रार देते इन्हें देर नहीं लगती। दूसरी बात बताता हूं, किसान आंदोलन के दौरान भी मैंने विरोध किया था, तब भी मुझको नज़रअंदाज़ किया गया। इन खुलासों के बाद मुझे हर पल जान का खतरा रहता है। लेकिन मैं सच की लड़ाई लड़ता रहूंगा, उसके लिए चाहे जो भी कुर्बानी चुकानी पड़े।
-बातचीत में जैसा पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर से पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा।
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