दिग्गजों के लचर प्रदर्शन से न्यूजीलैंड ने किया क्लीन स्वीप, आस्ट्रेलिया दौरे पर क्या होगा हाल?
देश के क्रिकेट प्रेमियों में गुस्सा है तो विशेषज्ञ अपने स्तर से पराजय का विश्लेषण कर रहे हैं। दरअसल, ऐसा पहले कभी हुआ नहीं इसलिए पूरी टीम निशाने पर आ गई है। सबसे बड़ा कारण सीनियर खिलाडि़यों का असफल होना है।
इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। क्रिकेट इतिहास का एक बुरा दौर अभी−अभी बीता है। भारतीय टीम ने घरेलू मैदान पर जैसा दयनीय प्रदर्शन किया है उसे लोग जल्द भुलाना चाहेंगे। मगर, कुछ कड़वी यादें ऐसी होती हैं जिसे भुला पाना आसान नहीं होता। न्यूजीलैंड की टीम भारत में आकर 3−0 से हमारा सफाया कर देगी, यह भला किसने सोचा था ? स्टार खिलाडि़यों से सुसज्जित टीम इंडिया ने बड़ी आसानी से घुटने टेक दिए। इतिहास के पन्नों में यह शर्मनाक पराजय लिखी जा चुकी है। इसे अब बदला नहीं जा सकता। खेल जगत में मान प्रतिष्ठा अर्जित करने में बहुत समय लगता है लेकिन गंवाने के लिए एक क्षण ही काफी है। भारतीय टीम पिछले एक दशक में नंबर वन टीम बन चुकी थी। आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप की अंक तालिका में हम सबसे ऊपर चल रहे थे। पर, इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद नंबर दो पर आ गए हैं। पिछले 12 साल में टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत अपनी धरती पर अपराजेय था। इंग्लैंड की टीम ने 2012 में यहां आकर टीम इंडिया को टेस्ट सीरीज में शिकस्त दी थी। यही नहीं, न्यूजीलैंड ने कभी भारत में टेस्ट सीरीज नहीं जीती, मगर 2024 में उसका यह सपना भी साकार हो गया है। पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने बिल्कुल सही कहा है कि 'यह हार आसानी से हजम होने वाली नहीं है। यह पराजय आत्ममंथन की मांग करती है।'
देश के क्रिकेट प्रेमियों में गुस्सा है तो विशेषज्ञ अपने स्तर से पराजय का विश्लेषण कर रहे हैं। दरअसल, ऐसा पहले कभी हुआ नहीं इसलिए पूरी टीम निशाने पर आ गई है। सबसे बड़ा कारण सीनियर खिलाडि़यों का असफल होना है। इन्होंने यदि जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाई होती तो हालात इतने खराब नहीं होते। कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा ये चार खिलाड़ी सभी को अधिक दोषी लग रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आपका इतना लंबा अनुभव किस काम का है ? इनमें से किसी ने भी विकेट पर टिकने की जरूरत नहीं समझी। टेस्ट मैच में ही आपके धैर्य, तकनीक और कौशल की असली परीक्षा होती है। अपनी टीम घरेलू मैदान की परिस्थितियों से अच्छी तरह अवगत है। इसके बावजूद विपक्षी टीम के हमले का आप जवाब नहीं दे सके। लड़ कर हारते तो भी गनीमत थी लेकिन इन्होंने तो मैदान ही छोड़ दिया। चारो सीनियर खिलाडि़यों से संन्यास की मांग भी उठने लगी है। एक सवाल यह उठ रहा है कि घर में शर्मनाक पराजय के बाद भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला कैसे करेगी। वहां की उछाल भरी पिचों पर तो रन बनाना काफी कठिन होता है।
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खुद ही फंस गए स्पिन के जाल में
स्पिन गेंदबाजी हमेशा से भारत की मुख्य ताकत रही है। यही कारण है कि देश में जब मैच होते हैं तो स्पिन के अनुकूल विकेट तैयार कराए जाते हैं। मेजबान टीम को अपने हिसाब से पिच तैयार करने की छूट होती है। सभी देश इसका फायदा उठाते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। पिछले एक दशक में इसी ताकत के बल पर भारत ने विपक्षी टीमों को रौंदा है। यह भी कहा जाता है कि हमारे खिलाड़ी स्पिन गेंदबाजी को अच्छी तरह खेल लेते हैं। मगर, इस बार दांव उल्टा पड़ गया। न्यूजीलैंड के स्पिनर मिचेल सेंटनर ने पुणे में और एजाज पटेल ने मुंबई टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों की कड़ी परीक्षा ले डाली। जीत के लिए 147 रनों का लक्ष्य भी भारत के लिए पहाड़ जैसा हो गया। अनुभवी बल्लेबाज विराट कोहली तो हमेशा स्पिनर के ही शिकार हुए। उनके मुकाबले भारत के स्पिनर विकेट के लिए संघर्ष करते दिखे। बीसीसीआई को इस बारे में एक नीति बनानी होगी कि घरेलू पिच किस तरह की बनाई जाए। मनमाफिक पिच बनाने का नतीजा हम सबके सामने है।
गंभीर की कोचिंग भी सवालों के घेरे में
जून में टी−20 विश्व कप के बाद जब मुख्य कोच राहुल द्रविड़ का कार्यकाल समाप्त हो गया तो गौतम गंभीर को उनकी जगह लाया गया। गंभीर की कोचिंग में कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम ने इस साल का आईपीएल खिताब जीता था। इसलिए बीसीसीआई ने उन्हें भारतीय टीम को हेड कोच बना दिया। मगर, न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उनकी कोचिंग का कमाल नहीं दिखा। कप्तान और कोच मिलकर कई निर्णय करते हैं। मैच की रणनीति बनाने में कोच की अहम भूमिका होती है। लेकिन इस सीरीज में कई निर्णय गलत साबित हो गए। मुंबई टेस्ट में मोहम्मद सिराज को नाइट वाचमैन के रूप में भेजना एक गलत फैसला था। ग्यारहवें नंबर के खिलाड़ी को इस भूमिका में नहीं उतारना चाहिए था। उनकी जगह वाशिंगटन सुंदर या अश्विन को भेजा जा सकता था। बीसीसीआई ने गंभीर को कुछ वे अधिकार भी दिए हैं जो पूर्व कोच रवि शास्त्री या राहुल द्रविड़ को नहीं दिए गए थे। बेंगलुरू में जब मौसम खराब था और बारिश की वजह से मैच का पहला दिन बर्बाद हो गया तो अगले दिन टास जीत कर बैटिंग का निर्णय भी बिल्कुल गलत साबित हो गया। खैर, यह कप्तान रोहित की भारी भूल थी जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया। पूरी टीम पहली पारी में 46 रन पर लुढ़क गई। ऐसे हालात में कोच गौतम गंभीर ने कप्तान को उचित सलाह क्यों नहीं दी?
आस्ट्रेलिया में क्या होगा हाल
घरेलू मैदान पर भारतीय टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। इसी महीने टीम को वहां पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए जाना है। 22 नवंबर को पर्थ में पहला टेस्ट आरंभ हो जाएगा। हालांकि, पिछले दो दौरों में भारत ने टेस्ट सीरीज में कंगारू टीम को हराया है। पर, मौजूदा हालात को देखते हुए यह सीरीज आसान नहीं लग रही। तब हमारी टीम में चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे जैसे मजबूत खिलाड़ी थे। इस बार कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं दिख रहा जो वहां की तेज पिचों पर टिक कर खेल सके। चूंकि, रोहित शर्मा और विराट कोहली खराब फार्म से गुजर रहे हैं इसलिए समस्या विकराल दिख रही है। अपनी धरती पर हर कोई शेर होता है। फिर ऑस्ट्रेलिया की टीम पिछली पराजय का बदला लेने को तैयार बैठी है। ऐसे में भारत के लिए यह दौरा बहुत चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
कप्तान बदलने पर हो विचार
टीम का कप्तान बदलने की सुगबुगाहट भी आरंभ हो गई है। मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा बढ़ती उम्र के शिकार हैं। उनका खुद का प्रदर्शन आलोचना के घेरे में है। टेस्ट टीम की कमान किसे सौंपी जाए यह एक पेचीदा सवाल है। उप कप्तान जसप्रीत बुमराह को कप्तानी का कोई अनुभव नहीं है। ऐसे में ऋषभ पंत के लिए आवाज उठ रही है जिन्होंने दो अर्ध शतकों के साथ न्यूजीलैंड के विरुद्ध सर्वािधक रन बनाए हैं। आईपीएल में वह दिल्ली टीम की कप्तानी करते हैं। शुभमन गिल का नाम भी लिया जा रहा है। पर, उनके प्रदर्शन में निरंतरता की कमी है। जो भी हो आस्ट्रेलिया दौरा कई खिलाडि़यों का भविष्य तय करेगा। यदि वहां भी टीम का प्रदर्शन गड़बड़ रहा तो कप्तान बदलना अनिवार्य हो जाएगा।
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