छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत के रोडमैप के कायल हुए सदस्य देश, सुशासन व विकास को मिलेगी गति

BIMSTEC Summit
ANI
कमलेश पांडे । Apr 8 2025 3:49PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक के सभी सदस्य देशों को आपसी सम्बन्धों को मजबूत बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि बिम्सटेक में सबकुछ करने की क्षमता है। इसलिए साइबर अपराध, साइबर सुरक्षा खतरों, आतंक, मादक पदार्थों और मानव तस्करी पर रोक लगानी होगी।

थाईलैंड में आयोजित छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत के रोडमैप पर सभी सदस्य देश कायल हुए। इससे सुशासन व विकास को गति मिलने के आसार बढ़ गए हैं। बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाईलैंड की अध्यक्षता में बैंकाक में आयोजित बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में गत 4 अप्रैल 2025 शुक्रवार को भाग लिया। जिसका विषय था- "बिम्सटेक: समृद्ध, लचीला और खुला।" इस दौरान सभी सदस्य देशों का ध्यान क्षेत्रीय सहयोग को और अधिक मज़बूत करने और आसन्न प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने पर था। 

तभी तो इस शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मोदी ने सदस्य देशों, यथा- थाईलैंड, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, भूटान के सामने आपसी साझेदारी मजबूत करने के लिए 21 बिंदुओं का एक्शन प्लान पेश किया, जिसपर सबने सहमति जताई। वहीं, उन्होंने सभी सदस्य देशों को भारत की भुगतान प्रणाली 'यूपीआई' से जुड़ने का प्रस्ताव दिया। ताकि उनके पारस्परिक व्यापार, व्यवसाय, पर्यटन क्षेत्र को एक नए मुकाम पर पहुंचाया जा सके। उन्होंने यहां तक कहा कि सदस्य देश यदि इससे जुड़ते हैं तो सबका भला होगा।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश सरकार के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस से बातचीत करते हुए उनके देश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा। साथ ही उम्मीद जताई कि माहौल खराब करने वाले किसी भी बयान से बचना सबसे बेहतर है। उन्होंने आश्वस्त किया कि लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बंगलादेश के लिए भारत का समर्थन जारी रहेगा। क्योंकि भारत-बंगलादेश के रिश्ते बहुत पुराने हैं। भारत व्यवहारिकता के आधार पर बंगलादेश से सकारात्मक सम्बन्धों को नए आयाम पर पहुंचाने का पक्षधर है। उन्होंने सीमा पर शांति व स्थिरता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत भी बताई।

इसे भी पढ़ें: थाइलैंड में चीन पर भड़क कर लाल हुए मोदी, बयान सुनकर हैरान हुई दुनिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक के सभी सदस्य देशों को आपसी सम्बन्धों को मजबूत बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि बिम्सटेक में सबकुछ करने की क्षमता है। इसलिए साइबर अपराध, साइबर सुरक्षा खतरों, आतंक, मादक पदार्थों और मानव तस्करी पर रोक लगानी होगी। इस दिशा में सदस्य देशों के बीच गृह मंत्री स्तर के तंत्र को मिली मंजूरी भी स्वागत योग्य है। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की क्षमता का इस्तेमाल करते हुए सभी सदस्य देशों को तकनीक के क्षेत्र में खुद को बेहतर साबित करना है। उन्होंने भारत में बिम्सटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फ़ॉर डिजास्टर मैनेजमेंट की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा। मोदी ने सदस्य देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बिम्सटेक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के गठन का प्रस्ताव दिया।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में आए म्यांमार सेना के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग हेंग से मुलाकात में कहा कि भारत भूकम्प से बुरी तरह प्रभावित म्यांमार की मदद के लिए तैयार है। जबकि मेजबान थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा ने बताया कि सभी सदस्य देश भूकंप के बाद राहत व बचाव कार्य को तेज करने के लिए राजी हुए हैं।

# छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें क्या हैं?

जहां तक छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मुख्य बातों का सवाल है तो इस दौरान कई अहम प्रस्ताव रखे गए, जिनपर मिलजुलकर काम करने का निर्णय लिया गया। इस शिखर सम्मेलन में शिखर सम्मेलन घोषणा और बैंकॉक विज़न 2030 को अपनाया गया, जिसमें आर्थिक एकीकरण, वैश्विक चुनौतियों के प्रति लचीलापन और बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय समृद्धि के लिये एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की गई। जिसमें भारत द्वारा घोषित प्रमुख पहल इस प्रकार है।

पहला, बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र के तहत भारत ने आपदा प्रबंधन, सतत समुद्री परिवहन, पारंपरिक चिकित्सा और कृषि में अनुसंधान और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की घोषणा की। इसने बिम्सटेक में शासन और सेवा वितरण को बढ़ाने के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) पर एक पायलट अध्ययन का भी प्रस्ताव रखा। वहीं, बिम्सटेक देशों के युवा राजनयिकों की हर साल भारत में प्रशिक्षण देने की बात भी रखी गई। जबकि, सदस्य देशों के छात्रों को भारतीय वन अनुसंधान संस्थान और नालंदा विवि में छात्रवृत्ति प्रदान करने का भी प्रस्ताव दिया।

दूसरा, बोधि कार्यक्रम के तहत भारत ने बिम्सटेक देशों के विभिन्न पेशेवरों के लिये कौशल विकास, प्रशिक्षण, छात्रवृत्ति और क्षमता निर्माण प्रदान करने के लिये बोधि कार्यक्रम (मानव संसाधन अवसंरचना के संगठित विकास के लिये बिम्सटेक) की शुरुआत की।

तीसरा, कैंसर देखभाल क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत भारत ने बिम्सटेक क्षेत्र में कैंसर देखभाल के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा और कहा कि टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर सदस्य देशों में कैंसर उपचार व्यवस्था को बेहतर बनाएगा। इसके अलावा पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र को एक दूसरे तक पहुंचाने के लिए भी नई शोध केंद्र बनाएंगे।

चतुर्थ, वाणिज्य मंडल एवं व्यवसाय शिखर सम्मेलन के तहत सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये बिम्सटेक वाणिज्य मंडल की स्थापना और वार्षिक बिम्सटेक व्यवसाय शिखर सम्मेलन की मेज़बानी का प्रस्ताव किया गया। 

पंचम, लोगों से लोगों के बीच संबंध की रणनीति के तहत भारत ने सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करने के लिये एक सकारात्मक पहल की घोषणा की, जिसमें बिम्सटेक एथलेटिक्स मीट (2025), प्रथम बिम्सटेक खेल (2027), समूह की 30वीं वर्षगाँठ, बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव, युवा नेताओं का शिखर सम्मेलन और युवा जुड़ाव के लिये हैकाथॉन, सांस्कृतिक सहयोग को गहरा करने के लिये युवा पेशेवर आगंतुक कार्यक्रम शामिल हैं।

इन नीतिगत निर्णयों से साफ है कि बिम्सटेक में भारत अपना वर्चस्व कायम रखते हुए एक बड़ी भूमिका निभाने को तैयार दिखाई दे रहा है। उसने इस क्षेत्रीय मंच को महत्व देने के साथ ही यहां पर अपना दबदबा बरकरार रखने की कोशिश की है। इस बाबत अंतरराष्ट्रीय मामलों के एशियाई जानकारों का कहना है कि भारत की मौजूदा नीतियों और नजरिए ने इस मंच को उम्मीद से बड़ा आकार प्रदान किया  है। इससे सार्क के अप्रासंगिक होने की अटकलों के साथ ही भारत ने बिम्सटेक समूह सहित अन्य क्षेत्रीय मंचों को भी व्यापार और सहयोग के एक बड़े मंच के रूप में चिन्हित करते हुए अपनी भूमिका को मजबूत किया है ताकि चीनी चुनौतियों से वह आसानी पूर्वक निबट सके। 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि बिम्सटेक में सभी सहयोगी देश अपने-अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व पर ही निर्भर हैं। वहीं, पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की 'पड़ोस पहले नीति', 'एक्ट ईस्ट नीति', 'महासागर विजन' और इंडो-पैसिफिक के लिए विजन पर स्पष्ट फोकस करने से इस समूह को आशातीत गति मिली है। चूंकि भारत ने ही बिम्सटेक सचिवालय को एक मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए हैं। इसके अलावा भारत के नेतृत्व में बिम्सटेक का एजेंडा भी कई गुना फैला है।

बहरहाल, रणनीतिक नीतिगत निर्णयों के लिहाज से बिम्सटेक के कार्य क्षेत्र को सात भागों में बांटा गया है, जिसमें प्रत्येक देश एक भाग का नेतृत्व प्रदान किया गया है ताकि संगठन में सबकी अहमियत स्पष्ट दिखाई दे। इस रणनीति के तहत जहां भारत सुरक्षा क्षेत्र का नेतृत्व करता है। वहीं, अन्य खंड यथा- व्यापार, निवेश और विकास का नेतृत्व बांग्लादेश को, पर्यावरण और जलवायु का नेतृत्व भूटान को, कृषि और खाद्य सुरक्षा का नेतृत्व म्यांमार को, लोगों से लोगों के संपर्क का नेतृत्व नेपाल को, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का नेतृत्व श्रीलंका को और कनेक्टिविटी का नेतृत्व थाईलैंड को प्रदान किया गया है जो अपने अपने क्षेत्र में बेहतर परफॉर्मेंस दे रहे हैं।

# बिम्सटेक देशों के बीच बढ़ती समझदारी से पारस्परिक व्यापार की बदलेगी सूरत 

उल्लेखनीय है कि भारत की बंगाल की खाड़ी में सबसे लंबी तटरेखा है, जो लगभग 6500 किलोमीटर तक फैली हुई है। लिहाजा, भारत न सिर्फ पांच बिम्सटेक सदस्यों के साथ सीमा साझा करता है, बल्कि उनमें से ज्यादातर देशों को परस्पर जोड़ता भी है। इसके अतिरिक्त भारतीय उपमहाद्वीप और आसियान देशों के बीच बहुत ज्यादा इंटरफेस भी प्रदान करता है। चूंकि बिम्सटेक देशों की संयुक्त आबादी करीब 1.73 अरब है जो परसपर मिलकर 5.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाते हैं। इसलिए इस ब्लॉक के भीतर यदि कनेक्टिविटी का एकीकरण सफल हो जाए तो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में व्यापार की सूरत भी बदल सकती है। भारत भी यही चाहता है। वह इन देशों में चीन के प्रभाव पर काबू पाना चाहता था।

# थाईलैंड को भारत से जोड़ने की कवायद होगी तेज

देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से ग्लोबल पॉलिटिक्स में बदलाव आ रहे हैं और जियो-पॉलिटिकल हालात जिस तीव्र गति से बदल रहे हैं, उसके दृष्टिगत नई दिल्ली, सबसे पहले थाईलैंड को पूर्वोत्तर और भारत के तटीय क्षेत्रों से जोड़ना चाहता है। ऐसे में यदि ये प्रोजेक्ट साकार हो जाता है तो भारत के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया में आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो जाएगा। विशेषकर  वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस जैसे देशों में भारत का आर्थिक और सांस्कृतिक असर बढ़ेगा। जिससे सामरिक हितों की भी पूर्ति संभव हो सकेगी। चूंकि इन सभी देशों का दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ गहरा विवाद है। इसलिए भारत इसे अपने लिए एक अवसर के रूप में देखता है। उधर, चीन जिस तरह से भारत के पड़ोसी देशों में अपनी सामरिक दिलचस्पी ले रहा है, उसके मद्देनजर भारत को भी आक्रामक रुख अख्तियार करना ही होगा। आसियान और बिम्सटेक देशों में भारत की बढ़ती दिलचस्पी का मौलिक कारण यही है।

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन ने आर्थिक एकीकरण, आपदा प्रतिरोधक क्षमता और सांस्कृतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाया है। इसमें उत्कृष्टता केंद्रों और कौशल विकास कार्यक्रमों जैसी पहलों के माध्यम से भारत का नेतृत्व इस क्षेत्र की भविष्य की संभावनाओं को सुदृढ़ करेगा। चूँकि बिम्सटेक- 2027 में अपनी 30वीं वर्षगाँठ मनाएगा, इसलिये शिखर सम्मेलन के परिणाम बंगाल की खाड़ी क्षेत्र को और अधिक समृद्ध एवं समुत्थानशील बनाने में सहायक होंगे। 

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़