आगजनी से नहीं, अग्निपथ पर चलकर सँवरेगा देश और आपका भविष्य
भर्ती जवानों में से भविष्य में 25 प्रतिशत को सेना में स्थाई रूप से रखे जाने का प्रावधान है। कहीं ना कहीं इस बेहद महत्वपूर्ण बिंदु के चलते ही पिछले कुछ दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों के लाखों युवाओं में 'अग्निपथ योजना' के प्रति बड़े पैमाने पर आक्रोश व्याप्त है।
भारत सरकार ने देश के युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से हाल ही में एक नयी की है। जिसके अंतर्गत भारत सरकार ने सेना में 'अग्निपथ योजना' के माध्यम से युवाओं की भर्ती करने की घोषणा करने का कार्य किया है, इस 'अग्निपथ योजना' की घोषणा केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व तीनों सेना के प्रमुखों ने एक प्रेसवार्ता में की थी। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'अग्निपथ योजना' के तहत केंद्र सरकार का प्लान है कि वह देश की सेनाओं में चार वर्ष के लिए युवाओं की भर्ती करके उनको अपने पैरों पर खड़ा करते हुए उनके जीवन को अनुशासित बनाए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महत्वाकांक्षी 'अग्निपथ योजना' के बारे में कहा था कि- "नौजवानों को सेना में सेवा का मौक़ा दिया जाएगा, ये योजना देश की सुरक्षा को मज़बूत करने और हमारे युवाओं को मिलिट्री सर्विस का अवसर देने के लिए लाई गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना से नौकरी के मौक़े बढ़ेंगे और सेवा के दौरान अर्जित हुनर और अनुभव उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी भी उपलब्ध कराएगा।"
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वैसे इस योजना में कम उम्र के युवाओं को सेना में भर्ती करके चार वर्ष की सेवा के बाद ही रिटायर करने का प्रावधान किया गया है, नौकरी के बाद उन्हें सेवा निधि पैकेज दिया जाएगा और इन जवानों का नाम 'अग्निवीर' होगा, सरकार ने इस योजना की घोषणा में दुर्घटना या मृत्यु की स्थिति में 'अग्निवीरों' को विशेष सहायता पैकेज दिए जाने की भी बात कही है। वहीं इस योजना में भर्ती किए गए जवानों में से भविष्य में सिर्फ़ 25 प्रतिशत को सेना में स्थाई रूप से रखे जाने का प्रावधान है। कहीं ना कहीं इस बेहद महत्वपूर्ण बिंदु के चलते ही पिछले कुछ दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों के लाखों युवाओं में 'अग्निपथ योजना' के प्रति बड़े पैमाने पर आक्रोश व्याप्त है। जिसके चलते ही सेना में जाने का सपना संजोए देश में युवाओं के एक वर्ग ने 'अग्निपथ योजना' को विस्तारपूर्वक सही ढंग से समझें बिना ही, किसी भी प्रकार की लाभ-हानि की गणना किये बिना ही, देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़, आगजनी करके बहुत ही जबरदस्त ढंग से हंगामा बरपाने का कार्य कर दिया। वैसे आज की परिस्थितियों में धरातल पर देखा जाये तो आधी-अधूरी जानकारी व उकसाने के चलते ही भारत सरकार की महत्वाकांक्षी 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ सेना की तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थियों में बहुत जबरदस्त रोष व्याप्त हो गया है। जिसके चलते देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं, कुछ उपद्रवियों ने इस विरोध प्रदर्शन में तोड़फोड़, आगजनी व लूटपाट करके छात्रों के इस आंदोलन को हिंसक बनाने का कार्य कर दिया है। वैसे तो इन सभी प्रदर्शनकारी छात्रों को यह ध्यान रखना चाहिए कि देश में तोड़फोड़, आगजनी व लूटपाट करेंगे और फिर भविष्य में "अग्निवीर" कहलाएंगे यह आज के समय में संभव नहीं है, क्योंकि आज देश में सीसीटीवी कैमरा, मोबाइल फोन व कैमरा आदि पर उपद्रवियों के हंगामे की रिकार्डिंग की हर थाने में भरमार है।
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लेकिन इस विरोध प्रदर्शन के पूरे घटनाक्रम का सबसे महत्वपूर्ण विचारणीय तथ्य यह है कि आखिरकार 'अग्निपथ योजना' को जिस वक्त तक देश के दिग्गज सैन्य विशेषज्ञ भी नहीं समझ पाये थे, उस समय ही इस योजना का विरोध करने के लिए छात्रों को आखिरकार किसने बरगलाने का कार्य किया था, हालांकि देर सबेर पुलिस की विस्तृत जांच में इसकी परतें अवश्य खुल जायेंगी। वैसे देखा जाये तो आज भी छात्रों को इस 'अग्निपथ योजना' के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है, लेकिन फिर भी वह हिंसक विरोध प्रदर्शन करके अपने ही वतन की अनमोल संपत्तियों को अपने ही हाथों से ना जाने क्यों नुक़सान पहुंचाने में व्यस्त हैं। इन उपद्रवी तत्वों को यह सोचना चाहिए कि एक तरफ तो तुम देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिक बनने का सपना देख रहे हो, वहीं दूसरी तरफ तुम अपने ही हाथों से देश की हजारों करोड़ रुपए की अनमोल संपत्ति को आग के हवाले कर रहे हो, आखिर यह कैसी देशभक्ति है। देश के 13 राज्यों में 'अग्निपथ योजना' को लेकर भयंकर बवाल मचा हुआ है, जगह-जगह हुई पत्थरबाजी, हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी की तस्वीरों ने दुनिया में भारत की छवि को खराब करने व अर्थव्यवस्था को भारी नुक़सान पहुंचाने का कार्य किया है।
एक तरफ तो चंद युवा देश पर मर मिटने के लिए तैयार बैठे हैं, वहीं कुछ युवा उपद्रव करके अपने ही हाथों से अपने ही चमन को आग लगाए बैठे हैं। पिछले कुछ वर्षों से देश जिस तरह के बेहद तनावपूर्ण हालात से आये दिन गुज़र रहा है। उस तरह की स्थिति में देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए तुरंत ही मेहनतकश लोगों व अमन चैन के साथ एकजुटता वाले माहौल की तत्काल सख्त जरूरत है, लेकिन कुछ लोग हैं जो देश में शांतिप्रिय माहौल नहीं चाहते। वह हर बात का बड़ा बतंगड़ बनाकर देश को नुक़सान पहुंचाने के लिए उतावले बैठे रहते हैं। आज हम लोगों व छात्रों को भी इस साज़िश को समय रहते समझना होगा और अगर सरकार के किसी कदम से सहमत नहीं हैं तो तोड़फोड़, आगजनी व लूटपाट का रस्ता ना अपनाकर, गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताकर देश विरोधी लोगों की साज़िशों को देश व समाज के हित में नाकाम करना होगा।
-दीपक कुमार त्यागी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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