अग्निपथ योजना क्या है? इसका विरोध कितना लाजिमी है?
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा कैबिनेट मीटिंग में अप्रूवल देने के बाद शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में आर्मी चीफ, नेवी चीफ और एयरफोर्स चीफ ने रक्षामंत्री के साथ मिलकर इस बारे में देश को बताया। उन्होंने कहा कि चार साल के लिए सैनिकों को सेना में रखने की स्कीम को अग्निपथ नाम दिया गया है।
नई आर्थिक नीतियों की आड़ में नौकरी से कारोबार तक केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के जो दोहरे मानदंड वक्त वक्त पर सामने आते रहे हैं, अब उसके प्रकोप से भारतीय सेना भी अछूती नहीं बची। दरअसल, स्थाई प्रवृति के कार्यों में अनुबंधित नौकरियों को बढ़ावा देने यानी शिक्षा मित्र से लेकर अग्निवीर के चयन हेतु निर्धारित प्रावधानों से सरकार और निजी कंपनियों को चाहे जितना आर्थिक लाभ हो, लेकिन युवा कार्य संस्कृति का गला घोंटने और सजग व मेहनतकश देशवासियों के भविष्य को अंधकारमय बनाने में इन योजनाओं का बहुत बड़ा हाथ है, यह हम नहीं इतिहासकार तय करेंगे। यही वजह है कि सिर मुड़ाते ही ओले पड़े वाली कहावत गत दिनों केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई अग्निपथ योजना पर चरितार्थ हो रही है।
देखा जाए तो सम्पूर्ण क्रांति की भूमि बिहार से शुरू हुई इस योजना की मुखालफत अबतक देश के 16 राज्यों तक पहुंच चुकी है। देश के नौजवानों द्वारा जिस तरह से हिंसक प्रदर्शन किए जा रहे हैं, वह राष्ट्रीय चिंता का विषय है। कहना न होगा कि भारत सरकार और उसके मुताल्लिक चलने वाली राज्य सरकारों की जो भेदभावी नीतियां हैं, उससे अधिकांश युवक नौकरी या कारोबार करने के बावजूद अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में अक्षम प्रतीत हो रहे हैं। कड़वा सच है कि सम्यक और समुचित नीतियों के अभाव में सरकारी क्षेत्र से ज्यादा बुरा हाल निजी क्षेत्र का है, जिसे सरकार बढ़ावा देना चाहती है।
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यही वजह है कि सिसकते अतीत से सबक ले रहे युवाओं का मेहनतकश तबका उस वक्त अपना आपा खो दिया, जब केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना के तीनों अंगों में होने वाली अग्निवीरों की भर्तियों का नया और भेदभावी पैमाना तय किया! इसके खिलाफ जारी देशव्यापी विरोध से यह साफ है कि निकट भविष्य में यह आंदोलन और गति पकड़ेगा। ऐसा इसलिए कि नई पद्धति के अनुसार, अब सिर्फ चार वर्ष के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी, जिन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। उनकी सैलरी 30 से 40 हजार रुपये होगी। अब शीघ्र ही सेना में रिक्रूटमेंट शुरू हो जाएगा। दरअसल, अल्प सेवा अवधि, शहादत की स्थिति में कम मुआवजा और पेंशन की सुविधा नहीं होने से देश के युवा सशंकित हैं और उनका आक्रोश निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
अग्निपथ स्कीम से पता चलता है कि आजादी के बाद पहली बार भारतीय सेना में सैनिकों की भर्ती के तौर तरीके में बहुत बड़ा अप्रत्याशित बदलाव हो रहा है। जिसके तहत अब आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सैनिकों की भर्ती सिर्फ चार साल के लिए होगी। इसमें छह महीने की ट्रेनिंग भी शामिल है, जिसके बाद उन्हें घर भेज दिया जाएगा। बताया गया है कि अग्निपथ योजना के तहत पहले साल आर्मी के लिए 40 हजार, नेवी के लिए 3 हजार और एयरफोर्स के लिए 3.5 हजार सैनिकों की भर्ती होगी। हालांकि बाद में इनमें से अधिकतम 25 पर्सेंट को वापस सेना में बुलाया जाएगा, जो फिर सेना में मौजूदा सैनिकों की तरह स्थाई नौकरी करेंगे।
बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा कैबिनेट मीटिंग में अप्रूवल देने के बाद शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में आर्मी चीफ, नेवी चीफ और एयरफोर्स चीफ ने रक्षामंत्री के साथ मिलकर इस बारे में देश को बताया। उन्होंने कहा कि चार साल के लिए सैनिकों को सेना में रखने की स्कीम को अग्निपथ नाम दिया गया है। जो सैनिक इस स्कीम के तहत रिक्रूट होंगे उन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। इस स्कीम के ऐलान के एक माह से 6 महीने के भीतर रिक्रूटमेंट शुरू हो जाएगा। पहले साल आर्मी के लिए 40 हजार, नेवी के लिए 3 हजार और एयरफोर्स के लिए साढ़े तीन हजार सैनिक भर्ती किए जाएंगे। दूसरे साल भी इतने ही सैनिक रिक्रूट होंगे। तीसरे साल आर्मी के लिए 45 हजार, नेवी के लिए 3 हजार और एयरफोर्स के लिए 4400 सैनिक रिक्रूट किए जाएंगे। चौथे साल आर्मी के लिए 50 हजार, नेवी के लिए 3 हजार और एयरफोर्स के लिए 5300 सैनिक रिक्रूट होंगे। सशस्त्र बलों में शामिल करने हेतु अग्निवीर योजना के तहत भविष्य में महिलाओं की प्रगतिशील तरीके से भर्ती की जाएगी।
# सुलगता सवाल: चार साल बाद क्या होगा अग्निवीरों का
कुल अग्निवीरों में से अधिकतम 25 पर्सेंट सैनिकों को ही चार साल के अग्निपथ के बाद फिर से बुलाकर परमानेंट किया जाएगा। लेकिन बाकी सैनिकों का क्या होगा? यह सवाल मुखर है। सरकार की मानें तो उन्हें केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित अन्य उपक्रमों में और निजी कंपनियों में वरीयता दी जाएगी। इसके अलावा, अग्निवीरों के लिए "सेवा निधि पैकेज" का प्रावधान रखा गया है। जिसमें अग्निवीरों की पहले महीने की सैलरी से ही 30 फीसदी रकम जमा होगी और उतनी ही रकम सरकार भी इस फंड में जमा करेगी। इसलिए चार साल बाद जब अग्निवीर सेवामुक्त होगा तो उसे ये एकमुश्त तकरीबन 10-12 लाख रुपये मिलेंगे। खास बात यह कि इस रकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। उसे या तो एक बार में ही निकाला जा सकता है या फिर एक लाख रुपए निकाल कर बाकी रकम को बैंक से लोन लेने के लिए बैंक गारंटी के तौर पर रख सकता है।
# अग्निवीरों की इतनी होगी सैलरी, पर उन्हें पेंशन या ईसीएचएस स्कीम का कोई फायदा नहीं मिलेगा, उनकी रैंक क्या होगी
अग्निवीर की सैलरी 30 हजार रुपये से शुरू होकर 40 हजार रुपये तक होगी। उन्हें पेंशन या ईसीएचएस स्कीम का कोई फायदा नहीं मिलेगा। लेकिन चार साल में सेना अग्निवीरों को कोई डिप्लोमा या डिग्री कोर्स कराएगी, ताकि सेना से निकलने के बाद ये उनके काम आ सके। साढ़े सत्रह से 21 साल के बीच के युवा इस स्कीम के तहत अग्निवीर बनेंगे। इस नई योजना में ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की जगह अग्निवीरों की भर्ती होगी यानी इनकी रैंक पर्सनल विलो ऑफिसर रैंक यानी पीबीआरओ के तौर पर होगी। इन अग्निवीरों की रैंक सेना में अभी होने वाली कमीशंड ऑफिसर और नॉन कमीशंड ऑफिसर की नियुक्ति से अलग होगी। इससे भी युवाओं में रोष है।
# मुखर सवाल: ऑपरेशन के दौरान अग्निवीरों को यदि कुछ हो गया तो इतना मिलेगा मुआवजा
अग्निवीर की यदि ऑपरेशन के दौरान मौत हो जाती है तो परिवार को करीब 48 लाख रुपए इंश्योरेंस के मिलेंगे और उनकी जितने वक्त की सर्विस बची होगी, उतने वक्त की सैलरी परिवार को मिल जाएगी। यहीं पर लंबी अवधि की सेवा की दरकार महसूस होती है। क्योंकि अब 20 साल की बजाय महज 4 साल तक सेवा न किये गए हिस्से की ही सैलरी मिलेगी, जो नाकाफी होगी। वहीं, यदि कोई सैनिक विकलांग होता है और सेना में काम करने लायक नहीं रहता है तो उसे भी एक बार में एकमुश्त आर्थिक सहायता मिलेगी, लेकिन यह कितनी मिलेगी, यह उसकी विकलांगता कितनी है, उस हिसाब से तय होगी। 100 फ़ीसदी अक्षमता पर 44 लाख रुपए, 75 फीसदी अक्षमता पर 25 लाख रुपये और 50 फ़ीसदी अक्षमता पर 15 लाख रुपए दिए जाएंगे।
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# अग्निवीरों को क्या उम्र सीमा में छूट मिलेगी, क्योंकि 2 साल से नहीं हुई है बहाली
सबको पता है कि सेना में पिछले दो साल से रिक्रूटमेंट नहीं हुआ है, इसलिए भर्ती की तैयारी कर रहे युवा लगातार विरोध भी कर रहे हैं। यूं तो अग्निपथ को लेकर कई सवाल हैं लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि दो साल से तैयारी कर रहे युवाओं को क्या उम्र में छूट दी जाएगी? क्योंकि सम्बन्धित युवा अलग अलग मौके पर अपनी आवाज उठा चुके हैं। इस बारे में सरकार ने संसद में कहा था कि कोविड की वजह से रिक्रूटमेंट नहीं हो पाया, लेकिन यह सवाल अपनी जगह जायज है कि जब राजनीतिक रैलियां हुई और विधानसभा चुनाव तक हो गए तो फिर रिक्रूटमेंट ही क्यों रोका गया। क्या सिर्फ अग्निपथ स्कीम लाने के लिए रिक्रूटमेंट रोका गया था?
# टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम के बारे में जानिए
बता दें कि भारतीय सेना में वर्ष 2017 में पहली बार ऐसा प्रयोग किया गया था, जब रिटायर हुए सैनिकों को दोबारा सेवा का मौका दिया गया था। इस अवसर को टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम का नाम दिया गया था। इसी से अग्निपथ योजना को भी बढ़ावा मिला। बताया जाता है कि इस स्कीम के जरिये सेना को मजबूती प्रदान की जाएगी। इस स्कीम के जरिए सशस्त्र बलों की औसत उम्र में कमी आएगी। साथ ही रिटायरमेंट और पेंशन के तौर पर सरकार के ऊपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी नहीं बढ़ेगा। सरकार के मुताबिक, ऐसा नहीं है कि तीन साल तक देश की सेवा करने के बाद उनका भविष्य फिर से असुरक्षित हो जाएगा, बल्कि ट्रेनिंग और नियुक्ति के दौरान यदि जवानों का प्रदर्शन अच्छा रहा तो उन्हें स्थाई तौर पर सेना में शामिल भी किया जा सकता है।
# जानिए, कहां होगी अग्निवीरों की तैनाती, क्या होगा उनका काम?
अग्निपथ स्कीम के तहत चयनित जवानों को सेना की तरह ही बेहद कड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी। अग्निवीरों को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में भी तैनात किया जाएगा। अग्निवीरों द्वारा एंटी टेरर ऑपरेशन, खुफिया इनपुट और इन्फॉर्मेशन भी जुटाए जाएंगे, जिस पर सेना काम करेगी। सेना की इस सर्विस में आईआईटी और दूसरे तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े हुए युवाओं को रोजगार के मौके मिलेंगे। सेना से 3 साल बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों को अर्द्धसैनिक बलों और कॉरपोरेट सेक्टर में भी नौकरी दी जाएगी। 'अग्निवीर’ सेना से रिटायर होने के बाद दूसरी सिविल सेवाओं में भी जा सकेंगे। कई राज्य सरकारों द्वारा अपने अपने पुलिस बल व अन्य सेवाओं में भी उन्हें वरीयता दी जाएगा।
जानकारों के मुताबिक, अग्निपथ प्रवेश योजना के जरिए बड़ी संख्या में जवानों की भर्ती कराई जा सकती है। जिससे रोजगार तो बढ़ेगा ही, अग्निवीरों की भर्ती से भारतीय सेना को भी मजबूती मिलेगी। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान आर्मी की भर्तियां काफी कम हो गई थीं। ऐसे में इस योजना के जरिये ही इसे गति मिलेगी। बताया जाता है कि तीनों सेनाओं में 1 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। ऐसे में इन अग्निवीरों की भर्ती होने से सेना मजबूत होगी।
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अग्निपथ योजना से जुड़ी तमाम बातों पर सरकार का साफ कहना है कि ज्यादातर देशों में इस तरह की कम समय की भर्ती योजना लागू है। इसलिए सेना के नजरिए से युवा सैन्य बल वाली यह योजना काफी सोच समझ कर तैयार की गई है। इस योजना को लागू करने से पहले इजरायल, अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस, यूके और जर्मनी के सैन्य भर्ती मॉडलों को भी जांचा-परखा गया है। ततपश्चात उसे हमारी सेना की जरूरतों के मुताबिक विकसित किया गया है, ताकि अग्निवीरों व सेना दोनों के हित सध सकें। यहां पर यह भी बताया गया है कि भविष्य में किसी भी समय में अग्निवीरों की संख्या भारतीय सैनिकों की कुल संख्या के 50 फ़ीसदी से ज्यादा नहीं होगी, यानी कि सेनाओं में 50 फ़ीसदी तक अग्निवीर जवान नियुक्त किए जा सकेंगे। वहीं, अग्निपथ योजना के तहत सेना की रेजीमेंट प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
जानकारों का तो यहां तक कहना है कि नई आर्थिक नीतियों के मद्देनजर निजी क्षेत्रों में स्थाई प्रकृति के कार्यों में 3 वर्षीय कांट्रेक्ट का जो दौर शुरू हुआ, वह अब सरकारी क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में लेता जा रहा है। इससे नियोक्ता और कर्मचारियों के भावनात्मक रिश्ते भी प्रभावित हुए हैं, जिसका नकारात्मक असर बिगड़ी हुईं कार्यसंस्कृति में दृष्टिगोचर हो रहा है। देशवासियों का दुर्भाग्य यह है कि जाति, धर्म, लिंग की गणना करने वाली सरकार स्थाई नौकरी और अनुबंध वाली नौकरी के अलावा विभिन्न प्रकार के कार्यों में संलिप्त लोगों के अलावा बेरोजगारी झेल रहे लोगों और कैसे रोजगार दिया जाए, इसपर जमीनी हकीकत से दूर सिर्फ आंकड़ेबाजी ही कर रही है, जिससे युवाओं के आक्रोश और गहरे होने के आसार प्रबल हैं गुजश्ते वक्त के साथ-साथ। इसलिए सरकार मुट्ठी भर लोगों की बजाए सबकी भलाई सोचे, अन्यथा वह आसन्न क्रांति को ही न्यौता देगी, जिसके टेलर 1990 के दशक से ब्रेक के बाद दिखाई पड़ रहे हैं।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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