फाइनेंस मैनेजमेंट: पैसे के प्रबंधन से जुड़े क्षेत्र में बनाएं कॅरियर
एक फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मुख्य काम कंपनी की लागत में कटौती करके उनके लाभ को अधिकतम करना होता है। वे कंपनी की पॉलिसी और उनके लक्ष्यों के आधार पर आय और व्यय की योजनाएं बनाते हैं।
आज के समय में हर छोटी से लेकर बड़ी कंपनियों को अपने पैसे का प्रबंधन बेहद सावधानी से करना पड़ता है। उन्हें मनी मैनेजमेंट कुछ इस तरह करना होता है, ताकि वह अपने लक्ष्यों को आसानी से पूरा कर सकें और लाभ भी कमा सकें। इस लक्ष्यों को पूरा करने व वित्त संबंधी योजनाओं को बनाने के लिए उन्हें एक एक्सपर्ट की जरूरत होती है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय में फाइनेंशल एक्सपर्ट्स की डिमांड काफी बढ़ी है। अगर आपको लगता है कि आप पैसे का प्रबंधन बेहद ही कुशलतापूर्वक कर सकते हैं तो इस क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कैसे बनें एक फाइनेंशियल एक्सपर्ट−
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क्या होता है काम
एक फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मुख्य काम कंपनी की लागत में कटौती करके उनके लाभ को अधिकतम करना होता है। वे कंपनी की पॉलिसी और उनके लक्ष्यों के आधार पर आय और व्यय की योजनाएं बनाते हैं। ये वास्तव में एक फाइनेंशियल डॉक्टर होते हैं, जो किसी व्यक्ति या संगठन के फाइनेंशियल हेल्थ की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार हैं, वित्तीय लक्ष्यों की क्रमबद्ध और व्यवस्थित उपलब्धि सुनिश्चित करते हैं। वित्तीय रिपोर्ट तैयार करना, निवेश गतिविधियों का मार्गदर्शन और समग्र धन प्रबंधन एक वित्तीय प्रबंधक के प्रमुख कर्तव्य हैं। वे वित्तीय रणनीतियों को विकसित करके अपने स्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने में संगठन की मदद करते हैं। अगर किसी कंपनी का वित्तीय प्रबंधन बेहतर होता है तो मुश्किल हालातों में भी कंपनी का अस्तित्व संकट में नहीं आता।
स्किल्स
एजुकेशन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि फाइनेंस मैनेजमेंट के क्षेत्र में कॅरियर देख रहे छात्रों के पास वित्तीय विश्लेषण व रचनात्मक सोच का होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा उनके पास अच्छा संचार व इंटरपर्सनल स्किल्स होना चाहिए। इतना ही नहीं, उन्हें वर्तमान वैश्विक− राष्ट्रीय वित्तीय परिदृश्य के बारे में ज्ञान को हमेशा अपडेट करते रहना चाहिए। साथ ही अच्छे गणितीय और विश्लेषणात्मक कौशल, नवीनतम कंप्यूटर प्रौद्योगिकी का ज्ञान, समस्या−समाधान, निर्णय लेने और संगठन कौशल उनके काम को काफी आसान बनाता है। चूंकि वित्तीय प्रबंधकों को एक फर्म में विभिन्न विभागों के साथ बड़े पैमाने पर काम करना पड़ता है, इसलिए व्यवसाय की व्यापक समझ आवश्यक है। किसी भी विदेशी भाषा में प्रवीणता इस पेशे में एक अतिरिक्त लाभ है।
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योग्यता
भारत के अधिकांश बिजनेस स्कूल में एमबीए की पढ़ाई के दौरान फाइनेंस को अलग से पढ़ाया जाता है। इस प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए छात्र का ग्रेजुएट होना जरूरी है। एमबीए के अलावा आप इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, ग्रेजुएट व पोस्टग्रेजुएट कोर्स करके भी बतौर प्रोफेशनल काम कर सकते हैं। फाइनेंस मैनेजमेंट से संबंधित पाठ्यक्रमों में से कुछ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिसिस (सीएफए), चार्टर्ड अकाउंटेंसी, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंसी, सर्टिफाइड ट्रेजरी मैनेजर कोर्स, सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट कोर्स, सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट बैंकर कोर्स, सर्टिफाइड रिस्क एंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट कोर्स आदि हैं। इन कोर्स को ज्वॉइन करने के लिए कामर्स या इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन होना अनिवार्य है।
संभावनाएं
इस क्षेत्र में अवसरों की कोई कमी नहीं है। सरकारी एजेंसियां, निजी कॉर्पोरेट और वित्तीय संगठन जैसे बैंक और बीमा उद्योग आदि अपने प्रतिष्ठानों में वित्तीय प्रबंधकों को नियुक्त करते हैं। यहां तक कि दान संगठनों जैसे गैर−लाभकारी संगठनों को भी एक वित्त प्रबंधकों की आवश्यकता होती है। हालांकि वित्त में एक संभावित उम्मीदवार से यह उम्मीद की जाती है कि वह किसी बड़े कॉर्पोरेट में जाने से पहले किसी भी छोटे संगठनों में कुछ पेशेवर अनुभव हासिल करे। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद आप सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी जॉब की तलाश कर सकते हैं।
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आमदनी
कॅरियर कोच कहते हैं कि इस क्षेत्र में आमदनी आपके कार्य कौशल और अनुभव के आधार पर बढ़ती जाती है। एमबीए करने के पश्चात् एक फ्रेशर 10000 से 30000 रूपए प्रतिमाह आसानी से कमा सकता है। वहीं कुछ वर्षों के अनुभव के बाद आपकी आमदनी 50000 रूपए से लेकर लाखों रूपए प्रतिमाह तक हो सकती है। वहीं एक इंडिपेंडेंट फाइनेंशियल प्लानर घंटों के हिसाब से कंसल्टेंशन चार्ज लेते हैं।
प्रमुख संस्थान
देशभगत यूनिवर्सिटी, पंजाब
जेएमएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, उत्तर प्रदेश
डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, फरीदाबाद
एमके कॉलेज ऑफ कामर्स, गुजरात
आर्या पीजी कॉलेज, जयपुर
यूनाइटेड स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, भुवनेश्वर
गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, उड़ीसा
वरूण क्वात्रा
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