डीएपी पर अतिरिक्त सब्सिडी बढ़ाने से किसानों को नहीं, कंपनियों को होगा लाभ : किसान संगठन
अखिल भारतीय किसान संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) का मानना है कि डाइ-अमोनियम फॉस्फेट पर विशेष सब्सिडी बढ़ाने के सरकार के फैसले से किसानों के हितों की रक्षा के बजाय कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।’’ नवंबर, 2012 से यूरिया की कीमत वैधानिक रूप से 266.50 रुपये प्रति 45 किलोग्राम बोरी तय की गई है।
नयी दिल्ली । अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा कि डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक पर विशेष सब्सिडी बढ़ाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले से किसानों के हितों की रक्षा के बजाय कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा। किसान संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) का मानना है कि डाइ-अमोनियम फॉस्फेट पर विशेष सब्सिडी बढ़ाने के सरकार के फैसले से किसानों के हितों की रक्षा के बजाय कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।’’ एआईकेएस ने कहा कि नवंबर, 2012 से यूरिया की कीमत वैधानिक रूप से 266.50 रुपये प्रति 45 किलोग्राम बोरी तय की गई है।
म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) की कीमतें 2009-10 में 4,455 रुपये प्रति टन से बढ़कर अगस्त, 2023 में 34,644 रुपये प्रति टन हो गई है। संगठन ने कहा, ‘‘डाइ-अमोनियम फॉस्फेट की कीमत 2009-10 में 9,350 रुपये से बढ़कर 2023 (अगस्त) में 27,000 रुपये प्रति टन हो गई। दूसरी ओर, पिछले तीन वर्षों में उर्वरक सब्सिडी में 87,339 करोड़ रुपये की भारी कटौती की गई है।’’ बयान के अनुसार, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में (वास्तविक) उर्वरक सब्सिडी 2,51,339 करोड़ रुपये थी।
जबकि 2023-24 के बजट में (संशोधित) में इस मद में व्यय केवल 1,88,894 करोड़ रुपये था। यह 2022-23 के मुकाबले 62,445 करोड़ रुपये कम था। 2024-25 के बजट अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 1,64,000 करोड़ रुपये है, यानी यह भी इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 24,894 करोड़ कम है।’’ एआईकेएस ने कहा कि पिछले तीन दशक में, घरेलू उत्पादन सभी उर्वरकों की मांग से कम हुआ है और भारत तेजी से आयात पर निर्भर हो गया है। हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पी एंड के (फास्फेट और पोटाश) आधारित उर्वरकों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
किसान संगठन ने कहा, ‘‘उर्वरकों की कुल आपूर्ति में आयात की हिस्सेदारी डीएपी के लिए 60 प्रतिशत से लेकर एमओपी के लिए 100 प्रतिशत तक है। इसने भारत के कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को संवेदनशील बना दिया है।’’ बयान में विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि उर्वरक कंपनियों का लाभ मार्जिन 2022 में 36 प्रतिशत तक बढ़ गया। और यह 2007-08 के वैश्विक संकट के बाद से सबसे अधिक है। इसमें यह भी कहा गया है कि रुपये की विनिमय दर में गिरावट से संकट बढ़ा है। साथ ही उर्वरक उपलब्धता में भारी कमी है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने डीएपी उर्वरक को 1,350 रुपये प्रति बोरी के भाव पर किसानों तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त सब्सिडी को 31 दिसंबर, 2024 से आगे बढ़ाने का बुधवार को फैसला किया। इससे सरकारी खजाने पर 3,850 करोड़ रुपये तक का बोझ पड़ेगा। पिछले साल केंद्र सरकार ने एक अप्रैल से 31 दिसंबर, 2024 तक के लिए 3,500 रुपये प्रति टन के हिसाब से डाइ-अमोनियम फॉस्फेट पर 2,625 करोड़ रुपये का एकबारगी विशेष पैकेज देने की घोषणा की थी। यह पैकेज गैर-यूरिया पोषक तत्वों पर सरकार की तरफ से तय पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त था। किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी की लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
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