भीड़ हिंसा पर पीएम मोदी को खुला पत्र लिखने वालों को कंगना समेत 61 हस्तियों ने दिया जवाब
बयान में कहा गया कि कुछ चुनिंदा बातों पर आक्रोश व्यक्त करने वाला यह दस्तावेज ‘‘ एक राष्ट्र और जन के रूप में हमारी सामूहिक कार्यप्रणाली के लोकतांत्रिक स्वभाव एवं मानदंडों को बदनाम करने के इरादे से एक झूठा विमर्श खड़ा करने का प्रयास था।’
मुम्बई। देश में लगातार बढ़ रही भीड़ हिंसा की घटनाओं को लेकर अब बॉलीवुड में ठन गई है। इस मामले में बॉलीवुड दो भागों में बटता दिखाई दे रहा है। मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को लेकर दोनों पक्षों नें अपनी- अपनी बात को अलग तरीके से पेश किया हैं। देश में ‘‘अल्पसंख्यकों की पीट-पीटकर हत्या किए जाने और घृणा अपराधों के बढ़ते’’ मामलों को लेकर जानी मानी 49 हस्तियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने के तीन दिन बाद विभिन्न क्षेत्रों की 61 नामचीन हस्तियों ने शुक्रवार को उन पर ‘‘चुनिंदा बातों पर आक्रोश जताने और झूठा विमर्श गढ़ने’’ आरोप लगाया।
61 personalities including actor Kangana Ranaut, lyricist Prasoon Joshi, Classical Dancer and MP Sonal Mansingh,Instrumentalist Pandit Vishwa Mohan Bhatt, Filmmakers Madhur Bhandarkar& Vivek Agnihotri write an open letter against 'selective outrage and false narratives'. pic.twitter.com/RGYIxXeJzS
— ANI (@ANI) July 26, 2019
भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी, बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत, फिल्मकार मधुर भंडारकर, विवेक अग्निहोत्री, शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह और अन्य हस्तियों ने एक बयान में कहा है कि 23 जुलाई को ‘‘कुछ स्वयंभू संरक्षकों और विवेक के ठेकेदारों’’ ने चुनिंदा बातों पर चिंता व्यक्त की और ‘‘स्पष्ट रूप से राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण रवैया और मकसद’’ दिखाया। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘उसका (23 जुलाई को लिखे पत्र का) मकसद भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करना और सकारात्मक राष्ट्रवाद एवं मानवतावाद की नींव पर शासन कायम करने के प्रधानमंत्री के अथक प्रयास को नकारात्मक रूप से पेश करना है जबकि सकारात्मक राष्ट्रवाद और मानवतावाद भारतीयता के मूल हैं।’’
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बयान में कहा गया कि कुछ चुनिंदा बातों पर आक्रोश व्यक्त करने वाला यह दस्तावेज ‘‘ एक राष्ट्र और जन के रूप में हमारी सामूहिक कार्यप्रणाली के लोकतांत्रिक स्वभाव एवं मानदंडों को बदनाम करने के इरादे से एक झूठा विमर्श खड़ा करने का प्रयास था।’’ गौरतलब है कि 23 जुलाई को फिल्मकार मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित 49 हस्तियों ने पत्र लिखकर ‘‘धर्म के आधार पर घृणा अपराधों’’ को लेकर चिंता व्यक्त की थी। इसमें ‘‘जय श्री राम’’ का नारा लगाने को लेकर हो रही घटनाओं का भी जिक्र किया गया था।61 लोगों के हस्ताक्षर वाले शुक्रवार को जारी बयान में 23 जुलाई को पत्र लिखने वालों से सवाल किया गया कि वे तब खामोश क्यों थे, ‘‘जब हाशिए पर रहने वाले लोग और जनजातीय लोग नक्सलियों के शिकार हुए।’’
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बयान में कहा गया, ‘‘वे तब खामोश रहे जब अलगाववादियों ने कश्मीर में स्कूलों को आग के हवाले करने का फरमान जारी किया, वे तब खामोश रहे, जब भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की मांग की गई, वे तब खामोश रहे जब आतंकवादियों एवं आतंकवादी समूहों के नारे देश के कुछ बड़े विश्वविद्यालयों में गूंजे थे।’’ सभ्य समाज के इन 49 लोगों ने प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र में कहा था कि लीचिंग की निंदा करना काफी नहीं है। उन्होंने लिखा था, ‘‘ऐसा करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी? हमारा दृढ मत है कि ऐसे अपराधों को गैर जमानती घोषित किया जाना चाहिए तथा ऐसे मामलों में कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।’’
23 जुलाई के इस पत्र के जवाब में बयान जारी करने वाले न 61 लोगों में अभिनेत्री पल्लवी जोशी, गायिका मालिनी अवस्थी,फिल्म निर्माता सैकत मुखर्जी, नेताजी सुभाष मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति राधारमण मिश्रा, शांतिनिकेतन में विश्व भारती के देवाशीष भट्टाचार्य, अवध विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज दीक्षित, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के अनिर्बान गांगुली और साथ ही सांसद स्वप्न दासगुप्ता और कलाकार बिस्वजीत चटर्जी जैसी तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हैं। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने कई बार उसके खिलाफ बोला है और संबंधित राज्य सरकारों को कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। हम सभी से चुनिंदा होने से बचने, लीचिंग, भेदभाव, धार्मिक स्थलों को अपवित्र करने को उतनी ही तीव्रता से निदा करने की अपील करते हैं।’’उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे गये पत्र को एजेंडा आधारित करार देते हुए कहा कि चुनिंदा आक्रोश से हमें स्पष्ट होता है कि वे कुछ खास एजेंड के साथ काम कर रहे हैं और उन ताकतों के हाथों खेल रहे हैं जो भारत को टुकड़े टुकड़े करने पर तुले हैं।
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