Kaali Poster Controversy | काली फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई को राहत,डायरेक्टर के खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाने के दिए आदेश
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई को देवी काली से जुड़े उनकी फिल्म के विवादित पोस्टर को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। इस फिल्म के पोस्टर में देवी काली को कथित तौर पर सिगरेट पीते दिखाया गया है।
पिछले साल यानी की 2022 में काली नाम की एक फिल्म का पोस्टर रिलीज किया गया था। पोस्टर में हिंदुओं की पूजनीय देवी मां काली के वेष में एक महिला को दिखाया गया था, जो सड़क पर घूम-घूम कर सिग्रेट भी रही थी। पोस्टर पर बकायदा मां काली को धुम्रपान करते हुए दिखाया गया। पोस्टर के रिलीज होते ही विवाद खड़ा हो गया। कुछ हिंदू संठगन ने यह पोस्टर पर आपत्ति जताई और फिल्म को बैन करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के कृत हिंदू देवी देवताओं का अपमान कर रहे हैं। फिल्म निर्माता के खिलाफ पुलिस में शिकायते दर्ज करवाई गयी और कड़ी कार्यवाही की भी मांग की गयी। अब इस मामले में सुप्रीन कोर्ट सुनवाई कर रहा हैं।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई को देवी काली से जुड़े उनकी फिल्म के विवादित पोस्टर को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। इस फिल्म के पोस्टर में देवी काली को कथित तौर पर सिगरेट पीते दिखाया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने लीना की याचिका पर केंद्र, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी किया। पीठ ने पाया कि लीना के खिलाफ एक लुकआउट नोटिस जारी किया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों के संबंध में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इस स्तर पर, यह ध्यान दिया जा सकता है कि कई प्राथमिकी दर्ज करना गंभीर पूर्वाग्रह का कारण हो सकता है। हम नोटिस जारी करने के इच्छुक हैं, ताकि कानून के अनुसार सभी प्राथमिकी को एक जगह समेकित किया जा सके।’’ लीना की ओर से पेश वकील कामिनी जायसवाल ने अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता का इरादा किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने का नहीं था। लीना द्वारा दायर याचिका में पोस्टर को लेकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को आपस में जोड़ने और रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
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