लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है "आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने...." यह डायलॉग, जानिए आखिर कैसी है बॉलीवुड के नाना की कहानी
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर अपने अभिनय के दम पर राज कर रहे नाना पाटेकर का नाम सुनते ही अपने आप वह चेहरा घूम जाता है जो एक्शन में भी उतना ही कामयाब है जितना कॉमेडी में, इमोशनल सीन में भी उतनी ही जान डाल देते हैं जितना बेबसी डालते हैं।
सालों से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर अपने अभिनय के दम पर राज कर रहे नाना पाटेकर का नाम सुनते ही अपने आप वह चेहरा घूम जाता है जो एक्शन में भी उतना ही कामयाब है जितना कॉमेडी में, इमोशनल सीन में भी उतनी ही जान डाल देते है जितना बेबसी में। नाना पाटेकर आज 74 साल के हो चुके है। बॉलीवुड में अपनी जोशीले आवाज दमदार एक्टिंग और गुस्सैल स्वभाव के कारण नाना पाटेकर हमेशा ही चर्चा में बने रहते है। एक दम सरल स्वभाव के पाटेकर के अभिनय की जीतनी भी तारीफ की जाये वो कम है। वे सिर्फ रील लाइफ में ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी एक अच्छे इंसान है। उन्हे अक्सर गरीबों की मदद करते हुए देखा जा सकता है।
आज के दौर में भी नाना पाटेकर अपनी एक्टिंग और आवाज से लोगों के दिलों में बसते हैं। नाना बॉलीवुड में अपने बेबाक अंदाज के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। चाहे वो किसी फिल्म में हों या न हों, वो हमेशा खबरों में बने रहते हैं। राजनीतिक मौका हो या फिल्मी दुनिया, वो समय-समय पर सुर्खियों में बने रहते हैं। 1 जनवरी को नए साल के मौके पर नाना अपना जन्मदिन मनाते हैं। एक मराठी परिवार में जन्मे नाना पाटेकर का नाम विश्वनाथ पाटेकर था। उनका जन्म 1 जनवरी 1951 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में हुआ था। वे एक बिजनेस परिवार से थे। उनके पिता का नाम गजानंद पाटेकर और मां निर्मला पाटेकर एक गृहिणी थीं। नीलकांति पाटेकर उनकी पत्नी हैं। जो एक बैंक अधिकारी थी। नाना पाटेकर के दो बेटे हैं। जिनमें से एक का निधन हो चुका है और एक का नाम मल्हार पाटेकर हैष
रोजी रोटी के लिए महज 13 वर्ष की उम्र से शुरू किया काम
बॉलीवु़ड के नाना ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किए थे। गरीबी में अपना बचपन बिताने वाले नाना पाटेकर ने 13 साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। वह स्कूल में पढ़ाई करने के बाद आठ किलोमीटर की चढ़ाई करके चूना-भट्टी में काम करने के लिए जाते थे। वहां वह फिल्मों के पोस्टर को पेंट किया करते थे, ताकि उन्हें खाने के लिए दो वक्त की रोटी मिल सके।
80 के दशक में शुरु किया अभिनय
नाना पाटेकर लगातार चार दशकों से फिल्मी दुनिया में सक्रिय हैं और उन्होंने अपने तमाम रंग दर्शकों के सामने पेश किए हैं। चाहे संजीदा किरदार हो या फिर कॉमिक, रोमांटिक हो या नेगेटिव हर किरदार में उन्हें काफी पसंद किया गया। 1978 में आई फिल्म 'गमन' से अपने करियर की शुरुआत करने वाले नाना पाटेकर को पहचान 'परिंदा' फिल्म से मिली थी। इस फिल्म में उन्होंने खलनायक की भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
फिल्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाते हुए पाटेकर ने 'आज की आवाज़', 'अंकुश', 'लॉर्ड माउंटबेटन', 'सूत्रधार' जैसी फिल्मों के साथ-साथ एक और मराठी फिल्म 'माफ़ीचा साक्षीदार' भी दी। हालाँकि, इसके बाद अभिनेता ने 1987 में रिलीज़ हुई 'मोहरे', 1988 में आई ' सलाम बॉम्बे ' और फिर 1989 में आई ' परिंदा ' में अपने अभिनय से सबका ध्यान खींचा और उन्हें अपना पहला 'सहायक भूमिका के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार' दिलवाया। इस राष्ट्रीय पहचान से सम्मानित होने के बाद, नाना ने आगे बढ़कर माधुरी दीक्षित के साथ अपनी अगली फ़िल्म 'प्रहार: द फ़ाइनल अटैक' में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जो अभिनेता के निर्देशन में बनी पहली फ़िल्म भी थी।
क्रांतिवीर से सुपरहिट जैसी फिल्में देने वाले नाना पाटेकर अब किरदार में ढलने के लिए बहुत उत्सुक थे और इसलिए, नाना ने खुद को भारतीय सेना में भर्ती कर लिया। किरदार की मांग थी कि नाना एक आर्मी मैन की भूमिका निभाएं और जल्द ही नाना ने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप नाना को वास्तव में भारतीय सेना में कैप्टन के पद से सम्मानित किया गया। उनके समर्पण और जुनून ने जल्द ही उन्हें इंडस्ट्री में सम्मान दिलाया। नाना जल्द ही ' तिरंगा ', ' राजू बन गया जेंटलमैन ' और ' अंगार ' जैसी फिल्मों के साथ इंडस्ट्री में वापस आ गए , जिससे उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित होने का मौका मिला।
उनकी तब रिलीज़ ' क्रांतिवीर ' ने उन्हें दूसरी बार 'राष्ट्रीय पुरस्कार' प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन इस बार बदलाव के तौर पर उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। अब तक नाना ने अलग-अलग विधाओं में अलग-अलग भूमिकाएं निभाकर अपनी प्रतिभा साबित की है, जैसे ' अग्नि साक्षी ' में पत्नी को प्रताड़ित करने वाला, ' खामोशी: द म्यूजिकल ' में गूंगे पिता, ' गुलाम-ए-मुस्तफा ' में मुस्लिम गुंडा, ' यशवंत ' में गुस्सैल पुलिस अधिकारी और ' शक्ति- द पावर ' में कुख्यात गैंग सरगना ।
पत्नी से अलग रहते हैं
नाना पाटेकर एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने जिस भी फिल्म को किया उस पर अपनी मुहर लगा दी। उनके बोलने के अंदाज को लोगों ने काफी पसंद किया। फिल्मों में उनके मोनोलॉग को भी काफी पसंद किया गया। वहीं, नाना ने अपने शानदार अभिनय के बल पर चार फिल्मफेयर और तीन राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड जीते हैं। उन्होंने 'गिद्द', 'अंकुश', 'प्रहार', 'प्रतिघात' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। वहीं, नाना ने थिएटर आर्टिस्ट नीलू उर्फ नीलकांति से शादी की है। दोनों का तलाक नहीं हुआ है, लेकिन वह साथ नहीं रहते हैं।
मुंबई ब्लास्ट के कारण संजय दत्त के साथ कभी नहीं करते काम
नाना पाटेकर को लेकर एक और बात है कि वह संजय दत्त के साथ कभी काम नहीं करते। लेकिन इसके पीछे एक बहुत ही बड़ी वजह छुपी है। दरअसल, 12 मार्च 1993 को मुंबई में ब्लास्ट हुआ था। इस सीरियल ब्लास्ट में संजय दत्त को दोषी पाया गया था। वहीं, इसी ब्लास्ट में नाना पाटेकर ने अपने भाई को खो दिया था। ऐसे में एक इंटरव्यू में नाना पाटेकर ने कहा था कि वह संजय को कभी माफ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा था कि 1993 बम ब्लास्ट में संजय दत्त ने भले ही सजा काट ली हो लेकिन वो उनके साथ कभी काम नहीं करेंगे।
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