बॉलीवुड फिल्में दर्शकों के लिए क्यों तरस रही हैं? अनुराग कश्यप ने गिनाएं हिंदी फिल्मों के पिटने के कारण

 Anurag Kashyap
ANI
रेनू तिवारी । Jul 28 2022 12:47PM

बॉलीवुड की गंभीर समस्या पर बात करते हुए अनुराग कश्यप ने अपने विचार साझा किए और कहा कि बॉलीवुड में अब अपनी जड़ों से जुड़ी हुई फिल्में नहीं बनाई जा रही हैं। अंग्रेली बोलने वाले लोग हिंदी फिल्में बना रहे हैं जो दर्शकों से कनेक्ट ही नहीं कर पाती हैं। हिंदी सिनेमा को अपनी जड़ों पर लौटना होगा।

गैंग ऑफ वासेपुर जैसी सुपरहिट फिल्म बानने वाले फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप अपनी नयी फिल्म 'दोबारा' लेकर आ रहे हैं। फिल्म में लीड एक्ट्रेस तापसी पन्नू हैं, जो हाल ही में भारतीय माहिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज की बायोपिक में नजर आयी थी। फिल्म को ज्यादा खास रिस्पॉन्स नहीं मिला लेकिन तापसी को फिल्म दोबारा से काफी उम्मीदें हैं। फिल्म दोबारा की कास्ट ने गुरूवार को फिल्म का ट्रेलर लॉन्च किया। फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के दौरान अनुराग कश्यप ने कई बड़ी बातें बोली जो काफी गंभीर थी। 

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इस समय बॉलीवुड के हालात कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। फिल्मों को देखने के लिए दर्शक थिएटर तक नहीं जा रहे हैं। शमशेरा जैसी बड़ी फिल्में भी फ्लॉप हो रही हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा हैं। बॉलीवुड की इस गंभीर समस्या पर बात करते हुए अनुराग कश्यप ने अपने विचार साझा किए और कहा कि बॉलीवुड में अब अपनी जड़ों से जुड़ी हुई फिल्में नहीं बनाई जा रही हैं। अंग्रेली बोलने वाले लोग हिंदी फिल्में बना रहे हैं जो दर्शकों से कनेक्ट ही नहीं कर पाती हैं। हिंदी सिनेमा को अपनी जड़ों पर लौटना होगा। 

अनुराग ने कहा कि जो लोग हिंदी फिल्में बना रहे हैं वे खुद हिंदी भाषा नहीं बोलते हैं। हिंदी फिल्मों की जड़े हिंदी समाज से जुड़ी है। फिल्मों की जड़े हिंदी बची ही नहीं हैं। जब आप तमिल, तेलुगु, मलयालम फिल्में देखते हैं, तो वे अपनी संस्कृति में निहित होते हैं, चाहे वह मुख्यधारा की संस्कृति हो या गैर-मुख्यधारा की संस्कृति। लेकिन हमारी फिल्मों की जड़ें नहीं हैं।

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उन्होंने आगे कहा, "यहां जो लोग हिंदी नहीं बोल सकते, जो अंग्रेजी बोलते हैं, वे हिंदी फिल्में बना रहे हैं। फिल्में जहां भी जड़ें जमाती हैं, वे काम करती हैं। जब हमारे मुख्यधारा के फिल्म निर्माता अपनी तरह की फिल्में बनाते हैं, तो वे काम करते हैं। गंगूबाई काठियावाड़ी, भूल भुलैया 2 ने काम किया क्योंकि दोनों फिल्म निर्माताओं ने उस तरह की फिल्में बनाईं जो वे आमतौर पर बनाते हैं। अन्य फिल्म निर्माता उन फिल्मों को बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो वे आमतौर पर वे हैं ही नहीं। वे प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, शैलियों को बदल रहे हैं। जिस क्षण हम जड़ें जमा लेंगे, हमारी फिल्में काम करेंगी।

कश्यप दो दशकों से अधिक समय से फिल्में बना रहे हैं। ब्लैक फ्राइडे, गैंग्स ऑफ वासेपुर और देव डी जैसी शैली-परिभाषित फिल्मों के लिए जाने जाने वाले फिल्म निर्माता, दो बारा के साथ विज्ञान-कथा का प्रयास कर रहे हैं।

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