Tungnath Temple: दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है महादेव का तुंगनाथ मंदिर, जानिए रोचक कथाएं
सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। अगर आप भी सावन में भगवान शिव के मंदिर जाना चाहते हैं तो आप दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित महादेव के तुंगनाथ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं।
भगवान शिव की पूजा का सबसे अच्छा महीना सावन का माना जाता है। बता दें कि इस बार अधिकमास होने के कारण 2 सावन पड़ रहे हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं भगवान शिव के दर्शन के लिए सावन में भक्त मंदिर भी जाते हैं। भारत में 12 ज्योतिर्लिंग होने के साथ ही कई फेमस और प्राचीन शिव मंदिर हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक हर राज्य में भगवान शिव के मंदिर हैं।
वहीं आप भी भोलेनाथ के कई प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानते होंगे। सावन के महीने में केदारनाथ से लेकर बाबा विश्वनाथ और महाकालेश्वर धाम तक भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यदि आप भी इस सावन भोलेबाबा के दिव्य और भव्य मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं। तो बता दें कि आप दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित महादेव के मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। भगवान शिव के इस मंदिर का नाम तुंगनाथ मंदिर है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि तुंगनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व, मंदिर कहां है और इसके दर्शन के लिए कैसे पहुंचे।
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यहां है तुंगनाथ मंदिर
उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में ऊंचे पर्वत पर महादेव का प्राचीन तुंगनाथ मंदिर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव के पंच केदारों में से एक है। यह मंदिर चारो तरफ से बर्फ से ढका रहता है।
मंदिर का इतिहास
मान्यता के अनुसार, तुंगनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करवाया गया था। बताया जाता है कि महाभारत के कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार से भगवान भोलेनाथ पांडवों से नाराज हो गए थे। इस कारण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण कराया था।
मां पार्वती ने की थी तपस्या
वहीं यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इसी स्थान पर कठिन तपस्या की थी। इसके अलावा इस मंदिर से जुड़ी एक कथा यह भी प्रचलित है कि भगवान राम ने रावण के वध के बाद खुद को ब्रह्महत्या पाप से मुक्त करने के लिए इस स्थान पर कठिन तपस्या की थी। जिस कारण इस स्थान को चंद्रशिला भी कहा जाता है।
ऐसे पहुंचे तुंगनाथ मंदिर
इस मंदिर में जाने के लिए श्रद्धालु उखीमठ के रास्ते से जा सकते हैं। सड़क मार्ग से उन्हें मंदाकिनी घाटी में प्रवेश करना होता है। वहीं आगे बढ़ने पर अगस्त्य मुनि नामक एक छोटा सा कस्बा मिलता है। इस स्थान से हिमालय की नंदा खाट चोटी भी देख सकते हैं। बता दें कि चोपता से तुंगनाथ मंदिर की दूरी सिर्फ 3 किमी है। चौपता से तुंगनाथ मंदिर तक आप पैदल यात्रा भी कर सकते हैं।
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