Best Places To Visit In Janmashtami: इन विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में भव्य तरीके से मनाया जाता है जन्माष्टमी का पर्व, आप भी कर आएं दर्शन

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पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बेहद धूमधाम तरीके से मनाया जाता है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में आप जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्रीकृष्म को समर्पित इन मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं।

पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बेहद धूमधाम तरीके से मनाया जाता है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि हर साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण के मुताबिक भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। वहीं इस साल की जन्माष्टमी का पर्व काफी खास बताया जा रहा है। क्योंकि इस बार बुधवार और बृहस्पतिवार को भी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया जा रहा है। 

जन्माष्टमी 2023 तिथि 

भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि शुरूआत- 6 सितंबर 2023, दोपहर 03.37 बजे

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की समाप्ति- 7 सितंबर 2023, शाम 04.14

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बता दें कि भारत में  कई ऐसी जगहें हैं, जहां पर कृष्ण जन्मोत्सव की काफी धूम देखने को मिलती है। इन जगहों पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसे में अगर आप भी इस जन्माष्टमी श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होना चाहते हैं। तो आपको इन जगहों पर अपने परिवार के साथ जरूर आना चाहिए। जन्माष्टमी के पर्व पर यह जगहें कृष्णमय हो जाती हैं। साथ ही यह जगहें इसलिए भी ज्यादा खास हो जाती हैं, क्योंकि इन जगहों का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है।

मथुरा

मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। यहां पर जन्माष्टमी का पर्व काफी खास होता है। बता दें कि मथुरा में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव दो भाग में मनाया जाता है। ऐसे में इस जन्माष्टमी आप भी भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पहुंच सकते हैं। उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के किनारे बसा मथुरा भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान हैं। यहीं पर बालगोपाल का जन्म हुआ था। मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के कई मंदिर बने हैं। इन मंदिरों में कृष्ण के जन्म के समय एक साथ पूजा की जाती है। पारंपरिक शंख, मंदिर की घंटियों और मंत्रभजनों की ध्वनि की गूंज आपको एक अलग ही दुनिया होने का एहसास दिलाती है। जन्माष्टमी के पर्व पर इन मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। बता दें कि मथुरा में बांके बिहारी, द्वारकाधीश, कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और इस्कॉन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

वृंदावन 

मथुरा से लगभग 14 से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थिति वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण के बचपन का समय बीता है। यहां पर कान्हा गोपियों के साथ रासलीला करते थे, राधा-रानी से प्रेम किया था। वृंदावन में भी जन्माष्टमी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का स्थान वृंदावन को ही माना जाता है। वृंदावन में गोविंद देव मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों गिना जाता है। इसके अलावा वृंदावन में गनाथजी मंदिर, राधारमण मंदिर, निधिवन और इस्कॉन मंदिर काफी फेमस है। इन मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही जन्माष्टमी के मौके पर वृंदावन में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

गोकुल

मथुरा से करीब 25 किलोमीटर दूर गोकुल गांव स्थित है। वासुदेव भगवान श्री कृष्ण को जन्म के बाद यमुना नदी पार करके नंद बाबा के घर के यहां छोड़ कर गए थे। बता दें कि यह स्थान भी भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ा है। भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। गोकुल में आप जन्माष्टमी का पर्व मना सकते हैं। इसके अलावा आप यहां पर राधा दामोदर मंदिर और राधा रमन मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं।

द्वारिका

द्वारिका का इतिहास भी भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा है। वर्तमान में द्वारिका गुजरात में है। द्वारिका में भगवान श्रीकृष्ण का राज्य था। मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण करीब 5 हजार सालों तक द्वारिका में रहे। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम ने द्वारिका स्थान बनाया था। यहां की जन्माष्टमी भी काफी ज्यादा खास होती है। शहर के सभी हिस्सों में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय दिव्य और अलौकिक मंगला आरती की जाती है। जिसे देखकर आप भी श्रीकृष्ण की भक्ति में डूब जाएंगे।

जगन्नाथ पुरी

भारत का सबसे पवित्र चार धाम मंदिरों में से जगन्नाथ पुरी में भी जन्माष्टमी के दिन भव्य आयोजन होता है। यह पुरी में स्थित है। पुरी में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। बता दें कि जगन्नाथ मंदिर जगत के पालनहार भगवान विष्णु के 8वें अवतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

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