पेट में इतनी ही आग है... प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर तृणमूल कांग्रेस सांसद ने निशाना साधा
टीएमसी सांसद ने भूख हड़ताल की समयसीमा का उपहास किया, जिसका अर्थ है कि यह विरोध स्थल से शुरू होती है और अस्पताल तक जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदर्शनकारियों का मुख्य लक्ष्य मीडिया का ध्यान आकर्षित करना और अपना विरोध शुरू करने के एक या दो दिन के भीतर अस्पताल में प्रवेश सुनिश्चित करना था। उन्होंने कहा कि यह किस तरह की भूख हड़ताल है?
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने वास्तविक भूख हड़ताल करने के संकल्प की कमी के लिए प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की आलोचना की और उन पर उनके आमरण अनशन को अस्पताल में भर्ती होने के अनशन में बदलने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद ने भूख हड़ताल की समयसीमा का उपहास किया, जिसका अर्थ है कि यह विरोध स्थल से शुरू होती है और अस्पताल तक जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदर्शनकारियों का मुख्य लक्ष्य मीडिया का ध्यान आकर्षित करना और अपना विरोध शुरू करने के एक या दो दिन के भीतर अस्पताल में प्रवेश सुनिश्चित करना था। उन्होंने कहा कि यह किस तरह की भूख हड़ताल है? यह विरोध स्थल से शुरू होती है और अस्पताल में भर्ती होने के बाद समाप्त होती है। जिस भूख हड़ताल को हम जानते हैं वह आमरण अनशन है, अस्पताल में भर्ती होने वाला अनशन नहीं। ये डॉक्टर क्या कर रहे हैं क्या उनके पेट में इतनी ही आग है?
इसे भी पढ़ें: RG Kar: अनशन पर बैठे एक और डॉक्टर की हालत बिगड़ी, IMA एक्शन कमेटी ने कहा- ये स्थिति ख़त्म होनी चाहिए
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद अपनी मांगों को लेकर पश्चिम बंगाल के कनिष्ठ चिकित्सकों का आमरण अनशन सोमवार को 10वें दिन भी जारी है। आईएमए एक्शन कमेटी के सदस्य डॉ अभिक घोष ने कहा कि 6 डॉक्टरों के संगठनों ने मुख्य सचिव के साथ बैठक की है। पहले दिन से ये वरिष्ठ डॉक्टर इस लड़ाई में जूनियर डॉक्टरों के पक्ष में खड़े हैं। इस बैठक का मुख्य कारण वो ये कि हमारे डॉक्टर पिछले 10 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, ये स्थिति ख़त्म होनी चाहिए हमारे 4 डॉक्टर आईसीयू में भर्ती हैं और बाकी जो विरोध कर रहे हैं उनकी हालत भी बहुत ख़राब है।
इसे भी पढ़ें: RG Kar Murder Case । आमरण अनशन पर बैठे जूनियर डॉक्टर्स, हालत बिगड़ने के बाद तीन अस्पताल में भर्ती
कनिष्ठ चिकित्सक 10 दिन से भूख हड़ताल कर रहे हैं, उनमें से तीन अब आईसीयू में हैं, फिर भी सरकार इन गंभीर समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय समारोहों को तरजीह दे रही है। बयान में कहा गया है कि जश्न मनाने के संवैधानिक अधिकार का सम्मान करते हुए हम सरकार के कार्निवल को रद्द करने की मांग नहीं करते हैं। साथ ही हम उत्सवों में बाधा डाले बिना शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक प्रदर्शन के अपने अधिकार पर भी जोर देते हैं। यह निराशाजनक है कि सरकार ने हमें 15 अक्टूबर को प्रस्तावित प्रदर्शन वापस लेने के लिए कहा है, जिसका उद्देश्य आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों के प्रति एकजुटता दिखाना है।
अन्य न्यूज़