World Hearing Day 2025: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड हियरिंग डे? जानें कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत

Hearing Day
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ANI
Prabhasakshi News Desk । Mar 3 2025 11:11AM

हर साल 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिससे लोगों में बहरेपन और सुनने की हानि को रोकने को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके। इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन एक थीम निर्धारित करता है और लोगों को दिन के बारे में शिक्षित करने के लिए ब्रोशर और प्रस्तुतियां जैसी सामग्री तैयार करता है।

दुनिया भर में हर साल 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिससे लोगों में बहरेपन और सुनने की हानि को रोकने को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके। इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन एक थीम निर्धारित करता है और लोगों को दिन के बारे में शिक्षित करने के लिए ब्रोशर, फ़्लायर्स, पोस्टर, बैनर और प्रस्तुतियां जैसी सामग्री तैयार करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 3 मार्च 2007 को पहली बार विश्व श्रवण दिवस मनाया। 2016 में संस्था ने इस दिन को वर्ल्ड हियरिंग डे के रूप में घोषित करने का निर्णय लिया।

जानिए कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2007 में हर साल 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस मनाने की घोषणा की थी। हालांकि प्रारंभ में इस दिन का नाम इंटरनेशनल ईयर केयर रखा गया था। जिसका उद्देश्य लोगों को बहरेपन की समस्या के कारण और उसके निवारण के प्रति जागरूक बनाना और सचेत करना है जिससे वह इस खतरे से बच सके। इसके लिए दुनियाभर के देश अपने यहां कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। जिनेवा में अपने मुख्यालय में डब्लयूएचओ भी एक वार्षिक विश्व श्रवण दिवस कार्यक्रम आयोजित करता है।

मानव शरीर की प्रारंभिक अवस्था में सुनने की क्षमता में कमी और कान से जुड़ी बीमारियों का समाधान किया जा सकता है साथ ही और उचित देखभाल की मांग की जाती है। जिन लोगों को सुनने की क्षमता में कमी का जोखिम है, उन्हें नियमित रूप से अपनी सुनने की क्षमता की जांच करानी चाहिए। सुनने की क्षमता में कमी या कान से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित लोगों को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से देखभाल लेनी चाहिए।

श्रवण हानि जीवन के कई प्रिय क्षणों में भाग लेने और उनका अनुभव करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकती है। जिसमें किसी प्रियजन की आवाज या हंसी सुनना, परिवार और दोस्तों के साथ सार्थक बातचीत में भाग लेना, प्रकृति की आवाज़ सुनना, या टीवी पर पसंदीदा कार्यक्रम सुनना आदि शामिल हैं। श्रवण हानि सामाजिक अलगाव, अवसाद और दीर्घकालिक बीमारी की भावनाओं को भी जन्म दे सकती है।

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